समाजसेवा के नाम पर झूठा PR कराता घूम रहा है शाहरुख खान, खुल गई पोल

शाहरुख खान के फर्जीवाड़े का यह है सच!

शाहरुख खान

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बड़े बुजुर्गों ने कहा था कि “रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” पर हमारे देश के PR एजेंसियों का तो अलग ही मंत्र है और वह कुछ इस प्रकार है- “बॉलीवुड रीत सदा चली आई, जान जाए पर चाटुकारिता न जाई!” ऐसा ही एकबार फिर देखने को मिला, जब PR एजेंसियां एक बार फिर बॉलीवुड के कथित ‘किंग’ शाहरुख खान की बर्बाद छवि को सुधारने का असफल प्रयास करते हुए पाई गईं लेकिन उन्हें एक बार फिर मुंह के बल गिरना पड़ा है। दरअसल, हाल ही में शाहरुख खान ने बड़ौदा में एक RO प्लांट के लिए कथित तौर पर 23 लाख रुपये दान किए। बस फिर क्या था, PR कंपनियां लग गईं अपनी काम पर और शाहरुख खान को दरियादिल दिखाने के हर प्रयास किए गए। एजेंसियों ने तो यह भी दिखाने का पूरा प्रयास किया कि शाहरुख खान कितने परमार्थी हैं और कितने बड़े दानवीर हैं।

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ये प्लांट बड़ौदा रेलवे स्टेशन पर लगाया गया और इसके प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी गई परंतु इसमें भी एक बड़ा झोल है। ध्यान देने वाली बात है कि असल में शाहरुख ने यह काम नेकी में नहीं किया है बल्कि मजबूरी में किया है। ‘रईस’ याद है आपको? हां वही, बनिए का दिमाग, मियांभाई की डेयरिंग? यह डेयरिंग बहुत ही भारी पड़ गई थी क्योंकि बड़ौदा में वर्ष 2017 के प्रोमोशन के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसके कारण एक व्यक्ति की मृत्यु भी हुई थी और गुजरात हाई कोर्ट ने शाहरुख को हर्जाने के रूप में एक RO प्लांट लगाने का आदेश भी दिया था।

 

ध्यान देने वाली बात है कि यह पहली बार नहीं है जब मीडिया ने अकारण शाहरुख खान को देव माणूस बनाया। पिछले कुछ समय से तो शाहरुख खान की कथित गरीबी को भी जमकर बेचा गया है। TFIPost के ही एक विश्लेषणात्मक लेख के अनुसार, “जब सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु हुई थी तो सबसे बड़ा विवाद इसी बात पर उपजा था कि आखिर किस कारण उन्हें बॉलीवुड में साइडलाइन किया गया था। वो कारण था वंशवाद और इसके पीछे लगभग अंतहीन वाद विवाद का दौर चला था। उसमें कई अभिनेताओं के स्ट्रगल और उनके किस्सों की चर्चा चली, जिसमें से एक शाहरुख खान भी शामिल थे। विचित्र बात तो यह थी कि शाहरुख खान को ‘मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित लड़के’ के रूप में चित्रित किया गया, जिसे फिल्म उद्योग में आने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा।”

परंतु यह तो मात्र प्रारंभ है। जिसकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल में हुई हो, जहां एडमिशन कराने में दिल्ली के अभिभावकों के पसीने छूट जाते हैं, क्या ऐसे व्यक्ति ने सच में स्ट्रगल किया भी है? फिर तो शाहरुख खान की स्ट्रगल वैसे ही है, जैसे दीपिका मैडम का डिप्रेशन, आगे आप स्वयं समझदार हैं! ऐसे में शाहरुख़ खान की ग़रीबी, फटेहाली, मां का मिट्टी तेल का डिपो, फटी शर्ट की कहानी सुनने और सुनाने वालों को पता होना चाहिए कि शाहरुख़ खान भारत के बेहद अमीर और प्रतिष्ठित परिवार से हैं। सच पूछिए तो इमेज होती नहीं है बल्कि बनायी जाती है, बनानी पड़ती है, स्ट्रगल की कहानी के बिना किसी को मज़ा नहीं आता। ऐसे में शाहरुख खान की नौटंकियों पर PR एजेंसियों ने खूब ढिंढोरा पीटा परंतु जब ये एजेंसियां दीपिका की ‘छपाक’ न बचा पाईं तो शाहरुख खान किस खेत की मूली हैं!

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