हिमन्ता ने शुरू किया अवैध मदरसों और मस्जिदों का तोड़ना फोड़ना कार्यक्रम

यहां समझें अवैध मदरसों में कैसे जगह ले रहा है आतंक?

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Source-TFIPOST.in

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा योगी 2.0 बनने की राह पर अग्रसर हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राह पर चलते हुए कड़े फैसले लेने से जरा भी नहीं झिझक रहे, उससे हिमंता पूरे देश में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। योगी मॉडल को फॉलो करते हुए हिमंता भी अपने राज्य में  अपराधियों के विरुद्ध कड़ा रूख अपनाते नजर आते हैं। वो योगी आदित्यनाथ के अंदाज में ही असम में अवैध मदरसों पर कार्रवाई करते नजर आ रहे हैं। अब असम में आतंकी गतिविधियों में लिप्त एक और मदरसे पर हिमंता बिस्वा का बुलडोजर चला है। दरअसल, सोमवार को बारपेटा जिला प्रशासन ने जिले के ढकलियापारा इलाके में शेखुल हिंद महमूदुल हसन जमीउल हुदा नाम के एक मदरसे को ध्वस्त कर दिया।

जानकारी के अनुसार मदरसे पर यह कार्रवाई अलकायदा भारतीय उपमहाद्वीप (AQIS) और बांग्लादेश स्थित आतंकवादी समूह अंसारुल बांग्ला टीम (ABT) के साथ कथित संबंधों के चलते की गई। पुलिस के अनुसार मदरसे का निर्माण सरकारी जमीन पर हो रखा था। इसका प्रयोग आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए की जा रही थी। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहां पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया। इनके संबंध AQIS और एबीटी से बताए जा रहे है। ध्यान देने योग्य है कि मस्जिद के शिक्षक के रूप में कार्यरत बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम को पुलिस द्वारा पिछले महीने ही गिरफ्तार हो चुकी है। इसके अलावा मदरसे के प्रिसिंपल को भी पूर्व में गिरफ्तार किया गया था।

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मदरसों में चल रहे आतंकियों के ट्रेनिंग हब

पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया। इनके संबंध AQIS और एबीटी से बताए जा रहे है। पुलिस द्वारा किए गए दावे के अनुसार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति अलकायदा के बरपेटा मॉड्यूल के की-एलीमेंट्स थे। इन लोगों के द्वारा बांग्लादेशी टेरर ऑपरेटिव्स को ट्रांसपोर्ट समेत अन्य दूसरे साजो-सामान पहुंचाया जाता था। खबरों के अनुसार जिस मदरसे पर बुलडोजर चलाया गया, उसे बांग्लादेशी मोहम्मद सुमोन द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता था, जिसकी गिरफ्तारी पूर्व में हुई थी। वो अलकायदा के स्लीपर सेल्स का मास्टरमाइंड था और एटीबी का सदस्य था। एटीबी बांग्लादेश में प्रतिबंधित है। पुलिस की मानें तो निजी मदरसे में सुमोन शिक्षक के रूप में आकर ठहरा करता था।

ध्यान देने योग्य है कि मदरसे के शिक्षक के रूप में कार्यरत बांग्लादेशी नागरिक सैफुल इस्लाम को पुलिस द्वारा पिछले महीने ही गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके अलावा मदरसे के प्रिसिंपल को भी गिरफ्तार किया गया था।

पूरी कार्रवाई को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि “मदरसों में शिक्षा नहीं दी जा रही। इसकी जगह यहां आतंक की ट्रेनिंग दी जा रही है। आतंकियों द्वारा मदरसों का प्रयोग ट्रेनिंग हब के तौर पर किया जा रहा है। असम में अब तक ऐसे दो मदरसों को गिराया जा चुका हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि “जांच के दौरान पता चला कि मदरसे में अल कायदा का ट्रेनिंग कैंप चलाया जा रहा था। यहां पढ़ाई लिखाई नहीं होती थी। मैं सामान्यीकरण नहीं करना चाहता, लेकिन जब कट्टरवाद की शिकायत आती है तो हम जांच करते हैं और उचित कार्रवाई करते हैं।”

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इससे पहले भी हिमंता ने मदरसों को लेकर एक ऐसा बयान दिया था, जो काफी चर्चाओं में रहा एक कार्यक्रम में हिमंता बिस्वा सरमा ने यह भी कहा था कि जब तक मदरसे रहेंगे, तब तक मुस्लिमों के बच्चे इंजीनियर और डॉक्टर बनने के बारे में सोच भी नहीं पाएंगे। यदि आप अपने बच्चों को धर्म से जुड़ी शिक्षा देना चाहते हैं तो घर पर दें, उसके लिए मदरसे का होना जरूरी नहीं है।

हालांकि असम में यह पहला अवैध मदरसा नहीं था, जिसके विरुद्ध ऐसी सख्त कार्रवाई की गई हो। इससे पहले 4 अगस्त को असम के मोरीगांव जिले में भी एक निजी मदरसे को ढहाया गया था। सारुल्लाह बांग्ला और AQIS से कनेक्शन के आरोप में मदरसे पर बुलडोजर चला था

पिछले कुछ समय से मदरसों और आतंकवादी गतिविधियों के कारण अतिसंवेदनशील हो रहा है। आतंकियों से संबंध के मामले में पुलिस बीते 10 दिनों में 6 संदिग्धों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी कर चुकी है। हाल ही में गोलापार से चार लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके अतिरिक्त 26 अगस्त को पुलिस द्वारा असम के बोंगाईगांव जिले से एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती जांच में आतंकी के संबंध AQIS और एबीटी जैसे संगठनों से पाए गए थे। हालांकि असम सरकार भी लगातार अवैध रूप से चल रहे मदरसों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए लगाम कसने में जुटी है। असम सरकार के द्वारा वर्ष 2020 में मदरसों को अनुदान देना बंद हो चुका था। इस निर्णय के बाद से राज्य में अब तक करीब 800 मदरसे बंद हो गए थे। परंतु एक हजार निजी मदरसों का संचालन अभी भी हो रहा है।

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