चीन: एक अंतरराष्ट्रीय मछली चोर

भ्रम में मत रहिए, चीन धूर्त ही नहीं उच्च कोटि का चोर भी है

Xi Jinping

चीन के बारे में एक बात बहुत प्रसिद्ध है कि चीन एक अकेला ऐसा देश है जहां टेबल को छोड़ कर चार पैर पर चलने वाली किसी भी चीज़ को लोग खा जाते हैं। हालांकि इस समय चीन में किसी चार पैर पर चलने वाले जानवर के नहीं बल्कि मछलियों के प्राण संकट में हैं। आज तक चीन केवल दूसरे देशों की भूमि पर जबरन अपना अधिकार जताने के लिए जाना जाता था लेकिन अब ज़मीन चुराने वाला चीन मछलियां चुराने पर आतुर है। जी हां, कई क्षेत्र इस समय वैश्विक मछली स्टॉक संकट का सामना कर रहे हैं। मछलियों की आबादी या तो पूरी तरह से शोषित है या लगभग ख़त्म होने की कगार पर है। जिस तरह कोरोना का संकट चीन से पैदा हुआ था उसी तरह इस संकट के पीछे का कारण भी और कोई नहीं बल्कि चीन ही है।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे चीन एक अंतरराष्ट्रीय मछली चोर बनकर उभरा है।

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एक तिहाई खपत के लिए अकेला चीन जिम्मेदार है

दुनियाभर में मछली की एक तिहाई खपत के लिए अकेला चीन जिम्मेदार है। मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और इस कारण चीन में इसकी मांग भी इतनी ज़्यादा है कि उस मांग को पूरा करते करते चीन पहले ही अपने तटीय क्षेत्रों की मछलियां ख़त्म कर चुका है। चीन दुनिया में सबसे अधिक मात्रा में समुद्री भोजन का उपभोग करता है जिसके फलस्वरूप सबसे अधिक आयात करता है। चीन के समुद्री भोजन की खपत वैश्विक मात्रा का 45% है, जिसका अर्थ है 144 मिलियन टन में से 65 मिलियन टन का समुद्री भोजन अकेला चीन खाता है।

ऐसे में चीन की भारी जनसंख्या की मछली की मांग को पूरा कर पाना चीन के लिए मुश्किल है। साथ ही चीन को अपनी आबादी का पेट भरने के लिए भी अनाज का आयात करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में चीन ने लगभग 65.36 मिलियन मीट्रिक टन अनाज और आटे का आयात किया। ये आंकड़े साफ़ दिखाते हैं कि चीन अपनी अनाज की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी अब आयात पर निर्भर होने लगा है।

जहां अनाज के उत्पादन के लिए केवल अच्छे फ़र्टिलाइज़र ही नहीं बल्कि उपजाऊ जमीन की भी आवश्यकता होती है वहीं उसके विपरीत उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और अपेक्षाकृत कम उत्पादन लागत को देखते हुए चीन ने अपनी जनसंख्या की खाद्यान्न की मांग को मछली से पूरा करना अधिक बेहतर और सस्ता जाना। यह उद्योग खाद्य मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने में सहायक साबित हो सकती थी। लेकिन चीन पहले ही अपना मछली भण्डार ख़त्म कर चुका था लेकिन चोरों की हेरा-फेरी कहां कभी छिपी है। वैसे भी यह पहली बार तो था नहीं की चीन कुछ चुरा रहा हो।

अपने देश की मछली की मांग को पूरा करने के लिए चीनी सैन्य समर्थित मछली पकड़ने वाले जहाज अब अन्य देशों के पानी में मछुआरों को धमकाने की कोशिश करने लगे। समुद्री मिलिशिया के रूप में डिजाइन किए गए चीनी मछली पकड़ने के जहाज, अमेरिका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया, भारत और फ़िलीपीन्स से भी मछलियां चुराने लगे। एक खबर के अनुसार चीन ने अकेले फ़िलीपीन्स से एक साल में लगभग 1.2 बिलियन किलो मछलियां चुराईं।

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चीन की अनियंत्रित लूट

चीन की दूसरे देशों के समुद्री क्षेत्र में यह अनियंत्रित लूट लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। चीन के इस अवैध रूप से मछली पकड़ने से होने वाले आर्थिक नुकसान का यदि आकलन किया जाये तो यह सालाना लगभग 20 बिलियन अमरीकी डॉलर है।

चीन 80% से 95% अवैध मछली पकड़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है, क्योंकि वह अपने स्वयं के पानी में मछलियां ख़त्म होने के बाद अपनी बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उदार सब्सिडी के साथ अवैध मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। जी हां, चीन अपने जहाज़ों को सब्सिडी देता है ताकि वे समुद्र में दूर तक जाकर दूूसरे के क्षेत्रों से मछलियां चुराकर ला सकें।

एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने दूर-पानी में मछली पकड़ने (डीडब्ल्यूएफ) के बेड़े में लगभग 17,000 जहाज काम पर रखे हैं। इन जहाज़ों से एक ही बार में ढेर साड़ी मछलियां लूटना चीन के लिए और भी आसान हो जाता है। साथ ही चीन उनका उपयोग रणनीतिक प्रभाव दिखाने और कमजोर देशों के मछली पकड़ने वाले जहाजों को धमकाने के लिए भी करता है। अपने देश के मछली भण्डार को समाप्त करने के बाद अब चीन दूसरे देशों के मछली भण्डार से चोरी करने पर आ गया है। ऐसे में ये समझना बहुत आसान है कि चीन धूर्त तो है ही, उच्च कोटी का चोर भी है।

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