विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया और फिर स्वयं ही हरवा दिया

अब वही विपक्षी दल यशवंत सिन्हा के मजे ले रहे हैं!

yashwant sinha

अंतर आत्मा से आत्मा की परमशांति तक यशवंत सिन्हा केम अ लॉन्ग वे! देश के प्रथम नागरिक के चयन के लिए राष्ट्रपति चुनाव में सोमवार को मतदान हुआ और धड़ल्ले से क्रॉस वोटिंग होने के परिणामस्वरूप यह भी तय हो गया कि चुनाव परिणाम मतदान वाले दिन ही आ गए हैं। राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू और यूपीए प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला कड़ा होने के बजाय इतना आसान हो गया कि मतदान के दिन ही अनुमान लगने लगे कि कौन जीतेगा और कौन नहीं। इसी क्रम में यशवंत सिन्हा को लेकर ये तो कहा ही जा सकता है कि चुनाव तो हार गए हैं और तो और स्वयं विपक्ष ने इसे सार्वजनिक कर दिया है।

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क्रॉस वोटिंग के दावों के बीच अगला राष्ट्रपति लगभग तय

दरअसल, द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग के दावों के बीच अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए सोमवार को चुनाव हुए। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू चुनावों से पहले ही विपक्ष के यशवंत सिन्हा से आगे दिखायी दे रही थीं, और रही बची कसर कई विपक्षी पार्टियों ने उनके समर्थन की घोषणा कर पूरी कर दी थी। बाकी काम सोमवार को पूर्ण हुआ जब एक के बाद एक नए राज्य से क्रॉस वोटिंग की खबरें आने लगीं। यही नहीं चुने हुए प्रतिनिधियों ने सामने आकर कहा कि हममें द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मतदान किया है।

ज्ञात हो कि सोमवार सुबह ही, चुनाव शुरू होने से पूर्व संयुक्त विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा एक बार पुनः वही बात दोहराते हुए दिखे कि, “सभी विधायक और सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर मतदान करें। उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक पार्टियां उन्हें इन चुनावों में व्हिप से नहीं बांध सकती हैं।” बस एक के बाद एक करते हुए यशवंत सिन्हा अंतरात्मा की आवाज कहते रहे और सही मायने में उन सभी विधायकों और सांसदों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनीं और वही किया जो उन्हें ठीक लगा।

सोमवार सुबह चुनाव के लिए मतदान शुरू हुआ और दोपहर होते होते दिख गया कि पलड़ा किसका भारी है और 21 जुलाई को मतगणना के दौरान ऊंट किस करवट बैठेगा। दरअसल, एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के अतिरिक्त यूपीए तक का साथ कुछ इस प्रकार मिला कि कई राज्यों के विधायकों और सांसदों ने एक के बाद एक करके अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन ली और यशवंत सिन्हा के पक्ष में मतदान करने के बजाय द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान कर आए।

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ओडिशा के एक विधायक ने क्या कहा?

ओडिशा के एक विधायक मोहम्मद मोकीम ने कहा कि, “मैं एक कांग्रेस विधायक हूं लेकिन मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। यह मेरा निजी फैसला है क्योंकि मैंने अपने दिल की बात सुनी है जिसने मुझे धरती के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया और इसलिए उन्हें वोट दिया।”

कांग्रेस के एक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो विधायकों सहित कई विधायकों ने रिकॉर्ड पर दावा किया कि उन्होंने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। गुजरात में राकांपा विधायक कांधल जडेजा ने कहा कि उन्होंने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया।

उत्तर प्रदेश के बरेली के भोजीपुरा से समाजवादी पार्टी विधायक शहजिल इस्लाम ने क्रॉस वोटिंग की है। सपा विधायक ने एनडीए (NDA) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट किया। भोजीपुरा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बने शहजिल इस्लाम ने क्रॉस वोटिंग की है।

ज्ञात हो कि, मुर्मू को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भी समर्थन का आश्वासन दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के दोनों धड़ों ने भी उनके समर्थन का वादा किया था। एक ओर जहां शिंदे गुट, जिसने भाजपा के साथ गठबंधन किया था, एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर रहा था, तो वहीं बाद में उद्धव ठाकरे गुट जो यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहा था, उसने भी पाला बदल लिया और सांसदों को एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करने के लिए निर्देशित किया।

अब राज्य में सरकार चला रही पार्टियों ने ही दूसरे से इतर अंतरात्मा की आवाज सुनकर मतदान करने की बात आ ही रही है तो झारखंड को तो भुलाया ही नहीं जा सकता है। यहां राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई वाली झामुमो ने राष्‍ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्‍मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का एलान किया है। झामुमो की ओर से कहा गया है कि आजादी के बाद पहली बार किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होने वाला है। पार्टी अध्यक्ष आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जी के पक्ष में मतदान करने हेतु सभी माननीय सांसद एवं विधायकगण को निर्देशित किया है।

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अब पार्टियां हों या निजी विचार सभी ने यशवंत सिन्हा के कहने पर अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर मतदान किया और बाहर आकर बता भी दिया कि चूंकि यशवंत सिन्हा जी ने अंतर आत्मा की आवाज सुनकर मतदान करने के लिए कहा तो सो हमने कर दिया। अब जब पार्टियों से लेकर सभी ने अंतर आत्मा की आवाज सुनकर मतदान कर ही लिया है तो निस्संदेह यशवंत सिन्हा चुनाव हार गए हैं और विपक्ष ने इसे सार्वजनिक कर ही दिया है।

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