हामिद अंसारी ने ‘स्लीपर सेल’ की भूमिका निभाई? पाकिस्तानी पत्रकार ने जो बताया वो बहुत डरावना है

बात तब की है जब हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति हुआ करते थे !

hamid ansaari

Source- TFIPOST.in

घर का भेदी लंका ढाए, नीचता की पराकाष्ठा, दोगले चरित्र वाले, खाये यहाँ की बजाए वहां की…. आज यह सभी उपमाएं-अलंकार जिस व्यक्ति के लिए व्यक्त किए जा रहे हैं वो दुर्भाग्यवश भारत के उपराष्ट्रपति रहे हैं। जी हाँ, बात हो रही है भारत के 12वें उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी की जो इन दिनों चर्चोओं के केंद्र में हैं और ऐसी चर्चा जो विवादास्पद होने के साथ-साथ अंसारी की देशविरोधी संलिप्तता की ओर सबका ध्यान आकर्षित कर रही हैं। पाकिस्तान का एक स्तंभकार नुसरत मिर्जा ने हाल ही में शकील चौधरी को दिए इंटरव्यू में सनसनीखेज दावा किया है। जिसके बाद यह प्रश्न उठ रहा है कि, “क्या हामिद अंसारी स्लीपर सेल थे?”

 

दरअसल, पाकिस्तानी Youtuber के साथ साक्षात्कार में, नुसरत मिर्जा ने दावा किया कि उन्होंने 2005 से 2011 के बीच कई बार भारत का दौरा किया और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को अपनी यात्राओं के दौरान एकत्र की गई जानकारी को सौंप दिया। मिर्जा ने साक्षात्कार में अपनी 2010 की यात्रा का जिक्र किया। वह भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के निमंत्रण पर आतंकवाद पर एक सेमिनार में भाग लेने के लिए भारत आए थे। मिर्जा ने उल्लेख किया कि उनकी भारत की अंतिम यात्रा 2011 में हुई थी जब वह भारत में मिल्ली गजट के प्रकाशक जफरुल इस्लाम खान से मिले थे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान उन्हें बहुत सी जानकारी मिली जो उन्होंने ISI को दी।

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ट्विटर पर लोग हामिद अंसारी और जफरूल इस्लाम खान के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी को भी कोस रहे हैं जो उस वक्त केंद्र की सत्ता में थी। बात 2011 की है। उस वक्त मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। इससे बड़ी गद्दारी क्या होगी जब हामिद अंसारी को कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति बनाया और अंसारी ने ही भीतरघात करने का काम किया। कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के लिए हामिद अंसारी को उस पद पर पदासीन करा दिया जिसके वो कदाचित लायक नहीं थे। जो व्यक्ति अपने देश की संवदेनशील जानकारी ISI ऐजंटों को सींग-चने, रेवड़ी समझकर बाँट रहा हो उसे या तो स्लीपर सेल वाला एक गुर्गा कहेंगे या देशद्रोही कहेंगे। देश के उच्चस्थ पद पर बैठा व्यक्ति देश को संभालने की जगह देश की बर्बादी सुनिश्चित कर रहा होगा ऐसा किसी ने भूलकर भी नहीं सोचा होगा। लेकिन हामिद अंसारी ने ऐसा किया और इसकी जानकारी वही दे रहे हैं जिन्होंने ये संवेदनशील जानकारी हामिद अंसारी के हाथों प्राप्त की थीं।

देशद्रोह का आरोप लगना यूँ तो मोहम्मद हामिद अंसारी के लिए नया नहीं है। 2019 में भारतीय ख़ुफ़िया जांच एजेंसी रॉ के पूर्व अफसर एन के सूद का एक ट्वीट वायरल हुआ था। सूद ने दावा किया था कि, “मैं तेहरान, ईरान में था और हमीद अंसारी तेहरान में राजदूत थे। अंसारी ने तेहरान में रॉ इकाई के सदस्यों के जीवन को खतरे में डालने वाले रॉ सेट-अप को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन इसी व्यक्ति को लगातार दो बार उपराष्ट्रपति बनाया गया।” इस पर भी उस समय बड़ा विवाद हुआ था, एनके सूद के बयानों से ही पता चला था कि, अंसारी 1990-92 के बीच ईरान में भारतीय राजदूत रहते हुए तेहरान में न केवल भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करने में नाकाम रहे थे, बल्कि ईरान की सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी SAVAK की मदद भी की थी, जिसके कारण रॉ और उसके अभियानों को गंभीर नुकसान पहुँचा। अधिकारियों के मुताबिक चार बार भारतीय दूतावास में कार्यरत अधिकारियों और राजनयिकों का SAVAK ने अपहरण किया और अंसारी ने भारत के राष्ट्रीय हितों का ख्याल क्यों नहीं रखा।

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जिस व्यक्ति का इतिहास ही भारत के समूल नाश की योजना का रहा हो वो देश का दो बार उपराष्ट्रपति इसी कांग्रेस और यूपीए सरकार के रहमोकरम पर बन गया। देश की अखंडता देख ऐसे तत्वों के पेट में कल भी मरोड़े उठती थीं, आज भी उठती हैं और आगे भी उठती रहेंगी। इस पूरे क्रम में यह सिद्ध होता है कि कैसे मोहम्मद हामिद अंसारी ने देश के विश्वास को चूर-चूर किया। आज भी यदि इतने बड़े खुलासे होने के बाद ऐसे तत्व जेल से दूर हैं तो यह शासन-प्रशासन के मुँह पर बड़ा तमाचा है। अब तो यह निर्णायक भूमिका में आने का समय है जब मोहम्मद हामिद अंसारी पर कानूनी शिकंजा कसे और ऐसे घर के भेदी को सख्त से सख्त कार्रवाई के साथ एक मिसाल पेश की जाए कि देश के गद्दारों के साथ क्या होता है।

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