योगी आदित्यनाथ के मंत्रियों में भागम-भाग क्यों मची है?

योगी की नीति के आगे नहीं टिक पाए मंत्री जी!

yogi adityanaath

“नेता हो, अफसर हो या फिर अपराधी किसी को भी नहीं बख्शेंगे।” यह बयान दिया था उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले ही कार्यकाल में यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। इसी तरह उनकी सरकार किसी भी हाल में किसी भी अनैतिकता, भाई-भतीजावाद, सिस्टम में किसी भी तरह की ढिलाई या फिर किसी भी तरह की गड़बड़ियों को बर्दाश्त करने से परहेज करती दिख रही है। भले ही योगी सरकार के मंत्री स्वयं ही इसमें क्यों न फंस जाएं, योगी आदित्यनाथ उनके विरुद्ध भी कार्रवाई करने में जरा भी नहीं झिझक रहे हैं।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे मुख्यमंत्री योगी की जीरो टॉलरेंस की सख्त नीति ने अब उन्हीं की पार्टी के नेताओं और मंत्रियों को मुसीबत में डाल दिया है। उनके स्वयं के मंत्री ही अब दिल्ली भागे-भागे फिर रहे हैं।

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मंत्रियों की नाराजगी की खबर सामने आ रही है

दरअसल, योगी मंत्रिमंडल के मंत्रियों की नाराजगी की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ की ताबड़तोड़ कार्रवाई से उनके मंत्री नाराज चल रहे हैं। सूची में पहला नाम है PWD मंत्री जितिन प्रसाद का। चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए जितिन प्रसाद को योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में लोक निर्माण विभाग का जिम्मा सौंपा गया। हाल ही में उनके विभाग में 350 से भी अधिक इंजीनियर्स के तबादले किए गए। परंतु इन तबादलों में कुछ गड़बड़ियां भी निकलकर सामने आयी हैं।

दरअसल, PWD मंत्रालय में ऐसे अधिकारियों का भी ट्रांसफर कर दिया गया जो जीवित तक नहीं थे। तबादले की इन गड़बड़ियों की बात जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानों तक पहुंची तो उन्होंने पूरे मामले पर सख्ती दिखाते हुए न केवल जांच बैठायी बल्कि इसके साथ ही जितिन प्रसाद के OSD अनिल कुमार पांडेय पर भी गाज गिरायी। ओएसडी अनिल कुमार पांडेय की सेवा केंद्र को वापस कर दी गयी। OSD जितिन प्रसाद के करीबी बताए जाते हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई से मंत्री जितिन प्रसाद नाराज हो गए हैं और इसी कारण वो गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए दिल्ली की तरफ भागने लगे।

जितिन प्रसाद के अलावा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी नाराज हो गए हैं। सीएम योगी की भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को बैचेन कर दिया है। ब्रजेश पाठक योगी सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं। उनकी नाराजगी के पीछे का कारण भी तबादले का “खेल” ही बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में हुए कई तबादलों पर आपत्तियां जतायी गयी। आरोप है कि ट्रांसफर के दौरान तबादला नीति को दरकिनार किया गया। जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन तबादलों को लेकर भी जांच बैठा दी।

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मुख्यमंत्री योगी की नसीहत

योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति ने उनके मंत्रियों को ही परेशान करके रख दिया है। हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री योगी अपने मंत्रियों को यह नसीहत देते नजर आए कि वे अपने दफ्तर और निजी स्टाफ पर आंख बंद करके भरोसा ना करें। सीएम ने साफ शब्दों में कह दिया कि भ्रष्टाचार और अनियमितता की एक भी घटना बर्दाश्त करने योग्य नहीं होगी।

योगी आदित्यनाथ की सरकार में जिस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक के बाद एक एक्शन लिए जा रहे हैं, जिस तरह से गड़बड़ियों पर चोट की जा रही है उससे यह तो साफ है कि योगी केवल बातें ही नहीं करते, वो काम करके भी दिखाते है। योगी आदित्यनाथ की शुरुआत से ही छवि एक सख्त फैसले लेने वाले नेता के तौर पर रही है। वो भ्रष्टाचारियों पर जरा भी रहम नहीं दिखाते। फिर चाहे कोई बड़ा अधिकारी या फिर कोई नेता ही क्यों न जांच के दायरे में हो, वे किसी की भी परवाह नहीं करते। योगी की यही जीरो टॉलरेंस की नीति अब उनके कुछ मंत्रियों को खटकने लगी है और इन्हीं कारणों से वो मुंह फुलाए दिल्ली की तरफ भागने लगे है।

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