जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग काफी लंबे समय से उठती आई थी, लेकिन ये मसला हर बार टलता ही रहा। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस फैसले को लिया, जिसे मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अब तक का सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 5 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था और उसी दिन पारित किया गया था। अगले दिन लोकसभा ने इसे मंजूरी दे दी। 5 अगस्त 2022 को धारा 370 को हटाए हुए तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं। एक तरफ जहाँ लोगों ने कश्मीर की लाल चौक में तिरंगा लगाकर जश्न मनाया वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर पाकिस्तान, चीन और इस्लामिक संगठन ओआईसी (OIC) ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापा।
जहाँ पाकिस्तान तो 5 अगस्त को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाकर अपने घावों पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहा है। वहीं इस बार पकिस्तान के आका स्वयं ताइवान पर मिसाइलें दागने वाला चीन कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान को बातचीत और परामर्श के माध्यम से अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना को कह रहा है। स्वयं एक कम्युनिस्ट पार्टी की गिरफ्त में अटके देश चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुअ चुनयिंग स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश भारत को ‘विशेष रूप से पार्टियों को संयम और विवेक’ रखने का सुझाव दे रही है। चीन के बयान के बाद अब स्थिति हास्यास्पद सी प्रतीत हो रही है।
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जम्मू-कश्मीर में धारा 370 समाप्त हुए 3 साल पूरे होने पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी (OIC) ने भी भारत के लोकतंत्र पर प्रश्न उठाने की कोशिश करते हुए एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा, ”5 अगस्त 2022 को भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर में अवैध और एकतरफा कार्रवाई की तीसरी बरसी है. इसके बाद कश्मीर में अवैध जनसांख्यिकीय बदलाव समेत कई अवैध कदम उठाए गए। इस तरह की अवैध कार्रवाई न तो जम्मू-कश्मीर की विवादित स्थिति को बदल सकती है और न ही कश्मीर के लोगों के वैध अधिकारों को प्रभावित कर सकती है।”
ओआईसी ने अतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) के प्रस्तावों के तहत जम्मू-कश्मीर विवाद के हल के लिए उचित कदम उठाए।
Recalling the resolutions of the Islamic Summit and Council of Foreign Ministers on #Jammu and #Kashmir, the General Secretariat reaffirms the #OIC’s #solidarity with the #Kashmiri people in the realization of their inalienable right to self-determination.
— OIC (@OIC_OCI) August 4, 2022
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान या चीन के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन जो तीखा जवाब इसने ओआईसी को दिया है। वह इस इस्लामिक संगठन को आजीवन स्मरण रहेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि “ऐसे बयान ओआईसी को केवल ऐसे संगठन के रूप में उजागर करते हैं जो आतंकवाद के माध्यम से सांप्रदायिक एजेंडे के लिए समर्पित हैं।”
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि “जम्मू-कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिव का जारी बयान कट्टरता की बात करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और रहेगा। तीन साल पहले लंबे समय से प्रतीक्षित परिवर्तनों के परिणामस्वरूप यह आज सामाजिक-आर्थिक विकास के लाभों को प्राप्त कर रहा है।”
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ओआईसी के महासचिव के हालिया बयान के संबंध में मीडिया के सवालों के जवाब में, आधिकारिक प्रवक्ता श्री अरिंदम बागची ने कहा, “हमने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिव के भारत पर किये गए बयान को देखा है। भारत सरकार ओआईसी सचिवालय की अनुचित और संकीर्ण सोच वाली टिप्पणियों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है। भारत सरकार सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है। एक धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं। वे किसी भी रूप में भारत सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। इन व्यक्तियों के खिलाफ संबंधित निकायों द्वारा पहले ही कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है।”
आगे ओआईसी को आइना दिखाते हुए बागची ने कहा है कि “यह खेदजनक है कि ओआईसी सचिवालय ने फिर से प्रेरित, भ्रामक और उपद्रवी व नुक्सान पहुंचाने वाली टिप्पणीयां की हैं. यह केवल ओआईसी के निहित स्वार्थों के इशारे पर अपनाए जा रहे विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करता है। हम ओआईसी सचिवालय से अपने सांप्रदायिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने से रोकने और सभी धर्मों और धर्मों के प्रति उचित सम्मान दिखाने का आग्रह करते हैं।”
Our response to media queries regarding OIC General Secretariat’s Press Release on Jammu & Kashmir: https://t.co/3RRsCjljxR pic.twitter.com/bpjDN6ZTdL
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) August 5, 2022
कहते हैं कि “जिनके स्वयं के घर कांच के हों वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारते” लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसे देश शायद यह समझने में जितने विफल रहे हैं उतना ही विफल इस्लामिक संगठन ओआईसी (OIC) भी रहा है।
आए दिन भारत को कश्मीर पर बयान देने वाले देशों के लिए भारत के विदेश मंत्रालय ने इस साल मार्च में कहा था “चीन सहित अन्य देशों के पास भारत सम्बंधित मुद्दों, खासकर जम्मू और कश्मीर पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें ध्यान देना चाहिए कि भारत कभी दूसरों के आंतरिक मुद्दों के सार्वजनिक निर्णय नहीं करता है।” भारत हमेशा इस बात पर ज़ोर देता रहा है कि “जम्मू और कश्मीर पूरी तरह से भारत के आंतरिक मामले हैं। जम्मू और कश्मीर “हमेशा से भारत का था, है और हमेशा रहेगा। यह देश का अभिन्न अंग बना रहेगा।”
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