अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना उन कांग्रेसियों से सीखना चाहिए जो आका के सामने नंबर बनाने के चक्कर में कुछ भी बोल देते हैं। कांग्रेस की हालत कुछ ऐसी ही है जहां गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेता वर्षों पुराना नाता तोड़, कांग्रेस को छोड़कर नयी राह पर निकल पड़े हैं। वहीं उनके जाने के बाद चापलूस गुट अब भी चैन नहीं पा रहा है, वो गुट तो अब भी लगा है कांग्रेस की धनिया बोने में।
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जी-23 गुट से निकलते जा रहे हैं नेता
अब अगर कांग्रेस में ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब और कई पुराने नेता ऐसे ही कांग्रेस का साथ छोड़कर अपने नये गनतव्य की ओर निकल पड़ेंगे। यह कांग्रेस की ही खामी है जिसने ऐसे लोगों का चयन किया है जो कांग्रेस के अस्तित्व के सम्मुख नाग के समान प्रतीत होते हैं। ऐसे में यह समझ पाना मुश्किल नहीं कि गुलाम नबी आजाद वाला घटनाक्रम तो बस एक शुरुआत है।
कांग्रेस की अंदरूनी कलह से उत्पन्न हुए जी-23 गुट से एक और नेता कम हो गए हैं। ऐसे में अब यह गुट जी-23 नहीं बल्कि जी-18 हो गया है। वो ऐसे कि मनमुटाव के चलते पहले ही इस गुट के कई नेता पार्टी से अलग हो गए थे। इनमें से तीन ने पहले अन्य पार्टियां ज्वाइन कर लीं जिनमें जितिन प्रसाद भी हैं जो अब भाजपा में हैं और योगी सरकार में मंत्री हैं, अगला नाम है योगानंद शास्त्री का जो एनसीपी के साथी हो गए हैं, तीसरे नंबर पर है कपिल सिब्बल जिन्होंने कुछ माह पूर्व सपा ज्वाइन करने के साथ ही सपा की ओर से राज्यसभा चले गए। चौथा नाम है ठेठ कांग्रेसी वीरप्पा मोइली का जिन्होंने पिछले अक्टूबर में खुद को समूह से अलग कर लिया था।
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दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद ‘आजाद’ हो गये
अब नया नाम आया है दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद का। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आजाद ने न सिर्फ पार्टी छोड़ी बल्कि कांग्रेस से निकलने के बाद राहुल गांधी पर निशाना भी साधा। इसके बाद कांग्रेसी नेताओं के तंज भरे शब्दों की बौछार होने लगी।
पवन खेड़ा
कांग्रेस मीडिया कमिटी के प्रभारी पवन खेड़ा ने बहुत कुछ कहा और लिखा भी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि, “जब वे सारे फैसले ले रहे थे तो गर्व से कोर ग्रुप से ताल्लुक रखते थे। अब, जब दूसरे निर्णय ले रहे हैं, तो वह उन्हें चाटुकार के रूप में लेबल कर रहे हैं। आज कांग्रेस के सामने जो चुनौतियां हैं, वे उन्हीं जैसे नेताओं की वजह से हैं।”
When he was taking all the decisions, he proudly belonged to the core group. Now, when others are taking decisions, he labels them as sycophants. The challenges faced by the Congress today are because of leaders like him. https://t.co/bPs28nAhro
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) August 26, 2022
जयराम रमेश
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि, “अगर श्री आजाद और उनके रिमोट कंट्रोल को लगता है कि उनके इस्तीफे से 4 सितंबर को कांग्रेस पार्टी की महंगाई रैली और 7 सितंबर को भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत अस्थिर हो जाएगी, तो वे बहुत गलत हैं। इस्तीफे ने हमारे संकल्प को और मजबूत किया है!”
If Mr. Azad and his remote control think his resignation will destabilise the Congress party’s Mehangai Rally on Sept 4th and the launch of the Bharat Jodo Yatra on Sept 7th, they are grossly mistaken. The resignation has further strengthened our resolve!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 26, 2022
रणदीप सिंह सुरजेवाला
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा कि, “41 साल – 1980 से 2021 तक गाँधी परिवार की चार पीढ़ियों के साथ लगातार सत्ता का आनंद लिया (24 साल केंद्रीय मंत्री, 5 साल CM, 35 साल महासचिव)। अब उसी नेतृत्व और दल में सभी दोष नज़र आने लगे। व्यक्ति के चरित्र का यही मानक हैं। खुद सत्ता में, तो सब ठीक। सत्ता से ज़रा बाहर, तो सब ग़लत।”
41 साल – 1980 से 2021 तक गाँधी परिवार की चार पीढ़ियों के साथ लगातार सत्ता का आनंद लिया (24 साल केंद्रीय मंत्री, 5 साल CM, 35 साल महासचिव)।
अब उसी नेतृत्व और दल में सभी दोष नज़र आने लगे।
व्यक्ति के चरित्र का यही मानक हैं।
खुद सत्ता में, तो सब ठीक।
सत्ता से ज़रा बाहर, तो सब ग़लत। https://t.co/eA5ekzJk0G— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 26, 2022
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तो आपने देखा चाटूकारिता की सीमाएं किस तरह पार की जा रही हैं। वैसे यह सब तो हुआ गुलाम नबी आजाद पर प्रहारों का लेखा-जोखा। अब आगामी भविष्य में और कितने आजाद, आजाद होंगे इस पर बात करें तो वो नाम भी सामने आता है जो कि जी-23 गुट के पुराने नेता रहे हैं और वर्तमान में कांग्रेस सांसद हैं और ये हैं मनीष तिवारी। तिवारी ने गुलाम नबी आजाद पर हो रहे प्रहारों पर जवाब देते हुए कहा कि, “श्री आज़ाद के पत्र के गुण-दोष में नहीं जाना चाहते, वह समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे …लेकिन अजीब बात यह है कि जिन लोगों में वार्ड चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है, जो एक समय पर कांग्रेस नेताओं के “चपरासी” थे, जब ऐसे लोग पार्टी के बारे में “ज्ञान” देते हैं तो यह हास्यास्पद है …”
#WATCH | Congress MP M Tewari says, "Don't want to go into merits of Mr Azad's letter, he'd be in best position to explain…But strange that people who don't have capacity to fight a ward poll, were "chaprasis" of Congress leaders when give "gyaan" about party it's laughable…" pic.twitter.com/9dKLO2y2S8
— ANI (@ANI) August 27, 2022
अब यह समझना कोई बड़ी बात नहीं है कि मनीष तिवारी किन नेताओं की बात कर रहे थे। यह सर्वविदित है कि कांग्रेस की अंतर्कलह यूं आसानी से ख़त्म नहीं हो जाएगी। देखते जाइए आगे क्या-क्या होता है।
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