दिव्या काकरान तो बस नया केस है, केजरीवाल की धूर्तता का पूरा इतिहास रहा है

एक ख़िलाड़ी को बार-बार वादा करके भी कोई मदद नहीं दी जा रही, प्रेस कॉन्फ्रेंस में कितना भोला-भाला दिखता है ये आदमी.

Commonwealth games

Source- TFI

नेताओं के दावे और वादे खोखले होते हैं यह सब जानते हैं लेकिन जब बात आम आदमी पार्टी की हो तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इस पार्टी के नेताओं की बातों में कितनी सच्चाई होती है! AAP के नेताओं की आदत रही है झूठ बोलने की, अब वो अरविंद केजरीवाल हों या आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता, वे जनता के सामने ऐसे झूठ परोसते हैं कि आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। ऐसा क्यों कहा जा रहा है इसके पीछे भी कई बड़े कारण हैं। भ्रष्टाचार विरोधी, सुशासन और भारत की राजनीति को बदलने के साथ पैदा हुई पार्टी आज पार्टी विद अ डिफ्रेंस के मायनों को ही डूबा ले गई। अपने झूठे वादों और दावों के चक्कर में आज आम आदमी पार्टी की झूठी राजनीति का पर्दाफाश हुआ है जो उन्नत भारत में दिए गए अपने योगदान का फर्ज़ी दिखावा करती आई है। असल में वास्तविकता तो कुछ और ही है जो कॉमनवेल्थ गेम्स के खिलाडियों ने अपने माध्यम से बताई है।

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दरअसल, बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों (CWG) में भारतीय एथलीट अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत की युवा पहलवान दिव्या काकरान ने देश का नाम रोशन किया। उन्होंने महिलाओं के 68 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। उनकी उल्लेखनीय सफलता के बाद बधाई संदेशों का तांता लग गया। लगे हाथ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी मैदान में कूद पड़े और वाह वाही करते दिखे पर दिव्या काकरान के मनोमस्तिषक में तो मानों कुछ और ही चल रहा था। चैंपियन पहलवान काकरान ने बधाई संदेश के जवाब में पहले तो सीएम केजरीवाल को धन्यवाद ज्ञापित किया।

लेकिन अपने अगले ही ट्वीट के जरिए उन्होंने दिल्ली सरकार को पानी पी पीकर कोसा। उन्होंने खिलाड़ियों के प्रति केजरीवाल सरकार की घोर उदासीनता और कई आधारों पर सरकार के भेदभावपूर्ण व्यवहार को उजागर किया। सीएम केजरीवाल को टैग करते हुए उन्होंने इस बात को स्पष्ट रूप से उजागर किया कि उन्हें आजतक केजरीवाल सरकार से कोई इनाम या सहायता नहीं मिली है।

काकरान ने कहा, “मैं दिल्ली के सीएम को मेरी पदक जीत पर बधाई देने के लिए धन्यवाद देती हूं। मेरा एक निवेदन है कि मैं पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में रह रही हूं और यहां कुश्ती का प्रशिक्षण भी ले रही हूं लेकिन मुझे राज्य सरकार से कोई पुरस्कार राशि नहीं मिली है और न ही मुझे कोई मदद मिली है।”

बता दें, यह पहली बार नहीं है जब पहलवान दिव्या काकरान ने अपनी जायज मांगों को लेकर केजरीवाल सरकार को उनकी नाकामी के लिए आईना दिखाया है। वर्ष 2018 में भी केजरीवाल के सामने बैठकर प्रेस वार्ता के बीच में काकरन ने दिल्ली सरकार के दोगले चरित्र का पर्दाफाश किया था। उन्होंने कहा, मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीता था और आपने मुझसे कहा था कि भविष्य में मुझे और मदद मिलेगी लेकिन बाद में मेरी कॉल का जवाब नहीं दिया गया। पहलवान दिव्या काकरान ने एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत उनके साथियों की मौजूदगी में यह कहा था कि “अच्छा हुआ आप आज हमें बधाई दे रहे हैं और पुरस्कृत कर रहे हैं लेकिन जब हमें सबसे ज्यादा जरूरत थी तब कोई समर्थन नहीं दिया गया।”

ध्यान देने वाली बात है कि यह वो असल दर्द और पीडा है जो पहलवान दिव्या काकरान जैसे खिलाडी अपनी तैयारी के दौरान महसूस करते हैं। जीत के पश्चात केजरीवाल जैसे नेता शिगूफे तो छोड़ जाते हैं पर खिलाडी संसाधनों के लिए मोहताज ही रहते हैं। कुछ ऐसा ही बीते वर्ष टोक्यो ओलंपिक के समय भी देखने को मिला था। राज्य की केजरीवाल सरकार ने जीत हासिल करने वाले खिलाडियों के नाम पर क्रेडिट खाने का काम करते हुए राज्य भर में हमेशा की भांति विज्ञापन की राजनीति की। तब उसी विज्ञापन वाली राजनीति में होर्डिंग पर लगे एक फोटो को संदर्भित करते हुए राजौरी गार्डन में रहने वाले 22 वर्षीय सार्थक भांबरी ने कहा था कि “दिल्ली सरकार मेरी मदद के लिए कभी नहीं आई, मुझे कभी कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।” उन्होंने आगे कहा है कि “राज्य भर में पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें लिखा है कि ‘दिल्ली बोले जीत के आना।’ कैसे जीत के आना? दिल्ली कहती है ओलंपिक में पदक जीतो। इस तरह कैसे जीतें?”

ऐसे में दिव्या काकरान द्वारा केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाना कोई नई बात नहीं है। अब उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी कुछ ऐसी गलतियां करने लगे हैं। बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पंजाब के दो एथलीट हरजिंदर कौर और विकास ठाकुर ने वेट-लिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य और रजत पदक जीते। हालांकि, जीत के बाद पंजाब सरकार ने कांस्य जीतने वाली हरजिंदर कौर को तो नकद पुरस्कार देने की तो घोषणा की पर विकास ठाकुर जो रजत पदक विजेता थे उन्हें मात्र शुभकामनाएं देकर छोड़ दिया। उसके बाद मान सरकार पर भेदभाव के आरोप लगे, जिसके बाद अब आप सरकार ने एक ‘सुधारात्मक’ कदम उठाते हुए विकास ठाकुर के लिए भी नकद पुरस्कार की घोषणा की है। यह सब जानते हैं कि सोशल मीडिया पर हुई फजीहत के बाद मान सरकार द्वारा यह सुधार की गई है। ऐसे में दोहरे मानदंडों के साथ राजनीतिक बिसात बिछा रहे इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री खिलाडियों की आंखों में चढ़ चुके हैं!

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