‘दोबारा’ की टीम ने बेकार ही मेहनत किया! जिस फिल्म को विवेक अग्निहोत्री की ताशकंद फाइल्स से भी कम स्क्रीन के साथ ओपनिंग मिली हो, उसे भला कौन सीरियसली लेगा? सीरियसली लेना बनता भी नहीं क्योंकि यह फिल्म उस काबिल है ही नहीं! जी हां, हम बात कर रहे हैं अनुराग कश्यप की फिल्म दोबारा की, जो रिलीज के साथ ही फ्लॉप हो गई है! इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि अनुराग कश्यप कैसे अब राम गोपाल वर्मा बनने की राह पर चल पड़े हैं और उनका विनाश राम गोपाल वर्मा से भी भयंकर होना तय है।
दरअससल, बॉयकॉट बॉलीवुड अभियान ने एक दावानल का रूप धारण कर लिया है। इससे न केवल “सम्राट पृथ्वीराज”, “शमशेरा”, “लाल सिंह चड्ढा” जैसे बड़े बड़े फिल्मों का सर्वनाश हुआ है अपितु अब यह बॉलीवुड के हिंदू विरोधी और भारत विरोधी लोगों से संबंध रखने वाले लोगों की फिल्मों को भी निगलते जा रहा है। विश्वास न हो तो हाल ही में तापसी पन्नू अभिनीत और अनुराग कश्यप की फिल्म ‘दोबारा’ का हश्र देख लीजिए या विजय देवरकोंडा के लाईगर को ही देख लीजिए, जिसके विरुद्ध भी अब ट्विटर पर बॉयकॉट अभियान प्रारंभ हो गया है।
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परंतु इन सब का अनुराग कश्यप के पतन से क्या लेना देना? और वो राम गोपाल वर्मा की परिपाटी पर कैसे चल पड़े हैं? एक समय पर ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘नो स्मोकिंग’, ‘गुलाल’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्में देने वाले अनुराग कश्यप का वित्तीय और मानसिक स्थिति दोनों इस समय रसातल में है! भले वो दिखाने का प्रयास न करें पर कम से कम उनकी बातों से तो यही प्रतीत होता है। हाल ही में जब RRR को वैश्विक स्तर पर लोगों से बधाइयां मिल रही थी और कुछ पोर्टल्स एवं मैगज़ीन ने ये भी अंदेशा लगाया है कि इस वर्ष RRR ऑस्कर पुरस्कारों के प्रमुख दावेदारों में से एक हो सकता है, तो अनुराग कश्यप ने बधाई तो दी पर साथ ही साथ ये भी आशा की कि द कश्मीर फाइल्स भूल से भी ऑस्कर के आस पास न भटके।
अरे ठहरिए, ये तो मात्र प्रारंभ मात्र है। महाशय से जब बॉलीवुड की दुर्दशा पर उनके विचार पूछे गए तो इन्होंने कहा कि असल समस्या यह है कि लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे ही नही हैं। पनीर पर GST लगा हुआ है। खाने की चीजों पर GST लगाया हुआ है। इन सब चीजों से ध्यान भटकाने के लिए बायकॉट का खेल खेला जा रहा है। इतना सारा रायता फैलाने के बाद भी वो एक स्पैनिश फिल्म के रीमेक को रिलीज करने का दुस्साहस रखते हैं, उसके लिए उन्हें दाद देनी पड़ेगी। रिलीज होने के साथ ही उनकी फिल्म ‘दोबारा’ बुरी तरह से पिट गई है। परंतु ये बेशर्मी एक समय राम गोपाल वर्मा में भी खूब थी। वो “सरकार” तक बहुत सही जा रहे थे परंतु उन्हें खुजली मची ‘शोले’ का रीमेक बनाने की और लेकर आ गए ‘राम गोपाल वर्मा की आग’।
‘रक्त चरित्र’ से उन्होंने अपने आप को संभालने का प्रयास किया परंतु उसके बाद वो कभी भी राम गोपाल वर्मा नहीं रहे, जिनके फिल्मांकन के लिए उन्हें भारतीय सिनेमा में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। आज उन्हें कोई पानी भी नहीं पूछता और शीघ्र ही यही स्थिति अनुराग कश्यप की भी होने वाली है और उनकी अवस्था तो शायद राम गोपाल वर्मा से भी बुरी हो सकती है!
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