एशिया में अलग-थलग पड़ा चीन अब छोटे-छोटे देशों के सामने भी ‘गिड़गिड़ा’ रहा है

श्रीलंका के साथ जो हुआ उसके बाद 'ड्रैगन' पर कौन यकीन करेगा?

Asia

छोटे देशों को अपने जाल में फंसाकर बर्बाद करने वाला चीन अब इन्हीं का हिमायती बनने का प्रयास कर रहा है। दरअसल चीन की तरफ से एक बयान सामने आया है, जिसमें उसने छोटे विशेषकर एशियाई देशों को आगाह किया है कि वो वैश्विक शक्ति वाले देशों की कठपुतली न बने। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने एशियाई देशों को वैश्विक शक्तियों से सावधान रहने को कहा।

वांग ने छोटे देशों से क्या कहा है

इंडोनेशिया के जकार्ता में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) सेक्रेटेरिएट को संबोधित करते हुए वांग ने कहा कि “एशियाई क्षेत्र को भू-राजनीतिक गणनाओं, दबाव और वैश्विक शक्तियों की प्रतिद्वंद्विता में शतरंज की गोटियों की तरह प्रयोग होने से बचाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के कई देशों पर ‘एक पक्ष’ चुनने का दबाव बनाया जाता है। हमारे क्षेत्र का भविष्य हमारे हाथों में होना चाहिए।

यानी जो चीन अन्य छोटे देशों को अपनी कठपुतली बना लेता है, वो ही अब उन्हें दूसरे देशों को चुंगल में न फंसने का पाठ पड़ा रहा है। चीन के इस बयान के पीछे स्पष्ट रूप से उसकी बौखलाहट दिखाती है। दरअसल, कपटी चीन की विस्तारवादी नीति से अब पूरी दुनिया अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी है कि कैसे वो छोटे देशों को अपने चुंगल में फंसाकर बर्बाद कर देता है। इसका सबसे नवीनतम उदाहरण श्रीलंका है। आज के समय में श्रीलंका जिन हालातों से जूझ रहा है। श्रीलंका दिवालिया हो चुका है। वो भुखमरी के दलदल में फंस गया है। वो गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है। श्रीलंका के इन हालातों का जिम्मेदार चीन ही है। कपटी चीन ने बड़ी ही चालाकी से श्रीलंका को अपने जाल में फंसाया है।

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चीन की नजदीकी श्रीलंका पर भारी पड़ी है और इसे आज पूरी दुनिया देख रही है। कैसे श्रीलंका चीन के बोझ तले बुरी तरह दबा हुआ है। चीन की रणनीति ही ऐसी रही है कि वो जिसे भी कर्ज देता है उसकी आर्थिक स्थिति को बदहाली तक पहुंचाकर ही दम लेता है। वो पहले छोटे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाता है और फिर उनकी जमीनों पर अपना कब्जा जमा लेता है। ऐसा ही वो पाकिस्तान के साथ भी कर रहा है। इसके अलावा वो नेपाल को अपनी इसी चाल में फंसाने के प्रयासों में जुटा है।

परंतु श्रीलंका के हालात देखकर अब तमाम देश चीन की हरकतों से सतर्क हो गए हैं। यही कारण है कि खासतौर पर एशियाई देश चीन से दूर हो रहे हैं और वो अलग थलग पड़ने लगा है।

देखा जाए तो भारत, अमेरिका और जापान ऐसे देश हैं जो विश्व में अपना दबदबा बनाए हुए है। यही वो देश है जो चीन की रणनीतियों को रोकने की क्षमता रखते हैं। इन्हीं कारणों से कहीं न कहीं छोटे देश इनके पीछे चलते हैं और इनकी रणनीतियों का समर्थन करते है। यही है चीन की बौखलाहट का वास्तविक कारण।

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चीन हमेशा क्वाड समूह से भी घबराया रहता है

चीन हमेशा क्वाड समूह से भी घबराया रहता है। QUAD चीनी दबदबे पर रोक लगाने के लिए बना भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का गठबंधन है। चीन क्वाड को लेकर आपत्ति जताता रहा है और इससे उसे घेरने की चाल बताता है। इसके अलावा हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व पर अंकुश लगाने में भी जुटी हुई है। इन्हीं सब कारणों से चीन की टेंशन बड़ी हुई है।

अब चीन को यह डर सताने लगा है कि अगर छोटे देश वैश्विक शक्तियों के दिखाए रास्ते पर चलने लगे तो वो उससे बहुत दूर हो जाएंगे और ड्रैगन अकेला पड़ जाएगा, जिसे फिर कोई पूछेगा भी नहीं। यही कारण है कि वो इन देशों को वैश्विक शक्तियों से दूर रहने का पाठ पढ़ा रहा है।

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