चीन लंका-लंका कर रहा था, भारत ने ताइवान में उसकी लंका लगा दी

चीन का दांव उसी पर भारी पड़ गया

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हमारे वृद्धजन यूं ही नहीं कहते हैं कि “जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वो स्वयं उसी गड्ढे में गिर जाता है।” बड़ा गूढ़ अर्थ छुपा है इस कहावत के पीछे और यह कहावत चीन पर बेहतर बैठती है। परंतु, इस जड़मति देश को यह छोटी सी बात अगर समझ में आ जाती तो सीमा विवाद छोड़िए, आज ये कम्युनिस्ट राष्ट्र भी न होता।

जासूसी करने के चीन के कुटिल प्रयास ध्वस्त

लेकिन नहीं, अड़ाओ टांग, करो नौटंकी और जब भारत जैसे देश हौंक दे तो संसारभर में नैतिकता का राग रोते फिरो। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे चीन का दांव उसी पर भारी पड़ गया और कैसे भारत ने लंका-लंका करने वाले चीन की ताइवान में ही लंका लगा दी।

हाल ही में हमने देखा कि कैसे चीन द्वारा श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के माध्यम से गुप्तचरी यानी जासूसी करने के कुटिल प्रयासों को भारत ने पूर्णतया ध्वस्त कर दिया। परंतु कथा तो वहां से बस प्रारंभ हुई थी।

लंबे समय तक चले विवाद और काफी ना-नुकुर के बाद अंत में 16 अगस्त को चीनी जहाज युआन वांग 5 दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा। चीन ने सोचा तो होगा कि वो इस जहाज के माध्यम से भारत की जासूसी करेगा, परंतु उसका हर दांव उल्टा पड़ गया और भारत ने चीन को ऐसा मजा चखाया कि उसका जहाज दुम दबाकर भागने तक को विविश हो गया।

हाल ही में भारत ने ताइवान स्ट्रेट के सैन्यकरण पर प्रश्न उठाते हुए इस पर वैश्विक चर्चा करने की मांग की। अब आप सोच रहे हैं इसमें खास बात क्या है? असल में शुक्रवार को भारत ने ताइवान स्ट्रेट में यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने की चेतावनी दी और कहा था कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, “कई अन्य देशों की तरह भारत भी हाल के घटनाक्रमों से चिंतित हैं। हम क्षेत्र में संयम बरतने, यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव कम करने और शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों का आग्रह करते हैं।”

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भारत ने चीन का खुलकर विरोध किया

अब भारत वो देश है, जो खुलकर कभी भी ताइवान के पक्ष में बोलने से बचता रहा है, परंतु यहां उसने स्पष्ट तौर पर ताइवान स्ट्रेट में चीन द्वारा उग्रवाद को बढ़ावा देने के विरुद्ध अपना विरोध भी जताया है, यहां तक कि अप्रत्यक्ष तौर पर ये भी स्वीकार किया है कि ताइवान एक स्वायत्त देश है और चीन कृपया अपनी गुंडई से बाज आ जाए।

अगर ऐसा नहीं होता तो ताइवान का विदेश मंत्रालय भारत का आभार क्यों जताता? उनके आधिकारिक बयान के अनुसार, “..ताइवान की सरकार अमेरिका, जापान और भारत सहित अन्य सभी समान विचारधारा वाले देशों के साथ घनिष्ठ संचार और समन्वय बनाए रखते हुए अपनी आत्मरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना जारी रखेगी ताकि संयुक्त रूप से नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखा जा सके और ताइवान स्ट्रेट की सुरक्षा व हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि मजबूत हो सके।”

इससे पूर्व में भी भारत ने चीन की चालाकी का बड़ा ही चतुराई से जवाब दिया था। जब चीन का जलपोत श्रीलंकाई जलक्षेत्र में आया, तो भारत ने बड़ी ही सफाई से उसके जहाज के खिलाफ सैटेलाइट सिग्नल शील्ड लगा दी। युआन वांग 5 द्वारा उत्पन्न हुए सुरक्षा खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत ने चार उपग्रह और एक युद्धपोत तैनात किया। भारत द्वारा उपग्रहों का उपयोग चीनी जासूसी जहाज की निगरानी के लिए किया गया।

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भारत ने किए थे पूरे प्रबंध

इस उद्देश्य के लिए भारत ने दो जीसैट 7 उपग्रह, RI SAT और EMISAT जासूसी उपग्रह और नौसेना के संचार युद्धपोत को तैनात किया। भारत के सैन्य उपग्रहों रुक्मिणी और एंग्री बर्ड ने चीन को बखूबी जवाब देने का काम किया। EMISAT उपग्रह पर कौटिल्य इलेक्ट्रॉनिक खुफिया पैकेज का उपयोग करके सिग्नल परिरक्षण किया गया। इसके अलावा बड़े पैमाने पर एंटेना, रडार, सेंसर, डेटा अवशोषित प्रणाली और चीनी जहाज पर निगरानी को भी इंटरसेप्ट किया। अल्ट्रा-हाई फ्रीक्वेंसी को पकड़ने के लिए एंग्री बर्ड का प्रयोग किया गया।

इसी मिलिट्री सैटेलाइट ने चीन की हर चाल की निगरानी की। वहीं भारत की ओर से कोई भी संदेश सिग्नल शील्ड से आगे नहीं जा सका। इस दौरान रक्षा खुफिया ने देश के रक्षा, अनुसंधान और सैन्य केंद्रों को सतर्क रहने और इन दिनों संदेश भेजने से बचने की सलाह दी थी।

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इसके अलावा रिपोर्ट्स यह भी बता रही हैं कि भारत ने चीन को गुमराह करने और व्यस्त रखने के लिए चीनी इंटरसेप्टर के लिए फर्जी संदेशों का सहारा लिया और बेकार सूचनाओं से युआन वांग 5 एंटीना रिसीवर ही भर दिया। चीनी उपकरणों के लिए सटीक डेटा एकत्र करना मुश्किल हो गया। तो चीन हो या कोई भी अन्य महाशक्ति, संदेश स्पष्ट है – ये नया भारत है, कुदृष्टि से देखोगे तो घर में घुसेगा ही नहीं, दौड़ा-दौड़ा कर मारेगा और आवश्यकता पड़ने पर आपका तंदूरी फ्राई भी करेगा। आगे आपकी इच्छा और आपकी साम्राज्यवादी सोच।

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