नीतीश कुमार की नाक के नीचे चल रहा था फर्जी पुलिस स्टेशन

ऐसा "सुशासन" भगवान किसी राज्य में न दे

fake Police station

बिहार में बहार बा, सही बात है, बिहार में बहार तो है, जंगलराज के लिए, भ्रष्टाचार के लिए, फर्जीवाड़े के लिए, धोखाधड़ी के लिए बहार है। भला जिस प्रदेश के मुखिया पल्टूराम श्री नीतीश कुमार हों जो सत्ता के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं, जिस प्रदेश के नवनिर्वाचित कानून मंत्री के विरुद्ध पद की शपथ लेने के मात्र 24 घंटे के भीतर ही कोर्ट वारंट जारी कर दे, उस राज्य में कैसी व्यवस्था चल रही है इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है। हाल के समय में इन्हीं नीतीश कुमार के बिहार में एक ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया जो सुशासन के खोखले दावों की पोल खोलकर रख देता है।

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पूरा थाना ही फर्जी निकला

पुलिस की वर्दी पहनकर टशन दिखाने वाले कई लोगों को देखा होगा आपने लेकिन क्या कभी ये सुना है कि पूरा का पूरा थाना ही फर्जी हो। अवश्य ही ये पढ़ना या सुनना आपके लिए नया हो लेकिन बिहार जैसे राज्य के लिए तो ये कोई नयी बात नहीं है। दरअसल, बिहार के बांका शहर में पिछले 8 महीने से पूरे शान के साथ एक निजी गेस्ट हाउस में फर्जी थाना चलाया जा रहा था। मतलब ये समझ लीजिए की पूरी व्यवस्था थी भइया, फर्जी दरोगा से लेकर फर्जी चौकीदार, जैसे की कोई बॉलीवुडिया फिलम की शूटिंग चल रही हो। जब तक असली थाने से आधा किलोमीटर दूर ही स्थित इस फर्जी थाने का ढोल नहीं फट गया तब तक तो एरिया में बहुत भौकाल था इस थाने का।

जिस तरह की जानकारी बांका थानाध्यक्ष शंभु यादव की तरफ से दी गयी है उसके मुताबिक एक गुप्त सूचना के तहत पुलिस एक क्रिमनल को पकड़ने गयी थी। इसी दौरान अनुराग गेस्ट हाउस के पास ही एक महिला और एक व्यक्ति को पुलिस के युनिफॉर्म में देखा गया। शक की सुई घूमी और पूछताछ की जाने लगी। पता चला कि स्वयं को महिला दरोगा बता रही थी तो वहीं साथ में जो व्यक्ति था वो स्वयं को चौकीदार बता रहा था। महिला के पास से तो एक अवैध हथियार भी पाया गया है। दोनों ऐसे दिखते थे मानो सच के पुलिसकर्मी हों। एसडीपीओ डीसी श्रीवास्तव के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक ये लोग सुरक्षा के नाम पर आम लोगों से पैसे भी लिया करते थे। इस गैंग के 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरोह के मास्टरमाइंड का अब तक पता नहीं चल पाया है।

अगर आपको ये सब जानकार ऐसा लगने लगे की यह बिहार का पूर्ण सत्य है तो आपको गलत लगता है। ये तो छिटपुट फर्जीवाड़े के उदाहरण मात्र हैं। बड़े-बड़े कारनामे के आरोप यहां बड़े-बड़े मंत्री और बड़े-बड़े नेता सिर माथे पर उठाए फिर रहे हैं।

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ADR की रिपोर्ट क्या कहती है

अभी कुछ ही दिन बीते हैं जब राज्य में महागठबंधन की सरकारी बनी है, नीतीश कुमार की JDU और लालू प्रसाद यादव की RJD वाली। इन दोनों ही पार्टियों के मंत्रियों का पूरा लेखाजोखा भी लगे हाथ सामने आ गया जब Association for Democratic Reforms यानी ADR की रिपोर्ट सामने आयी। नीतीश कुमार शासित इस राज्य के मंत्रिमंडल में 72 प्रतिशत मंत्री ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज कराए गए हैं। ADR की आयी रिपोर्ट बताती है कि 33 मंत्रियों में 23 पर केस चल रहे हैं। 17 पर तो गंभीर आपराधिक आरोप हैं। RJD के 17 मंत्रियों में से 15 पर केस चल रहे हैं और JDU के 11 में से मात्र 4 के विरुद्ध केस दर्ज हैं। उप मुख्यमंत्री के पद को संभाल रहे तेजस्वी यादव के विरुद्ध ही 11 मामले दर्ज हैं।

अब जब सरकार में बैठे लोग पर ही एक से एक मामले दर्ज हों तो जरा सोचिए कि उस राज्य में भीतर ही भीतर कितना फर्जीवाड़ा विद्यमान होगा। सोचिए कि भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी जैसे अपराध को अंजाम दे देना कितना आम होगा। बिहार की ऐसी दयनीय स्थिति देखकर एक ही प्रश्न दिमाग में आता है कि क्या इस निरीह राज्य का कोई माई बाप नहीं है। बिहार का अतीत अपनी अद्भुत संस्कृति और समृद्धि के लिए जाना जाता था लेकिन वर्तमान घोर संकट में जान पड़ता है।

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