राफेल घोटाले के आकस्मिक निधन के बाद, पेगासस घोटाले ने भी दम तोड़ा

हाय रे! बुद्धिहीन विपक्ष के हाथ से तो अब पेगासस का मुद्दा भी निकल गया

Pegasus

सब मिले हुए हैं जी… अरविंद केजरीवाल की यह लाइन आज उन सभी के लिए कही जानी चाहिए जो राफेल की तर्ज़ पर एक और आधारहीन मुद्दे पेगासस और उसके माध्यम से की जा रही जासूसी को सरकार के विरुद्ध भुना रहे थे। अब इस मुद्दे का ही दम निकल गया है तो राफेल के आकस्मिक निधन के बाद मान लेना चाहिए कि पेगासस मुद्दे के भी अंतिम दिन चल रहे हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने उसके अस्तित्व को नकार दिया है तो विपक्षियों का दावा तो यहीं मठियामेट हो गया जिसके बल पर सभी प्रमुख विपक्षी दल बीते वर्ष उछल रहे थे।

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एक रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच की गयी

दरअसल, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष बेंच ने गुरुवार को पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके अवैध निगरानी के आरोपों की जांच कर रही 3 सदस्यीय स्वतंत्र समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच की। पेगासस स्नूपिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक तकनीकी पैनल का गठन किया गया था ताकि उन रिपोर्टों की जांच की जा सके, जांच की जा सके कि सरकार ने पत्रकारों, सांसदों, प्रमुख नागरिकों और अदालत के कर्मचारियों की जासूसी करने के लिए इजरायली सैन्य-ग्रेड मैलवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं।

पेगासस मामले पर CJI जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई की जा रही है। इसी पीठ ने टेक्निकल कमेटी गठित की थी, इस कमेटी ने कई टेक्निकल मुद्दों पर जांच की है। जांच पड़ताल के दौरान कमेटी ने 29 उपकरणों और कुछ गवाहों की जांच पड़ताल और पूछताछ की बात कही है। इस पर CJI एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने गुरुवार को विशेषज्ञ पैनल द्वारा प्रस्तुत सीलबंद कवर रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया।

विशेषज्ञ पैनल के निष्कर्षों और सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गयी रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-

3 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट तीन भागों में है।

एक, डिजिटल इमेज वाली अदालत के आदेश के पैरा 61ए पर तकनीकी समिति है।

दो, आदेश के पैरा 61बी पर मामलों पर तकनीकी समिति की रिपोर्ट।

तीसरा, भाग पैरा 61सी के मामलों पर पर्यवेक्षण न्यायाधीश की रिपोर्ट है। समिति के प्रश्नों पर प्राप्त उत्तरों की एक फाइल भी प्रस्तुत की गयी।

तकनीकी समिति ने कथित स्पाइवेयर के लिए 29 फोन की जांच की। तकनीकी समिति द्वारा पांच फोन पर कुछ मैलवेयर पाए गए थे, लेकिन इसमें पेगासस के अंश थे या यह पेगासस था, यह निर्णायक नहीं है अर्थात इसकी पुष्टि नहीं हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस संदर्भ में कोई निर्णायक सबूत सामने नहीं आया है।

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पेगासस के बारे में

ज्ञात हो कि पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है। इस वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है, इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है। पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है। इस सॉफ्टवेयर के फोन में जाते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है। इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है।

वही बात है न कि बेकार आदमी कुछ किया कर, कपड़े उधेड़ कर सिया कर। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षियों को कोई ऐसा व्यक्ति सलाह देता है जिसे भारतीय राजनीति की लेश मात्र समझ नहीं है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में मुद्दों की कमी न कभी थी, न कमी है और न ही होगी। पर जहां कांग्रेस जैसे विपक्षी दल होंगे, वहां यदि परोसकर भी कोई जनहितैषी मुद्दा दे दिया जाएगा तब भी उस पर कोई क्रिया-प्रतिक्रिया हो जाए तो उसे चमत्कार ही समझा जाए क्योंकि आज का भारत का विपक्ष मुद्दाविहीन हो चुका है।

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