ऐसी खबर आ रही है कि चीन में म्यांमार के राजदूत यू मयो थांट का रविवार को अचानक निधन हो गया, यह घटना देश के दक्षिणी पश्चिमी शहर कुनमिंग में हुई। म्यांमार की सरकारी मीडिया और बीजिंग में राजनयिक सूत्रों ने राजदूत के निधन की जानकारी देते हुए दावा किया है कि राजदूत यू मयो की मौत का कारण हार्ट अटैक हो सकता है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि पिछले एक साल में यह चौथे राजदूत रहे जिनकी चीन में अचानक मौत हो गयी है।
इनसे पहले सितंबर 2021 में जर्मनी के राजदूत जान हैकर (54) की चीन में पोस्टिंग के दो सप्ताह के बाद ही मृत्यु हो गयी थी और उनके अचानक देहांत का कारण नहीं बताया गया। 14 फरवरी 2021 को यूक्रेन के राजदूत सेरहिय कामयशेव (65) की मृत्यु भी कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हुई और फिलीपीन्स के राजदूत जोसे सेंटियागो चिटो की भी मृत्यु चीन में क्वारंटाइन के दौरान हुई।
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कहीं चीन कुछ छिपा तो नहीं रहा?
संडे गार्डियन में छपी एक खबर के अनुसार, जून 2018 में चीन में अमेरिकी राजनयिकों और खुफिया अधिकारियों के बीच मस्तिष्क में अचानक तेज दर्द की शिकायत की। उनका कहना था कि उन्हें तेज कान दर्द, सिर दर्द, कानों में एक पैनी आवाज़ का सुई की तरह चुभना, चक्कर आना, ध्यान का मुद्दों से भटकना जैसी परेशानियां हो रही हैं। यह सभी लक्षण तब दिखाई देते हैं जब कोई व्यक्ति माइक्रोवेव की तरंगों के संपर्क में आता है।
उन अधिकारियों को चीन के ग्वांगझू में अपने वाणिज्य दूतावास से वापस अमेरिका लाया गया ताकि उनके स्वास्थ्य की जांच और उनके लक्षणों का व्यापक मूल्यांकन किया जा सके। इसके बाद न्यूयोर्क टाइम्स ने भी एक ऐसी खबर प्रकाशित की जिसके अनुसार सीआईए के तीन अधिकारियों ने विदेशी असाइनमेंट के बाद इसी तरह के लक्षणों की सूचना दी थी, सभी को वाशिंगटन के वाल्टर रीड सैन्य अस्पताल में इलाज की आवश्यकता थी।
खबर के अनुसाए, 2016 से कुल मिलाकर 130 से अधिक ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें अमेरिकी राजनयिकों, जासूसों और रक्षा अधिकारियों को चीन में अपने कार्यकाल के दौरान अस्पष्टीकृत मस्तिष्क की शिकायतें आयी हैं। हालांकि चीन किसी भी माइक्रोवेव ऊर्जा हथियारों का उपयोग करने से इनकार करता हैं, यह दावा करते हुए कि रिपोर्ट की गयी चोटें वायरस, रासायनिक प्रदूषक या संक्रामक एजेंटों के कारण भी हो सकती है।
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कैसे हथियार की तरह काम करती हैं माइक्रोवेव तरंगें
जब इन तरंगों को मनुष्यों की ओर लक्षित किया जाता है तो माइक्रोवेव हथियार शरीर में मौजूद परमाणुओं को कंपन करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है और परिणामस्वरूप शरीर का तापमान 200 गज की दूरी पर 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट से 107 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बढ़ जाता है। यदि नज़दीक से इस परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया जाए तो यह मनुष्य के शारीरिक तापमान को इतना बढ़ा देट हैं कि यह तापमान वृद्धि एक नजदीकी सीमा पर घातक हो सकती है। इन तरंगों के संपर्क में आने से सांस लेने में परेशानी होना, कुछ भी समझ में न आना, जी मचलाना, शरीर में दर्द उठना, सर चक्कराना, कुछ याद न रहना, कानों में तेज आवाज़ गूंजना और भावनात्मक अस्थिरता जैसे लक्षण देखे गए हैं।
माइक्रोवेव हथियारों से रक्षा में सबसे बड़ी बाधा यह आती है कि पीड़ित को इस बात की जानकारी भी नहीं होती है कि उन पर एक ऐसी माइक्रोवेव तरंगों से हमला किया जा रहा है जो आंखों के लिए अदृश्य हैं, लेकिन मस्तिष्क के लिए दर्दनाक रूप से स्पष्ट हैं।
चीन में विदेशी राजदूतों की एक ही वर्ष में एक के बाद एक इस तरह से मृत्यु हो जाना एक संजोग मात्र तो प्रतीत नहीं हो रहा, ऐसा कई सोशल मीडिया के दावों का कहना है। साथ ही यह भी संशय लोगों के मन में उठ रहा है कि कहीं चीन अपनी “माइक्रोवेव ब्रेन फ्राई पॉलिसी” का तो इस्तेमाल नहीं कर रहा?
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