मोदी सरकार जम्मू कश्मीर की दशा और दिशा बदलने की ओर कदम बढ़ा चुकी है. इस केंद्रशासित प्रदेश के विकास हेतु कई बड़े फैसले लिए जा चुके हैं, कई योजनाएं लागू की जा चुकी है. प्रदेश में शांति स्थापित करने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. ज्ञात हो कि कश्मीर अलगाववादियों का गढ़ रहा है और इसमें कोई दो राय नहीं कि इन अलगाववादियों का लिंक आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है. सरकारी तंत्र में भी आतंकियों के समर्थकों की भरमार है लेकिन प्रशासन एक-एक कर इन पर कार्रवाई करने में लगी हुई है. इसी बीच खबर है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकियों से संबंध रखने वाले चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. इन बर्खास्त कर्मचारियों में जम्मू-कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के जिम्मेदार आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह उल अर्जमंद खान समेत आतंकवाद से जुड़े तीन और लोग शामिल हैं.
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कौन सा आतंकवादी किस सरकारी विभाग में कार्यरत था?
पृष्ठभूमि | नाम | सरकारी काम |
आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की पत्नी | असबाह उल अर्जमंद खान | प्रचार, ग्रामीण विकास निदेशालय, कश्मीर |
हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख के सुपुत्र | सैयद अब्दुल मुईद | प्रबंधक आईटी, जेकेईडीआई |
लश्कर-ए-तैयबा के एक पूर्व आतंकवादी | माजिद हुसैन कादरी | कश्मीर विश्वविद्यालय में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर |
डॉ. मुहीत अहमद भट | कश्मीर विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक-डी |
इन कर्मचारियों की आतंकवादी गतिविधियों पर कानून और खुफिया एजेंसियों की नज़र पड़ी और जांच करने पर सामने आया कि वे चारों राज्य की सुरक्षा के हितों के प्रतिकूल गतिविधियों में शामिल थें. इन आतंकियों के बारे में विस्तार से समझिए…
1. असबाह-उल-अर्जमंद खान, बिट्टा कराटे की पत्नी
खबरों के अनुसार, बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह जो कि 2011 बैच की JAKS अफसर है, उसे आतंकी संगठन ISI से जुड़े होने की वजह से हटाया गया है. असबाह को पहली बार वर्ष 2003 में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में नौकरी मिली थी. ऐसा भी मानना है कि उस समय प्रशासन में ऊंची पदवी पर बैठे व्यक्ति ने हेर-फेर कर उसे नौकरी दी. वर्ष 2003 से 2007 के बीच वो कई महीनों तक काम से अनुपस्थित थी और अगस्त 2007 में उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जांच के अनुसार, इस दौरान वो जर्मनी, ब्रिटेन, हेलसिंकी, श्रीलंका और थाईलैंड के दौरे पर रही. जांच में पता चला है कि वह जेकेएलएफ के लिए नकदी पहुंचाने का काम कर रही थी. भारत से बाहर जाने के लिए वो हवाई अड्डों से प्रस्थान करती लेकिन भारत में उसका आगमन ज्यादातर नेपाल और बांग्लादेश के सड़क मार्ग से हुआ करता। वर्ष 2011 में, उसने जेकेएएस परीक्षा पास की और कुछ ही महीनों में बिट्टा कराटे से शादी कर ली और अब आतंकी संलिप्तता के कारण उसे हटा दिया गया है.
2. आतंकियों के परिवार को पैसे मुहैया कराता है मुहीत अहमद भट
कश्मीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस में साइंटिस्ट मुहीत अहमद भट वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक कश्मीर में कई स्ट्रीट प्रोटेस्ट को ऑर्गनाइज करता रहा है. मुहीत ने 2016 में छात्र विरोध और सड़क विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लगभग 100 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए थे। जनवरी 2018 में, मुहीत ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान की. उन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को भुगतान करने के लिए धन की भी व्यवस्था की. छात्रों को कट्टरपंथी बनाने, उन्हें भटकाने और कश्मीर में पाकिस्तानी प्रचार में मुहीत का बड़ा हाथ रहा है.
3. लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी माजिद हुसैन कादरी
लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बनने से पहले कादरी कश्मीर यूनिवर्सिटी में MBA का छात्र रह चुका है. माजिद अगस्त 2001 में दो पाकिस्तानी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के संपर्क में आया. उसके बाद, वर्ष 2002 में उसे आतंकवादियों के लिए एक हथियार कूरियर करने का काम सौंपा गया. वर्ष 2004 में जब माजिद को गिरफ्तार किया गया तो उस समय स्नाइपर राइफल जैसे कई हथियार वहां से बरामद हुए. मार्च 2007 में, उसे कश्मीर विश्वविद्यालय में एक संविदा व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया था. उसके भर्ती मामले को कभी भी चरित्र सत्यापन के लिए सीआईडी को नहीं भेजा गया था. वर्ष 2010 में कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में उसकी नियुक्ति हुई और वर्तमान में वो अध्ययन प्रबंधन विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत था।
4. हिजबुल आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन का बेटा सैयद अब्दुल मुईद
मुईद जम्मू-कश्मीर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में बतौर IT मैनेजर काम कर रहा था. शंका है कि जिस प्रकार बिट्टा कराटे की पत्नी को नियुक्त किया गया उसी तरह मुईद को भी नियुक्त करते समय नियमों की पूर्ण अवहेलना की गई. मुईद आतंकियों को सारी जानकारी उपलब्ध करा रहा था. युवाओं को भड़काने में भी इसका अहम रोल रहा है. वर्ष 2013 से 2019 में उनकी नियुक्ति के समय से पंपोर में जेकेईडीआई परिसर और उसके आसपास कम से कम तीन आतंकी हमलों को अंजाम दिया गया. कई सुरक्षा बलों की जान चली गई है. जांच के अनुसार, मुईद ने इन हमलों में लक्ष्य और रसद देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन अब ये सारे आतंकी पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं.
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