भ्राता रणबीर कपूर, कुछ तो रिकॉर्ड साफ रखते। हम सभी जानते हैं कि इस समय आप पर काफी दबाव हैं और आपके फिल्म उद्योग पर तो और अधिक दबाव है पर जैसा चल रहा है वैसे तो हो चुका कल्याण। राम गोपाल वर्मा के बहुचर्चित फिल्म रक्त चरित्र में एक संवाद है जो कहीं न कहीं हमारे अभिनेताओं पर भी लागू होता है। वो संवाद है “मन में सफाई हो न हो, एक नेता का शक्ल क्लीन होना चाहिए।” परंतु ये छोटी सी बात अगर बॉलीवुड को समझ में आ जाती तो आज वह हंसी का पात्र थोड़ी न बनती।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे “लाल सिंह चड्ढा” की भांति ही अब ब्रह्मास्त्र के प्रमुख अभिनेताओं एवं क्रू की बातें ही उन्हें सताने वापस आ रही हैं जो कि आगे चलकर इस फिल्म के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।
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प्रोमोशन में खूब रायता फैलाया जा रहा है
बॉलीवुड के सबसे बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट ‘ब्रह्मास्त्र’ को प्रदर्शित होने में अब कुछ ही समय बाकी है परंतु इसके प्रोमोशन में जितना रायता फैलाया जा रहा है उसके बाद तो इस आने वाली फिल्म का भविष्य बहुत अधिक सुनहरा नहीं दिखायी पड़ता है। ऊपर से बॉयकॉट अभियान ने एक के बाद एक फिल्में फ्लॉप करवाकर इन लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन तो उड़ा ही रखा है।
इस पर भी ब्रह्मास्त्र की टीम के लिए समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। हाल ही में रणबीर कपूर की एक पुरानी वीडियो वायरल हुई जहां पर वो अपने भोजन से जुड़े लगाव के बारे में कई बातें अन्य पत्रकार से साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो बड़े ही “beefy guy” हैं। अब इसके अनेक अर्थ निकल सकते हैं परंतु जब उन्होंने पेशावर का उल्लेख किया तो अनेक लोग सोशल मीडिया पर भड़क गए क्योंकि उनके अनुसार रणबीर कपूर गोमांस के भक्षण का समर्थन कर रहे थे।
चलिए, एक बार को मान लेते हैं कि रणबीर कपूर ने ऐसा नहीं कहा कि उनका अर्थ कुछ और था, परंतु निर्देशक अयान मुखर्जी का एक इंस्टा पोस्ट अब पूरे फिल्म के आधारस्तम्भ पर ही प्रश्न चिह्न लगाता है।
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जब रूमी बन गया शिवा
अयान के 2019 के इंस्टा पोस्ट के अनुसार, “रूमी, पहले वो लंबे बालों वाला रूमी था। यह छवि एक अर्ली लुक टेस्ट से थी। रूमी कहते थे, “प्यार तुम में और सब में एक पुल समान हैं”। इस आधार पर हमारे हीरो की नींव पड़ी, परंतु जल्द ही हमें नयी प्रेरणा मिली, नये विचार मिले। ड्रैगन ब्रह्मास्त्र बनी, रणबीर के बाल कटे और रूमी बन गया शिवा!”
अब जरा सोचिए कि जो कैरेक्टर शुरू से शिवा नहीं है वो शिवा के कैरेक्टर को आत्मसात कैसे करेंगा। अब जरा यह सोचिए कि फिल्म का नाम ब्रह्मास्त्र है लेकिन शुरुआत से सोच ड्रैगन की थी ऐसे में इस ब्रह्मास्त्र नाम को भला पूरी फिल्म क्या आत्मसात करेंगी।
अब ऐसे कर्मकांड यदि आपसे छुपाये नहीं जा सकते तो किए ही क्यों बंधु? इसके बाद यही लोग ये पूछने का दुस्साहस भी रखते हैं कि जनता किस मुंह से हमारी फिल्मों का बहिष्कार करते हैं। अब कुछ सुविचारों पर ध्यान दीजिए–
जब अर्जुन कपूर ने आवेश में आकर बोला था कि समय आ चुका है बॉलीवुड को सबक सिखाने का, तो सभी सोचते हैं कि आखिर ऐसी कौन सी घुट्टी पी रखी इन लोगों ने, जो ये लोग ऐसे महान बयान देने की सोच भी सकते हैं? परंतु सारा खेल ही प्रारंभ हुआ करीना कपूर खान, जिन्होंने ‘लाल सिंह चड्ढा’ के प्रमोशन के समय ही कह दिया था कि ये सब दोगलापन है, अगर किसी को हमारी फिल्में पसंद आती है तो ठीक है, नहीं आती तो कोई जबरदस्ती थोड़ी न है। अब वो अलग बात कि जनता ने करीना कपूर की इस बात को कुछ ज्यादा ही गंभीरता ले लिया।
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देखो भई, सौ की सीधी एक बात, समय परिवर्तन का है, और ये बात क्षेत्रीय उद्योग युगों पूर्व ही स्वीकार चुका है, तभी वह बहुभाषीय सिनेमा के रूप में विकसित हो चुका है और भाषा की सीमा को लांघकर देश के हर दर्शक का मनोरंजन करने में सक्षम है। परंतु दूसरी ओर बॉलीवुडिया गैंग अभी भी अपनी अकड़ से बाज नहीं आ रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि बॉलीवुड के रजवाड़ों की यह हनक कोई नयी बात नहीं है। ये बस परिवर्तन को स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
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