पहले द कश्मीर फाइल्स, फिर RRR और अब RSS पर फिल्म, बदल रही है भारतीय सिनेमा की स्थिति!

राजामौली के पिताजी बना रहे हैं RSS पर फिल्म.

V Vijayandra

Source- TFI

आखिर वो समय आ ही चुका है, देशप्रेमियों को जिसकी मानों दशकों से प्रतीक्षा थी। सदैव हमें इस बात से आपत्ति थी कि भारतीय सिनेमा भारत के असली नायकों और उनके योगदानों, भारत के असल इतिहास के अनुसार फिल्में नहीं बनाता, भारत के वास्तविक इतिहास को चित्रित नहीं करता। परंतु अब और नहीं, इसका प्रारंभ हो चुका है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे द कश्मीर फाइल्स और रौद्रम रणम रुधिरम की प्रचंड सफलता के पश्चात अब भारतीय कंटेंट एक क्रांतिकारी बदलाव का साक्षी बनने जा रहा है, जिसके सूत्रधार होंगे वी विजयेंद्र प्रसाद

लगता है कि RRR की अपार सफलता के पश्चात वी विजयेंद्र प्रसाद का मन अभी भरा नहीं है। उन्होंने एक भव्य प्रोजेक्ट बनाने का निर्णय किया है और सोचिए ये प्रोजेक्ट किसपर आधारित होगा? दरअसल, यह प्रोजेक्ट है एक फिल्म और एक वेब सीरीज़, वो भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली, उसके इतिहास एवं वर्तमान भारत के नीति निर्माण में उसके योगदान पर आधारित। जी हां, यही सत्य है!

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विजयवाड़ा में दिए गए एक सम्बोधन में वी विजयेंद्र प्रसाद कहते हैं, “RSS को लेकर मेरी सोच पहले सकारात्मक नहीं थी लेकिन अब मैं इस संगठन के प्रति नतमस्तक हूं। 4 वर्ष पहले मुझे RSS पर फिल्म लिखने को कहा गया। चूंकि इसके लिए मुझे रुपए मिले थे, इसीलिए मैंने नागपुर जाकर मोहन भागवत से मुलाकात भी की। मैं वहां 1 दिन रुका और पहली बार देखा-समझा कि RSS क्या है और कैसे काम करता है। मुझे काफी पश्चाताप हुआ कि मैं इतने महान संगठन से अब तक परिचित नहीं था। अगर RSS नहीं होता तो आज कश्मीर भी नहीं होता। पाकिस्तान की वजह से लाखों हिन्दू मारे जाते।”

यानी जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इतिहास से मिटाने का प्रयास किया गया, जिनके योगदानों को अनदेखा किया गया, उन्हें अब वी विजयेंद्र प्रसाद अपनी कलम की शक्ति से पुनः जागृत करेंगे। परंतु यही एकमात्र बात नहीं, जिसके कारण विजयेंद्र प्रसाद वामपंथियों के रातों की नींद उड़ा रहे हैं। अश्विन गंगराजू के निर्देशन में 1770 नामक एक बहुभाषीय फिल्म भी प्रदर्शित होने जा रही है, जिसका मोशन पोस्टर हाल ही में प्रदर्शित हुआ है। यह फिल्म प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं इतिहासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ पर आधारित है, जो चर्चित संन्यासी विद्रोह पर आधारित है और जो तेलुगु समेत बंगाली, हिन्दी, तमिल, मलयालम समेत अनेक भाषाओं में प्रदर्शित होने को तैयार है। इसे बाहुबली और RRR जैसे विश्वप्रसिद्ध कृति रचने वाले वी विजयेन्द्र प्रसाद ने ही लिखा है।

परंतु ये संन्यासी विद्रोह था क्या, जिसपर ‘आनंदमठ’ आधारित है? दरअसल, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी के पत्र व्यवहार में कई बार फकीरों और संन्यासियों के छापे का उल्लेख किया गया है। 1770 ईस्वी में पड़े बंगाल में भीषण अकाल के बाद भी अंग्रेज़ अफसर कर वसूलने पर जोर देते हैं। इसके विरुद्ध सनातनी संन्यासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। ये संन्यासी धार्मिक भिक्षुक थे पर मूलतः वह किसान थे, जिसकी जमीन छीन ली गई थी। इसी संन्यासी विद्रोह से उत्पन्न हुआ हमारा राष्ट्र गीत वन्दे मातरम, जो आज भी देशवासियों में भारतीयता की भावना जागृत करता है। अब सोचिए, ऐसी कलाकृतियां यदि पूरी भव्यता से सिल्वर स्क्रीन या OTT पर आयें, तो भारत का वैश्विक स्तर पर मान कैसे नहीं बढ़ेगा?

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