देखा जाए तो पिछले कुछ समय से विश्व में अशांति बढ़ रही है। वर्तमान समय में कई देश एक दूसरे के आमने सामने खड़े है। रूस और यूक्रेन के बीच तो महीनों से युद्ध जारी है। वहीं अमेरिका और चीन के बीच भी ताइवान के मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इस बढ़ती अस्थिरता के बीच परमाणु युद्ध का खतरा भी दुनिया पर मंडराता रहता है।
रूस को यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध छह महीनों के करीब का वक्त हो गया, परंतु दोनों देशों के बीच यह जंग अब तक अपने परिणाम पर नहीं पहुंच पाई। इस युद्ध के शुरू से ही परमाणु युद्ध में बदलने की संभावना बनी हुई है। तमाम पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन में खड़े होकर रूस को विश्व में अलग थलग करने के प्रयासों में जुटे है। इस युद्ध में पश्चिमी देशों की इन कार्रवाई के विरुद्ध रूस भी भड़ककर कई बार परमाणु युद्ध की धमकी देता रहता है।
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अमेरिका के रट्जर्स विश्वविद्यालय द्वारा अध्ययन में खुलासा
परमाणु युद्ध, यह दो शब्द विश्व में मौजूद किसी भी व्यक्ति के जेहन में डर पैदा करने के लिए काफी है। परमाणु युद्ध का परिणाम क्या होता है, यह पूरी दुनिया हिरोशिमा और नागासाकी के हालात देखकर अच्छे से जानती है। इस बीच परमाणु युद्ध को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसमें बताया गया कि अगर रूस और अमेरिका के बीच मौजूदा समय में परमाणु युद्ध छिड़ता है, तो इसका दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिका के रट्जर्स विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में खुलासा किया कि यदि आज के समय में रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो दुनियाभर में करीब पांच अरब लोग मौत के मुंह में समा जाएंगे। रट्जर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विश्व में संभावित छह परमाणु संघर्षों से होने वाले परिणामों का अध्ययन किया। इस अध्ययन में पाया गया कि अगर वर्तमान समय में अमेरिका और रूस के बीच पूर्ण पैमाने पर परमाणु युद्ध होता है, तो यह सबसे खराब स्थिति होगी और इससे आधी मानवता का सफाया हो जाएगा। हालांकि, इतने लोगों के मरने का कारण केवल बम ही नहीं बल्कि अकाल भी होगा। अनुमान की गणना परमाणु विस्फोट के कारण पैदा होने वाले कालिख के वायुमंडल में जाने के आधार पर की गई है।
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि रूस-अमेरिका के बीच परमाणु हमले के कारण खाद्य उत्पादन की कमी से सबसे अधिक लोग प्रभावित होंगे और यही लोगों की मौत का प्रमुख कारण बनेगा। रट्जर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटर सिमुलेशन के माध्यम से दिखाया कि युद्ध में परमाणु हथियारों के कारण ऊपरी वायुमंडल काला हो जाएगा और इससे सूर्य की रोशनी धरती पर नहीं आ पाएगी, जिससे दुनियाभर की फसलें बर्बाद होगी।
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शोध में हिमयुग को लेकर भी बड़ी चेतावनी
शोध में बताया गया कि अमेरिका-रूस में परमाणु युद्ध छिड़ा, तो ‘लिटिल आइस एज’ शुरू होगी। मौसम ठंडा हो जाएगा और हर ओर बर्फ दिखेगी, जो हजारों वर्ष तक रह सकती है। औसत तापमान करीब 13 डिग्री फारेनहाइट तक गिरने की संभावना है, जो सबसे पहले हिमयुग के मुकाबले काफी अधिक होगा। इससे पहले भी रटगर्स यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर और नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक रिसर्च के शोधकर्ताओं ने एक सिमुलेशन मॉडल के जरिए किए गए अपने अध्ययन में पाया था कि परमाणु युद्ध की स्थिति में पूरी दुनिया लंबे समय के लिए न्यूक्लियर विंटर में चली जाएगी।
रूस और अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच जहां परमाणु युद्ध छिड़ने से हिमयुग आने की संभावना जताई जा रही है, तो ऐसे में यह जानना बेहद ही आवश्यक हो जाता है कि आखिर यह हिमयुग है क्या? हिमयुग या हिमानियों का युग पृथ्वी के जीवन में आने वाले ऐसे युगों को कहा जाता है जिनमें लंबे अरसे के लिए पृथ्वी की सतह और वायुमंडल का तापमान कम हो जाता है। पृथ्वी पर गर्मी सूरज के माध्यम से पहुंचती है। परंतु सूरज की रोशनी कम पहुंचने लगे तो हिमयुग आने की संभावना बनी रहती है। बताया जाता है कि ऐसा कई बार हुआ जब पृथ्वी पर हिमयुग आए। वैज्ञानिक ऐसा मानते है कि भविष्य में भी हिमयुग आते रहेंगे।
बताया जाता है कि आखिरी हिमयुग आज से 20 हजार वर्ष पूर्व आया था, जब पृथ्वी 3-4 किलोमीटर मोटी बर्फ की चादरों से ढकी हुई थी। हालांकि फिर धीरे-धीरे बर्फ पिछली और करीब 1100 वर्ष पूर्व हिमयुग समाप्त हुआ। हालांकि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरें होने के कारण हिमयुग अब तक समाप्त नहीं हुआ और यह अपने अंतिम चरणों में है। इन बदलावों में हिम युग (Ice Age)भी एक अहम पड़ाव माना जाता है। हिमयुग को गुजरने में कुछ महीने या कुछ साल नहीं बल्की हजारों साल लग जाते है। कभी-कभी बहुत भयंकर वाली ठंडी आती है. हर जगह बर्फ बिखरी पड़ी होती है। और ये ठंड गुज़रने में हज़ारों साल लगा देती है। जी हां बात हो रही है हिम युग की।
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