इस बार तो केजरीवाल पर मानो साढ़े साती मंडरा रही है। आम आदमी पार्टी के एक के बाद एक काले कारनामे सामने आते जा रहे हैं और केजरीवाल चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। परंतु महाशय को नई आबकारी नीति पर हुई कार्रवाई से राहत भी लेने का समय नहीं मिला था कि अब सीबीआई ने उनके ‘बस खरीद’ की जांच करने का निर्णय किया है। जी हां, जिन 1000 बसों का उद्घाटन कुछ माह पूर्व अरविंद केजरीवाल ने बड़े गाजे बाजे सहित किया था, उसके पीछे अब सीबीआई ने प्रारम्भिक जांच के निर्देश दिए हैं।
न्यूज 18 के रिपोर्ट के अंश अनुसार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रारंभिक जांच दर्ज की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के संदर्भ पर जांच दर्ज की गई है। हालांकि, दिल्ली सरकार ने बस खरीद में भ्रष्टाचार के ‘आरोपों’ का खंडन किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सीबीआई का इस्तेमाल करके उसे ‘परेशान’ करने का आरोप लगाया है।
और पढ़ें: सीएम केजरीवाल ने अपने ही खूबसूरत हाथों से बिगाड़ा अपना भव्य प्लान
ध्यान देने वाली बात है कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा बसों की खरीद के वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) में ‘भ्रष्टाचार’ का मामला इस वर्ष मार्च में दिल्ली विधानसभा में भाजपा द्वारा उठाया गया था। जून में पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने एएमसी में प्रक्रियागत ‘खामियां’ पाई थी और इसे खत्म करने की सिफारिश की थी।
यह निस्संदेह काफी चौंकाने वाले तथ्य हैं परंतु पूर्णतया अप्रत्याशित नहीं। यह खरीद फरोख्त तो मात्र एक उदाहरण है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने दिल्ली के परिवहन को भंगारखाना में परिवर्तित कर दिया और उसके बारे में जिसका लिखा जाए, उतना कम है। हाल ही में डीटीसी की कई बसें बीच रोड पर स्वाहा होती नजर आई। ऐसे में राज्य की जनता पीड़ा में “डीटीसी बसें हो रही हैं कम, आओ केजरी को बताये हम” के नारे लगाने को तैयार बैठी है।
दिल्ली के अपने ढकोसले मॉडल को ध्वस्त करने के लिए केजरीवाल स्वयं ही काफी हैं। दिल्ली को लंदन-पेरिस के समकक्ष बनाने वाले दावों के प्रणेता अरविंद केजरीवाल ने असल में दिल्ली को दिल्ली भी नहीं रहने दिया है। उनके झूठ से दिल्ली की जनता त्रस्त हो चुकी है, जो केजरीवाल के झूठ के साम्राज्य में सेंध लगाते दिख रहा है। असल में केजरीवाल सरकार ने विज्ञापनों में जितना बस-बस चिल्लाया, उसपर लगाया हुआ राजस्व वास्तव में नई बसों और उनके रख-रखाव के लिए उपयोग में लाया जाता तो ऐसी हालात होती ही नहीं। दिल्ली में महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा के नाम पर जो डीटीसी पर अतिरिक्त दबाव डाला गया वो कितना जायज है वो सबको पता है, पर फ्री की बीमारी ने राज्य की जनता को ऐसा जकड़ा हुआ कि चार दिन कमाने की न सोचते हुए अब हर इंसान फ्री में क्या और कितना मिल पाए उसपर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
राज्य की जनता को काल के गाल में डालने के क्रम में केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार डीटीसी बसों को गायब कर, नई बसों को लाने के नाम पर किश्तों में बसों का उद्घाटन कर रही है इससे बड़ा धोखा राज्य की जनता से क्या ही होगा। आला अधिकारियों से रखरखाव और फॉल्ट के बयान दिलाने के अतिरिक्त यदि केजरीवाल सरकार असल कारण की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए उसपर कार्रवाई करती तो शायद ये सब होता ही नहीं। ऐसे में केजरीवाल की मुफ्तखोर राजनीति अब उन्हीं को काटने दौड़ रही है। जिस प्रकार से उन्होंने अपना झूठ का साम्राज्य खड़ा किया है वही अब ताश के पत्तों की भांति बिखरता हुआ दिखाई प्रतीत हो रहा है।
और पढ़ें: केजरीवाल जैसे नेताओं की राजनीति ख़त्म कर देगी मोदी की ‘फ्रीबी कमेटी’
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।