कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘मेरी राजनीतिक परिपक्वता पर संदेह मत करना।’ यह बात उन्होंने यूं ही नहीं नहीं कही थी। आज भी ये बात भाजपा की राजनीतिक कार्यकुशलता को परिलक्षित करता है। कब भाजपा कौन सा दांव चल दे किसी को पता ही नहीं चलता और लोग हक्के बक्के रह जाते हैं, जैसे वे अभी उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में जगदीप धनखड़ के चुनाव से हुए हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुनकर भाजपा ने न केवल भारत के अनेक चुनावी विश्लेषकों को धता बताया अपितु एक साथ कई निशाने भी साध दिए हैं।
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने इतना तो सुनिश्चित कर लिया था कि उसे कम से कम विरोध का सामना न करना पड़े और उल्टे विरोधी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कुंठा में अपना ही उपहास उड़वाने में कोई कसर नही छोड़ी। परंतु जब प्रश्न उठा कि उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा तो मौसमी विश्लेषकों की कृपा से अनेक नाम सामने आए। किसी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह का प्रस्ताव रखा क्योंकि उनके पार्टी के भाजपा में कथित विलय की अटकलें तेज थी तो किसी ने आरिफ़ मोहम्मद खान का सुझाव किया। कुछ ने वेंकैया नायडू को बनाए रखने की बात की वही कुछ ने तो मुख्तार अब्बास नकवी तक के नाम सुझा दिए।
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लेकिन भाजपा ने संसदीय बैठक के पश्चात निर्णय किया कि उनका उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कोई और नहीं अपितु बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ होंगे। इसकी घोषणा स्वयं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की। पीएम मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया, “किसान पुत्र जगदीप धनखड़ अपने विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वो अपने साथ एक बहुत ही विविध वैधानिक, विधायी और संवैधानिक करियर ला रहे हैं। उन्होंने सदैव कृषकों, युवाओं, महिलाओं और पिछड़ों का हित ही चाहा है। मैं बेहद प्रसन्न हूँ कि वो हमारे उपराष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे!” –
Kisan Putra Jagdeep Dhankhar Ji is known for his humility. He brings with him an illustrious legal, legislative and gubernatorial career. He has always worked for the well-being of farmers, youth, women and the marginalised. Glad that he will be our VP candidate. @jdhankhar1 pic.twitter.com/TJ0d05gAa8
— Narendra Modi (@narendramodi) July 16, 2022
परंतु प्रश्न तो तब भी उठेगा कि जगदीप धनकड़ के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने से क्या लाभ होंगे और यदि वो विजयी हुए तो विपक्षियों के रातों की नींद क्यों उड़ सकती हैं? ये बात TMC से बेहतर कोई समझ नहीं सकता क्योंकि इस समय उनकी हालत किसी से छिपी नहीं है।
असल में जगदीप धनकड़ जब से बंगाल के राज्यपाल बने हैं तभी से वो बंगाल प्रशासन, विशेषकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आँखों में उसी प्रकार खटकते रहे हैं जिस प्रकार 1990 के दशक में कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर जगमोहन मल्होत्रा नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की आंखों के नासूर बन गए थे। इसके अतिरिक्त जो राज्यसभा कभी “सभ्यता और संस्कृति” का प्रतीक माना जाता है वो TMC के अराजक और अनुशासनहीन सांसदों की कृपा से एक राजनीतिक अखाड़े में परिवर्तित होते आ रहा है, जिसके कारण अधिकतम कार्यवाही बाधित हो जाती है। ऐसे में जगदीप धनखड़ का चुनाव और उनकी संभावित विजय इन अनुशासनहीन सांसदों के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं होगी।
इसके अतिरिक्त जगदीप धनकड़ झुंझुनू क्षेत्र से आते हैं और वो जाट समुदाय से संबंध रखते हैं जो एक महत्वपूर्ण कृषक समुदाय है। इस समुदाय का प्रभाव राजस्थान से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक है। रोचक बात यह है कि वर्ष 2023 में राजस्थान और 2024 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में ये केवल संयोग नहीं हो सकता कि जगदीप धनकड़ जैसे व्यक्ति को भाजपा की ओर से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया है।
कुल मिलाकर जगदीप धनकड़ जैसे नेता को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक ही तीर से अनेक लक्ष्य भेदे हैं और कई विश्लेषकों की बोलती बंद कर दी हैं। अब देखना ये होगा कि विपक्षी पार्टी किसी ढंग के उम्मीदवार को सामने लाती है या यशवंत सिन्हा जैसे चुके हुए कारतूस को बाहर निकालती है!
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