‘थाली महाकाल से मंगा ली’ Zomato ने माफी मांग ली, ऋतिक रोशन कब मांगेंगे?

'महाकाल का अपमान- नहीं सहेगा हिंदुस्तान', एड वापस ले लेने से काम नहीं चलेगा, माफी मांगो ऋतिक रोशन।

RITIK

SOURCE- TFIPOST.in

जितनी बुद्धि होगी इंसान उतनी ही तो क्रिया-प्रतिक्रिया देगा। अब जिनकी बुद्धि ही चमक-धमक और सोने की चमच्च तक सिमट चुकी हो उन्हें क्या ही पता चलेगा कि क्या होता है सामाजिक जीवन? क्या करने और न करने से आम जनमानस की भावना आहत होंगी, नहीं होंगी यह तब पता चलता है जब आप समाज से जुडे होते हैं। हाँ, एक बात तो सबको पता होती है चाहे वो कितना ही नौसिखिया क्यों न हो। वो यह कि धर्म से जुडी कोई भी बात करने से पूर्व सौ बार सोचना चाहिए। वैसे ही बॉलीवुड कम फजीहत नहीं करा रहा है अपनी इस बारे में, ऐसे में नई मूर्खता कर गए हैं ऋतिक रौशन। ऋतिक एक ऐसा एड कर गए हैं जो प्रत्यक्ष रूप से महाकाल अर्थात प्रभु शिव का अनादर प्रतीत हो रहा है। ऐसे में, पहले ही ऋतिक रोशन, आमिर का समर्थन करने के बाद सबके निशाने पर थे कि अब महाकाल का इस्तेमाल करना उनकी भारी गलती साबित हो रही है।

ऐसा लगता है कि बॉलीवुड के सुपरस्टार्स एक भयंकर सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स से जूझ रहे हैं। अपनी बेशर्माई और मूर्खता ने सारे रिकॉर्ड ही तोडकर रख दिए। अपने अहंकार में, वे हिंदी फिल्म उद्योग समूल नाश के कारक बनने और दर्शकों के साथ बेवजह लड़ाई करने पर आमादा हैं। ये सत्य है कि बीते कुछ समय में यह तथाकथित सुपरस्टार गुणवत्तापूर्ण सामग्री देने में बुरी तरह विफल रहे हैं। फिर भी इन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों में दर्शकों, उनकी संस्कृति, विश्वास और विकल्पों के बारे में बुरा बोलने का दुस्साहस करने की अपार शक्ति है।

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बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन ने किया हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ 

हालिया मामला, ऋतिक रोशन से जुडा हुआ है। बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। विवादास्पद Zomato विज्ञापन में उनकी भूमिका ने हिंदू समुदाय को आहत किया है जिसके बाद से सोशल मीडिया पर इस विषय पर बहस गर्म है।

फ़ूड डिलीवरी ऐप के विज्ञापन पर अभिनेता का कहना है कि “उन्हें उज्जैन में एक थाली लेने का मन कर रहा था, इसलिए उन्होंने इसे ‘महाकाल’ से मंगवाया।” महाकाल का यह सीधा संदर्भ और हिंदू मंदिर और उसके प्रति लोगों की आस्था को एक रेस्तरां या भोजनालय के समक्ष कम करना, हिंदू विश्वासियों की भावनाओं को आहत करने के लिए एक क्रूर कार्य है। यह सर्वविदित है कि उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर हिंदुओं का एक श्रद्धेय पवित्र स्थान और मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो हिंदू धर्म के विश्वासियों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है। तो, यह तार्किक समझ से परे है कि डिलीवरी ऐप और अभिनेता को यह नहीं पता था जबकि देश ही नहीं विश्वभर में इसकी आस्था और इसके मायनों की चर्चा आज से नहीं एक लंबे समय से चलती आ रही है।

अब जब मामले ने तूल पकड ही लिया था तो हिंदू भक्तों समेत महाकालेश्वर मंदिर के दो पुजारियों ने मांग की कि जोमैटो को विज्ञापन को वापस लेना पडेगा क्योंकि इससे हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची थी। महाकाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने भी विज्ञापन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि “भक्तों को थाली में मुफ्त में प्रसाद परोसा जाता है।” उन्होंने कहा कि “यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे फूड डिलीवरी ऐप के जरिए ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है।”

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Zomato ने मांगी मांफी 

इतना विवाद होने पर Zomato को अंततः विज्ञापन वापस लेना ही पडा पर उसका तर्क यही रहा कि उनकी सोच किसी भी वर्ग विशेष की भावनाओं को आहत करने की नहीं थी। Zomato ने कहा कि, “वीडियो एक अखिल भारतीय अभियान का हिस्सा है जिसके लिए हमने प्रत्येक शहर में लोकप्रियता के आधार पर शीर्ष स्थानीय रेस्तरां और उनके शीर्ष व्यंजनों की पहचान की। महाकाल रेस्तरां उज्जैन में अभियान के लिए चुने गए रेस्तरां में से एक था।” आगे Zomato ने कहा कि “इस विज्ञापन का अर्थ कभी किसी की आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।” बयान में कहा गया है, “हम उज्जैन के लोगों की भावनाओं का गहरा सम्मान करते हैं और यह विज्ञापन अब नहीं चल रहा है। हम अपनी ईमानदारी से माफी मांगते हैं कि यहां इरादा कभी किसी की मान्यताओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।”

इस घटनाक्रम से यह सिद्ध हो गया कि अज्ञानता से लबरेज़ बॉलीवुड अभिनेताओं को अपनी अज्ञानता और अहंकार से दूर रहना चाहिए। वैसे ही, दर्शक उनकी कहानीविहीन फिल्मों, प्रोपेगेंडा से तंग आ चुके हैं। उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि सिनेमा की बेहतरी के लिए सिनेमा मंथन के दौर से गुजर रहा है। इसलिए, बॉलीवुड के लिए यह सही समय है कि वह दर्शकों को हर चीज पर प्रवचन देना बंद करे और आत्ममंथन-चिंतन जो आवश्यक है वो करे। जनता पर ठीकरा फोडना है तो फोडते रहे फिर जनता भी जवाब देना जानती है। लाल सिंह चड्ढा और रक्षाबंधन का सुपरफ्लॉप होना सबसे सटीक और उपयुक्त उदाहरण है।

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