हिमाचल प्रदेश में अवैध धर्मांतरण बंद

भाजपा सरकार ने सख्त कानून बना दिया है!

Himachal Pradesh

Source- TFI

भारत में आये दिन धर्मांतरण की खबरें आती रहती हैं. कभी धर्मांतरण बहला फुसलाकर करवाया जाता है, कभी अनभिज्ञ को मूर्ख बनाकर, कभी जबरन तो कभी अपनी पहचान गुप्त रख कर. हालांकि, सरकार ने इसे रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं लेकिन जब तक राज्य सरकारें इसे रोकने का जिम्मा न उठा ले तब तक इस पर पूर्ण रूप से लगाम लगा पाना कठिन है. यूपी, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड में अवैध धर्मांतरण को लेकर कदम उठाए जा चुके हैं. अब इन राज्यों की सूची में भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश का नाम भी जुड़ गया है. इस राज्य में धर्म परिवर्तन कानून को और कड़ा कर दिया गया है.

दरअसल, हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने सामूहिक धर्मांतरण पर रोक लगाते हुए हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया है. यह विधेयक मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शुक्रवार को विधानसभा में पेश किया. मुख्यमंत्री ठाकुर का कहना था कि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण को रोकने के लिए विधेयक लाया गया है. उन्होंने रोहड़ू रामपुर और हिमाचल के बंजर में सामूहिक धर्मांतरण का उदाहरण दिया. हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने की मांग की लेकिन विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.

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क्या कहता है विधेयक?

विधेयक के अनुसार यदि एक ही समय में दो या दो से अधिक लोगों ने धर्मांतरण किया या फिर किसी का जबरन धर्मांतरण करवाने का प्रयास किया तो उसके लिए दोषी को अधिकतम 10 वर्ष कारागार की सज़ा मिल सकती है. यदि कोई व्यक्ति गलत तरीके से बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या विवाह द्वारा किसी का एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण करवाने का प्रयास करता है तो उसे दोषी मानकर सजा दी जाएगी. इसके अलावा यदि कोई अनुसूचित जाति और अन्य आरक्षित वर्ग के लोग धर्म परिवर्तन करते हैं तो उन्हें आगे किसी भी तरह का आरक्षण नहीं मिलेगा. साथ ही अगर वे धर्म परिवर्तन की बात छिपाकर आरक्षण की सुविधाएं लेते हैं तो ऐसे में उन्हें तीन से पांच साल तक सजा और 50,000 से एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा.

संशोधित विधेयक के पारित होने पर हिमाचल में जबरन, कपटपूर्ण तरीके और विवाह के समय जाति और धर्म छिपाने का खुलासा होने पर सजा का प्रावधान किया गया है. संशोधित कानून के मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति द्वारा अन्य धर्म में विवाह करने व ऐसे विवाह के समय अपने मूल धर्म को छिपाने की स्थिति में भी तीन से 10 साल तक के कारावास का प्रावधान होगा. ऐसी स्थिति में 2 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है. धर्म की स्वतंत्रता कानून के प्रावधानों के तहत मिली किसी भी शिकायत की जांच पुलिस उप निरीक्षक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा. इसकी सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी.

‘हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022’ के अनुसार धर्म परिवर्तन करने से एक महीना पहले मजिस्ट्रेट के समक्ष एफिडेविट देना होगा. यदि कोई अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहेगा तो उसे पूर्व नोटिस की जरूरत नहीं होगी. हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम जबरन, लोभ देकर या लव जिहाद जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करने वालों को धर्मांतरण करवाने से रोकने की दिशा में बहुत बड़ा कदम है. इस विधेयक ने हिमाचल राज्य में धर्म परिवर्तन को सचमुच असंभव बना दिया है.

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