तवलीन सिंह, हिंदू संन्यासी ऐसे ही काम करता है

योगी मॉडल ही देश के लिए सबसे बेहतरीन मॉडल है!

Yogi g, Tavleen Singh

Source- TFI

2017 से पहले का उत्तर-प्रदेश जिसने भी देखा है वो जानता है कि स्थिति क्या थी, थानों में गुंडों का राज था, सत्ताधारी पार्टी के गुंडे सड़कों पर आतंक मचाते थे। हिंदू अपना कोई भी त्योहार शांति से नहीं मना पाते थे, हर त्योहार पर पत्थर फेंके जाते थे। महीने में एक-दो दंगे तो हो ही जाते थे, शाम होते ही लड़कियां घर के अंदर बंद हो जाती थी।निवेश का माहौल दूर-दूर तक नहीं था, हर तरफ बस गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार, नेतागिरी, दादागिरी का माहौल था। पूरे देश में और दुनिया में उत्तर-प्रदेश की पहचान ही अपराध प्रदेश की बन गई थी। फिर वर्ष 2017 में उत्तर-प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनें और बस उत्तर प्रदेश बदल गया। उत्तर प्रदेश विकास के रास्ते पर चल पड़ा, कानून के रास्ते पर चल पड़ा, योगी मॉडल की देश-दुनिया में तारीफ हुई और अभी भी होती है लेकिन कुछ तथाकथित पत्रकारों को हिंदू संन्यासी के काम करने से बड़ी दिक्कत है। इस सूची में नया नाम तवलीन सिंह का है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर कैसे इस देश के लिए योगी मॉडल ही सबसे बेहतरीन मॉडल है।

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योगी मॉडल से बिलबिलाना कोई नयी बात नहीं है। योगी मॉडल के आलोचकों की लंबी सूची है। आलोचकों की सूची में शामिल हैं स्तंभकार तवलीन सिंह। नाम थोड़ा नया है लेकिन इन्हें योगी मॉडल से बहुत दिक्कत है। इन्हें लगता है कि योगी मॉडल देश के लोकतंत्र के लिए ख़तरा है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर योगी मॉडल देश के लिए ख़तरा है तो फिर देश के लिए अच्छा मॉडल कौन-सा है? राजस्थान का गहलोत मॉडल, जो NCRB के आंकड़ों के अनुसार अपराधों का गढ़ बन चुका है या ममता बनर्जी का बंगाल मॉडल जहां चुनावों में रक्तपात के सिवा कुछ नहीं होता और जीतने पर गोलियों की रास लीला खेली जाती है।

देश के लिए कौन-सा मॉडल अच्छा है, केरल का कम्युनिस्ट मॉडल, जहां खुलेआम PFI हिंदुओं और सिखों को धमकी देता है, जहां इस्लामिस्टों का आंतक छाया रहता है, जहां निवेश के नाम पर, विकास के नाम पर प्रकृति ने जो दिया है उसे छोड़कर कुछ नहीं है। क्या तमिलनाडु का स्टालिन मॉडल सही है जहां हर मंदिरों पर बुलडोजर चलाए जाते हैं, जहां यूट्यूबर को इसलिए जेल में डाल दिया जाता है क्योंकि वो सनातन धर्म की बात करता है। ऐसे में देश के लिए कौन-सा मॉडल अच्छा है तवलीन सिंह को इस पर अपनी कृपा बरसानी चाहिए। सीधे, सरल और स्पष्ट शब्दों में आपको बता दें कि इस देश में एक मॉडल काम कर सकता है- योगी मॉडल और हां, एक हिंदू संन्यासी कुछ इसी तरह से काम करता है।

दरअसल, हाल ही में तवलीन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था, ‘योगी मॉडल’ लोकतंत्र के लिए सीधा खतरा है।’ इस लेख में लिखा तो बहुत कुछ था पर असली दिक्कत उन्हें इस चीज से है कि दंगाईयों पर, बवालियों पर, जिहादी-उन्मादियों पर कार्रवाई क्यों हो रही है? अवैध निर्माणों पर बुलडोजर क्यों चलाए जा रहे हैं? चलिए, उत्तर-प्रदेश में यह हो रहा है लेकिन दूसरे राज्य इसे क्यों अपना रहे हैं? सवाल यह उठता है कि आखिर किस चिंता में तवलीन सिंह अपना खून जला रही हैं, अपराधियों पर कार्रवाई हो रही है इस चिंता में या कुछ और!

तवलीन सिंह ने अपने लेख में लिखा है कि “जिन देशों में कानून प्रणाली के नियमों के तहत किसी को दंडित नहीं किया जाता है, उनको लोकतांत्रिक नहीं, तानाशाही कहा जाता है। इसलिए योगी मॉडल की तारीफ जो करते हैं उनको शर्म आनी चाहिए। योगी माडल का मतलब है कानून-व्यवस्था की जगह बुलडोजर लाना।” बिल्कुल सही कहा आपने, बुलडोजर ही है योगी मॉडल का मतलब और यही होना भी चाहिए। अगर आपको योगी मॉडल से इतनी ही समस्या है तो आज़ादी के 75 वर्ष होने वाले हैं, अबतक कहां थी आप? वर्ष 2017 से पहले बिना बुलडोजर के कानून व्यवस्था को सही तरीके से क्यों नहीं चलाया गया? अगर स्थितियां पहले से ही सही होती तो बुलडोजर की जरुरत ही क्या थी? और ऐसे लेख लिखकर आप किसे बचा रही हैं, किसके लिए कानून की दुहाई दे रही हैं? उन अपराधियों के लिए जो दंगे करते और कराते हैं, जो चोरी, लूट, डकैती करते हैं, जो हत्याएं करते हैं, जो बलत्कार करते हैं, उनके लिए बुलडोजर मॉडल ही सबसे सही मॉडल है।

खैर, अगली बात पर आते हैं। बुलडोजर से हाल ही में कई बाहुबलियों के घर गिराए गए। जनता से लूट-खसोट के करोडों की संपत्ति के आसामी बने अतीक अहमद, आज़म खान, मुख्तार अंसारी अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं। इनकी संपत्तियों के ऊपर बुलडोजर चला है, इस कार्रवाई पर तवलीन सिंह की अंतरात्मा ने जवाब दे दिया। उन्होंने लेख में विशेष रूप से इस जमींदोज़ वाली कार्रवाई पर लिखा कि “मकान कभी सिर्फ मकान नहीं होता। उसकी चार दीवारों के अंदर कैद होती हैं किसी परिवार की सारी यादें, सारी मेहनत, सारी उम्मीदें।” आखिर किस याद, उम्मीद और मेहनत की बात कर रही हैं तवलीन सिंह? कौन-सी मेहनत, जनता का खून चूसकर उनकी खून पसीने की कमाई को बेईमानी से अपना बना लेना वो मेहनत?

आपको बता दें कि योगी मॉडल से अपराधियों के मन में खौफ पैदा हुआ है और जनमानस इस मॉडल को अपनी स्वीकृति दे रहा है तभी दोबारा से योगी के चेहरे पर उत्तर प्रदेश की जनता ने मुहर लगाई। इसलिए स्पष्ट तौर पर समझ लीजिए कि योगी मॉडल लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है बल्कि लोकतंत्र का उद्धारक है। ऐसे में अगर आज योगी मॉडल देशभर में सराहा जा रहा है, जनमानस अपनी स्वीकृति दे रहा है तो तवलीन सिंह की तथाकथित राय का कोई मोल नहीं है। आप रुदाली राग गाती जाओ। देश दंगाइयों, बवालियों, जिहाद-उन्माद फ़ैलाने वालों से योगी मॉडल की तर्ज पर लड़ने में सक्षम है।

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