जैसे संशोधनों के साथ क़ानून के प्रावधान बदलने का अधिकार है। वैसे ही समय के अनुसार कौन सा कानून वर्तमान परिस्थिति में देश से मेल नहीं खाता उसे बदलना बेहद आवश्यक हो जाता है। इसी क्रम में भारत सरकार बहुत जल्द ही अपराधों के लिए दोषसिद्धि दर में सुधार और जांच प्रक्रिया को मानकीकृत करने के लिए भारत के सभी जिलों में पोर्टेबल फोरेंसिक लैब प्रदान करेगी। इस बारे में स्वयं भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए सरकार के जोर का हिस्सा है।
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ब्रिटिश युग के कानूनों में हो सकते हैं बड़े बदलाव
दरअसल, गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) गुजरात परिसर में पहले दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ब्रिटिश युग के कानूनों में बड़े बदलाव के लिए पिछले ढाई साल से विशेषज्ञों से परामर्श कर रही है जो आधुनिक, स्वतंत्र भारत के लिए पुराने हैं। शाह ने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव करने जा रही है। आजादी के बाद किसी ने भी इन कानूनों को भारतीय नजरिए से नहीं देखा।”
शाह ने कहा कि छह साल से अधिक की सजा वाले किसी भी अपराध के लिए कानूनी रूप से फोरेंसिक रिपोर्ट अनिवार्य कर दी जाएगी। उन्होंने स्नातकों को अच्छे प्लेसमेंट का आश्वासन देते हुए कहा, “इसके लिए बड़ी संख्या में फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी।” एक तीर दो निशाने लगाते हुए एक ओर शाह ने सरकार की फोरेंसिक रिपोर्ट अनिवार्य करने की मंशा ज़ाहिर कर दी तो वहीं यह भी आश्वासन प्रदान किया कि इस क्षेत्र में नौकरियों अर्थात् रोज़गार की कोई कमी नहीं होगी। किसी भी छात्र के लिए इससे बड़ी बात क्या ही होगी जहां उसे स्थायी और औचक नौकरी मिल जाएगी और उसे भटकना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, यह अब “थर्ड डिग्री” की उम्र नहीं है। “वैज्ञानिक साक्ष्य संग्रह और जांच पर जोर दिया जाना चाहिए।”
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“फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय ने आकार लिया”
शाह ने विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से अपने जुड़ाव को याद किया और कहा कि तब के सीएम मोदी ने सजा दरों में सुधार के लिए एक प्रणाली की कल्पना की थी। शाह ने अपने संबोधन में कहा कि, “फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) को मजबूत करने के बाद हमने महसूस किया कि इसके लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। इस प्रकार, दुनिया के पहले फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय ने आकार लिया।”
शाह ने कहा कि उनकी दृष्टि 2025 तक सभी राज्यों में एनएफएसयू परिसरों की स्थापना करना है। शाह ने कहा कि “जैसा कि भारत यूएस $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, इसे नशीले पदार्थों, नकली मुद्रा नोटों और साइबर हमलों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें एक मजबूत फोरेंसिक विज्ञान अनुशासन की जरूरत है।”
इस पूरे परिप्रेक्ष्य को देखें तो शाह के शब्दों और देश की कानूनी परिस्थितियों से यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो जाता है कि समय की मांग के अनुरूप क़ानूनों और नियमावली में सरकार परिवर्तन करने के लिए कल भी तैयार थी, आज भी है और आगे भी रहेगी।
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