नयी आबकारी नीति के फ़ायदे गिनाए जा रहे थे, अब जांच से डर गयी केजरीवाल सरकार

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे!

kejariwaal

जब धरती लगी फटने तब ख़ैरात लगी बंटने, दिल्ली की आम आदमी पार्टी की स्थिति कुछ ऐसी ही हो चुकी है। जिस तरह नयी आबकारी नीति लाकर उसके फ़ायदे गिनाए जा रहे थे, जैसे ही उस पर जांच बैठी केजरीवाल सरकार ने पिछले दरवाज़े से नीति वापस ले ली। यूं अचानक शराब नीति को क्यों आम आदमी पार्टी ने वापस लिया, क्या वो बहुत कुछ छुपाने की कोशिश में है?

लगता है जांच से डर गयी दिल्ली सरकार

दरअसल, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को कहा कि आम आदमी पार्टी की पुरानी शराब बिक्री नीति एक अगस्त से फिर से लागू हो जाएगी। डिप्टी सीएम सिसोदिया का यह बयान तब आया जब कुछ दिनों पूर्व दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा नयी आबकारी नीति के कार्यान्वयन की सीबीआई जांच की सिफारिश की गयी। अब इस नीति की वापसी के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में खुदरा शराब की बिक्री की पुरानी नीति में वापस जाने का फैसला किया गया है।

मनीष सिसोदिया, जिनके पास दिल्ली सरकार का एक्साइज विभाग भी है, उन्होंने गुरुवार को विभाग को नयी नीति लागू होने तक छह महीने की अवधि के लिए आबकारी नीति की पुरानी व्यवस्था को “वापस” करने का निर्देश दिया है। प्रेस वार्ता में सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि शराब अब केवल सरकारी दुकानों के माध्यम से बेची जाए और कोई अराजकता न हो।

ज्ञात हो कि, 22 जुलाई को, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की 2021-22 की नयी आबकारी नीति के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी। सक्सेना के कार्यालय से एक मीडिया विज्ञप्ति से पता चला है कि मुख्य सचिव की 8 जुलाई की एक रिपोर्ट में शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए जानबूझकर कई कानून उल्लंघनों का संकेत दिया गया था।

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नयी एक्साइज ड्यूटी में लग रहे हैं गड़बड़ी के आरोप

नयी एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं, ऐसा आरोप है कि नयी एक्साइज पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गयी। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपये माफ किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गयी। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया। आरोप है कि नयी आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नयी नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लायी गयी।

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ऐसे में चूंकि, इस आबकारी विभाग को संभालने वाले स्वयं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया है तो जांच की गाज पड़ते ही सरकार ने नयी आबकारी नीति को वापस लेने की पहल कर दी ताकि सत्येंद्र जैन के बाद अगला नंबर मनीष सिसोदिया का न लग जाए। ऐसें में नयी आबकारी नीति को वापस लेकर अपनी-अपनी गर्दन बचाने के प्रयास हो रहे हैं पर CBI तो CBI है। पश्चिम बंगाल में जिस तरह से राज्य सरकार के मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को सबूत समेत ED ने पकड़ा है, वैसे ही दिल्ली में भी इसी तरह का दृश्य दूसरे निकाय CBI के माध्यम से देखने को मिल सकता है।

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