कांग्रेस कितनी बढ़िया चयनकर्ता है वो उसके राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के उम्मीदवारों से साफ़-साफ़ प्रदर्शित होता है। जिस प्रकार उम्रदराज़ उम्मीदवार होने के साथ ही विवादित बयानों के पुलिंदे बाहर आ रहे हैं उससे प्रतीत हो रहा है कि इससे बेहतर कांग्रेस से क्या ही उम्मीद की जा सकती है। अब राष्ट्रपति चुनाव तो सोमवार को हो गए। सोमवार को हुए मतदान के माध्यम से यह तय हो जाएगा कि द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा में से कौन 21 जुलाई को राष्ट्रपति बनेगा और कौन इस रेस से बाहर होकर राजनीतिक संन्यास की ओर बढ़ चलेगा। इसी क्रम में अब उपराष्ट्रपति चुनाव की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है जिसमें एनडीए के प्रत्याशी हैं जगदीप धनखड़ और यूपीए से मार्गरेट अल्वा। यूपीए का यूं मार्गरेट अल्वा का चयन करना आश्चर्य की बात है क्योंकि एक बार के लिए यशवंत सिन्हा तो मुखर रूप से दिख जाते थे पर मार्गरेट अल्वा तो बिलकुल विलुप्त हो चुकी नेत्रियों में से एक हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कौन हैं मार्गरेट अल्वा जिन्हें विपक्ष ने अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है?
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जानें कौन हैं मार्गरेट अल्वा?
दरअसल, कांग्रेस अपने निर्णयों के मामलों में 2014 के बाद से ही बड़े दुःख से जूझ रही है। उसे न तो रणनीतिकार मिल पा रहे हैं और न ही नया अध्यक्ष। उपराष्ट्रपति पद के लिए जब उम्मीदवार के चयन करने की बात आई तो उन्होंने ऐसा कर दिया, जिससे प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने मानों खानापूर्ति के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया हो। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रतीकात्मक लड़ाई के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को चुना है। अब अचानक से यह कैसे हो गया यह कोई नहीं जानता पर चूंकि नाम 10 जनपथ से ही निकला है तो उसका सम्मान पूरा विपक्ष कर रहा है। रविवार,17 जुलाई को विपक्ष ने उपराष्ट्रपति चुनाव पर करीबी से विचार-विमर्श किया। बैठक के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने विपक्षी दलों के सर्वसम्मत फैसले की घोषणा की। उन्होंने घोषणा की कि पूर्व राज्यपाल और दिग्गज राजनेता मार्गरेट अल्वा देश में दूसरे सर्वोच्च पद के लिए विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार होंगी।
Delhi | Opposition's candidate for the post of Vice President of India to be Margaret Alva: NCP chief Sharad Pawar pic.twitter.com/qkwyf7FMOw
— ANI (@ANI) July 17, 2022
अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मार्गरेट अल्वा ने ट्वीट कर लिखा कि “भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना एक विशेषाधिकार और सम्मान की बात है। मैं इस नामांकन को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करती हूं और विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया है। जय हिंद।”
It is a privilege and an honour to be nominated as the candidate of the joint opposition for the post of Vice President of India. I accept this nomination with great humility and thank the leaders of the opposition for the faith they’ve put in me.
Jai Hind 🇮🇳
— Margaret Alva (@alva_margaret) July 17, 2022
मार्गरेट अल्वा के जीवन की बात करें तो रोमन कैथोलिक मार्गरेट अल्वा ने अपने प्रतिद्वंद्वी जगदीप धनखड़ की तरह ही कानून के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद वह महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित कई कल्याणकारी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों में शामिल हो गईं। 1964 में उन्होंने निरंजन थॉमस अल्वा से शादी की। उन्होंने अपने ससुराल वालों के मार्गदर्शन में राजनीति में कदम रखा।
तो एक तरह से कांग्रेस की दिग्गज नेता मार्गरेट अल्वा भी वंशवादी राजनीति की श्रेणी में आती हैं। उनके ससुर जोआचिम अल्वा और सास वायलेट अल्वा दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद थे। वास्तव में उनके ससुराल वाले एक ही वर्ष में उच्च सदन में सांसद के रूप में चुने जाने वाले पहले जोड़े थे। अपने ससुराल वालों के माध्यम से राजनीतिक प्रवेश पाने के बाद उन्होंने इंदिरा गांधी गुट का समर्थन किया और कर्नाटक इकाई में काम किया। वो दो वर्ष 1978-1980 तक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव सहित पार्टी के शीर्ष पदों पर रहीं।
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उनके राजनीतिक संन्यास की प्लानिंग रची गई है
1974 में उच्च सदन के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने 1974-1998 तक राज्यसभा में लगातार चार बार सेवा की। अपने राज्यसभा कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्यसभा उपाध्यक्ष (1983-85) के रूप में कार्य किया। वो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में मंत्री रह चुकी हैं। वर्ष 1999 में वो उत्तर कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनी गईं। हालांकि, अल्वा अपना अगला चुनाव हार गईं जिसके बाद पार्टी से उनकी अनबन खुलकर सामने आने लगी। केंद्र में यूपीए की सरकार के दौरान 6 अगस्त 2009 को उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद आगे चलकर उन्हें गुजरात, राजस्थान का राज्यपाल भी बनाया गया। किसी महिला की ओर से समाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किए गए अहम योगदान के लिए उन्हें 2012 में मर्सी रवि अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
अब चूंकि अल्वा कांग्रेस पार्टी के मजबूत स्तंभों में से एक थीं, ऐसे में यह तो तय है कि उन्हें कांग्रेस की कई अंदरूनी कहानियां और रहस्य भी पता ही होंगे। इसी बीच उनकी नाराज़गी के भी कई मायने लगाए जाते रहे। उसके बाद 2008 में, मार्गरेट अल्वा ने कांग्रेस पर सबसे अधिक बोली लगाने वाले को टिकट बेचने का आरोप लगाया जिससे सबसे पुरानी पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप उन्हें पार्टी से बहिष्कृत कर दिया गया और उनसे सभी पद और भूमिकाएं छीन ली गईं। उन्होंने कांग्रेस की अवैध गतिविधियों और लोकतांत्रिक मूल्यों से पार्टी के समझौते को उजागर करने की कीमत चुकाई। ऐसे में उनपर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर उन पर दयाभाव नहीं उनकी राजनीतिक संन्यास की प्लानिंग रची गई है। ध्यान देने वाली बात है कि उनके बेटे पर महिलाओं को आपत्तिजनक मैसेज भेजने के आरोप भी लग चुके हैं।
यही नहीं, अपनी आत्मकथा “साहस और प्रतिबद्धता” में उन्होंने कथित 3600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में आरोपी हथियार डीलर क्रिश्चियन मिशेल के साथ कांग्रेस के संबंधों को उजागर किया था। इस सारी जानकारी की अंदरूनी सूत्र होने के नाते उन्होंने अपनी पुस्तक में दावा किया कि गांधी परिवार के मिशेल के पिता वोल्फगैंग के साथ संबंध थे। उन्होंने टैंक घोटाले पर भी प्रकाश डाला जिसमें संजय गांधी का नाम भी आरोपी के रूप में उठाया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि संजय गांधी और सीपीएन सिंह ने ऐसे समय में दक्षिण अफ्रीका को सेकेंड हैंड भारतीय सेना के टैंक बेचने की साजिश रची जब भारत का अफ्रीकी राष्ट्र से कोई संबंध नहीं था। उनके आरोपों के कारण संजय गांधी के करीबी सहयोगी सीपीएन सिंह को सत्ता के घेरे से हटा दिया गया था। हालांकि, अल्वा ने अपनी किताब में दावा किया है कि सीपीएन सिंह ने उन्हें निशाना बनाया और उन्हें मिशेल के साथ संबंधों का खुलासा नहीं करने दिया।
Opposition Vice Presidential Candidate Margaret Alva in her autobiography 'Courage and Commitment' claimed that Congress's first family has links to Rs 3600 crore Agusta Westland middleman Christian Michel pic.twitter.com/DHPudkWfPO
— Rishi Bagree (@rishibagree) July 17, 2022
कुछ ऐसे राजनीतिक दांव-पेंच और कार्यभार के साथ मार्गरेट अल्वा का राजनीतिक जीवन रहा है और अब वो उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव परिणामों के बाद भी क्या मार्गरेट अल्वा उसी आक्रामकता के साथ कांग्रेस के अंदरूनी मामलों को उजागर करती हैं या चुप्पी साध लेती हैं।
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