अगर ऋषि सुनक बनते हैं ब्रिटिश प्रधानमंत्री तो भारत के पक्ष में होगा पूरा गेम

अब इंग्लैंड पर शासन करेंगे भारतीय मूल के ये दिग्गज नेता!

Rishi Sunak

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ब्रिटेन में कालचक्र का पहिया बुरी तरह घूम गया है। वो ब्रिटेन जिसने एक समय भारत पर 200 वर्षों तक राज किया था आज उसी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री भारतीय मूल का एक नागरिक हो सकता है। अभी यह बात अतिश्योक्ति लग सकती है किंतु यही सत्य है। बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और इस स्थिति में संभावनाएं हैं कि भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे ऋषि सुनक अगर इस पद को धारण करते हैं तो भारत के लिए ये एक सकारात्मक खबर हो सकेगी।

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बोरिस जॉनसन के विरुद्ध उठ रहे थे विरोध के सुर

दरअसल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहते हुए बोरिस जॉनसन के विरुद्ध लगातार उनकी ही कंजरवेटिव पार्टी में विरोध हो रहा था जिसके चलते उनकी तीखी आलोचनाएं हो रही थीं। ऐसे में अब उन्होंने पीएम पद छोड़ दिया है और अगले पीएम को लेकर जो नाम सबसे आगे चल रहा है वो बोरिस जॉनसन की ही सरकार में वित्त मंत्री रहे ऋषि सुनक का है जो कि मूल रूप से भारतीय हैं। ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता हैं, वे साउथैम्पटन में पूर्वी अमेरिका से आए भारतीय माता-पिता की संतान हैं।

यहां एक प्रश्न उठता है कि यदि ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते हैं तो इससे भारत को क्या लाभ होगा?

सबसे पहले तो बात करते हैं एफटीए की। ब्रिटिश वित्त मंत्री रहते हुए ऋषि सुनक ने हाल ही में कहा था कि भारत-ब्रिटेन के बीच वित्तीय सेवा के क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते यानी एफटीए को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने ये तक कहा था कि दोनों देशों में एफटीए पर वार्ता के साथ घनिष्ठ आदान-प्रदान की रोमांचक उम्मीद है। अगर एफटीए पर बात बनती है तो भारत में इंवेस्टमेंट आने की आपार संभावनाएं होंगी जिससे अर्थव्यवस्था को और शक्ति मिल पाएगी। प्रथम दृष्टया तो यही जान पड़ता है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध की सुनक बात करते हैं और तो और भारत के संदर्भ में एफटीए को लेकर भी वो सकारात्मक रवैया रखते हैं।

ये तो हुई एफटीए की बात। पर यही नहीं हमें यह समझना होगा कि कुछ मुद्दों पर बोरिस जॉनसन बोलते कुछ थे और करते कुछ थे जिसमें सबसे पहला बिंदु खालिस्तान समर्थन का था। भारत के अनेकों खालिस्तानी आतंकी ब्रिटेन में शरण लेकर बैठे हैं और ब्रिटेन के कानूनों का उन्हें बड़ा लाभ मिलता है। बोरिस जॉनसन का कहना था कि वो इन आतंकियों पर कार्रवाई करेंगे लेकिन उनकी कथनी और करनी में बड़ा अंतर था और यह भारत ब्रिटेन के संबंधों के बीच कमजोरी की एक अहम वजह था। कम से कम जॉनसन के हालिया बयानों से तो ऐसा ही लगता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि ऋषि सुनक के आने से ब्रिटेन का रुख भारत के प्रति सकारात्मक रहेगा और भारत के दुश्मनों पर ब्रिटिश सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।

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बीबीसी का मुद्दा भी है अहम

इसके अलावा बीबीसी लंबे समय से भारत के विरुद्ध विष उगलने का काम करता रहा है जिस पर शिकंजा कसने की जिम्मेदारी भी ऋषि सुनक के करीबी Richard Sharp को दी गयी थी और उन्हें बीबीसी का चेयरमैन बना दिया गया था।

आपको बता दें कि इस समय कंजरवेटिव पार्टी में ऋषि सुनक की हैसियत नंबर दो की है। सुनक उन पार्टी सांसदों के साथ नियमित रूप से वार्तालाप करते रहे हैं, जो अब उन्हें वोट कर सकते हैं और ब्रिटेन की सरकार में उन्हें नंबर वन बना सकते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि ऋषि सुनक ब्रिटेन में एक समय इतने अधिक प्रसिद्ध हो गए थे कि उनकी अप्रूवल रेटिंग 81.5 प्रतिशत हो गयी थी जबकि बोरिस जॉनसन लोकप्रियता में 10.3 प्रतिशत नीचे चले गये थे।

ऋषि सुनक अर्थव्यवस्था का अच्छा ज्ञान रखते हैं और इसीलिए उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को संभालने के प्रयास किए थे। पाश्चात्य संस्कृति में रहने के बाद भी ऋषि सुनक सनातन संस्कृति को नहीं भूले हैं। इसी का परिणाम है कि उन्होंने भगवद् गीता के नाम पर पद की शपथ भी ली थी। उन्हें 2020 में ही कंजर्वेटिव पार्टी की होम वेबसाइट ने ‘भावी प्रधानमंत्री’ की उपाधि दी थी।

ऐसे में यह माना जा रहा है कि ऋषि सुनक ही ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं जो कि ब्रिटेन के संदर्भ में तो एक सहज स्थिति होगी ही बल्कि इस परिवर्तन से भारत के साथ ब्रिटेन के संबंध और अधिक सशक्त हो सकेंगे हैं।

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