‘हम दो हमारे बारह’ से इतनी दिक्कत क्यों है? वास्तविकता तो यही है

PK फिल्म का समर्थन करने वाली राणा अय्यूब को इस फिल्म से बड़ी दिक्कत हो रही है!

Rana

सालों पहले, गंगा जमुनी तहज़ीब के स्वर्णिम काल में एक चलचित्र के प्रदर्शन पर मोहतरमा राणा अय्यूब ने कहा था, “क्या खूब कही सुप्रीम कोर्ट! PK को प्रतिबंधित करने की याचिका को ठुकराते हुए कहा, “नहीं पसंद है फिल्म, मत देखिए!”

ये तो हुई एक बात और अब इनकी ही दूसरी बात पर ध्यान दीजिए जिसमें राणा अय्यूब ही ट्वीट करके कहती हैं “सेंसर बोर्ड इस तरह की फिल्म की अनुमति कैसे देता है जो मुसलमानों को जनसंख्या विस्फोट के कारण के रूप में दर्शाती है और समुदाय पर लगातार हमले का विस्तार करती है। बेशर्म नफरत और इस्लामोफोबिया जब वे एक मुस्लिम परिवार की छवि का उपयोग करते हैं और इसे ‘हम दो हमारे बारह’ कहते हैं।“

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दो अलग-अलग विचार के ट्वीट आश्चर्य में डालते हैं

इन दोनों ही ट्वीट को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि हिप्पोक्रेसी की भी हद होती है भइया। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे एक फिल्मी पोस्टर से ही लिबरलों की राजदुलारी राणा अय्यूब बुरी तरह तिलमिला गयीं और वह उसे कुचलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

हाल ही में एक फिल्म का पोस्टर रिलीज हुआ, जिस पर राणा अय्यूब बुरी तरह भड़की हुई हैं और उसके प्रतिबंध की मांग कर रही है। परंतु इस फिल्म में ऐसा क्या है, जिसके पीछे राणा अय्यूब इतनी बिफरी हुई हैं? अरे मोहतरमा, सेंसर बोर्ड है, आपकी प्रिय फतवा कोर्ट नहीं कि गुहार लगायी और तुरंत फतवा जारी कर दिया गया। एक फिल्म पोस्टर से यदि आपका ऐसा हाल है तो कहीं फिल्म देखकर आपको हृदयाघात न हो जाए।

पर ये ‘हम दो हमारे बारह’ है क्या? ये सामाजिक विषय पर आधारित एक फिल्म प्रतीत होती है, जिसमें मुख्य भूमिका में तो अन्नू कपूर प्रतीत होते हैं जो एक मुस्लिम परिवार के मुखिया हैं और ये जनसंख्या समस्या पर आधारित है। चूंकि यहां पर एक नारा भी है, ‘जल्द ही चीन को भी पछाड़ देंगे’, तो निस्संदेह ये मज़ाक का विषय तो है नहीं, ये समस्या बहुत विकट है। इस विषय पर राणा अय्यूब तो कृपया ज्ञान न ही दें तो बेहतर है। ये वही राणा अय्यूब हैं जिन्होंने द कश्मीर फाइल्स का उपहास उड़ाते हुए उसे मुस्लिम विरोधी बताया, जबकि उसकी पोल तभी खुल गयी जब अपने ही पोस्ट में उन्होंने उजागर किया कि वह आधे फिल्म से भाग गयीं।

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अपने मन का हो तो सब सही, नहीं तो सब बुरा

1990 में कश्मीर घाटी में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म The Kashmir Files को लेकर कथित जर्नलिस्ट राणा अय्यूब(Rana Ayyub) ने वाशिंगटन पोस्ट में लिखे एक आर्टिकल के जरिए अपनी भड़ास निकाली थी और इसमें उसने बोला, “मैंने दो बार #KashmirFiles देखने की कोशिश की। दूसरी बार मैंने 30 मिनट में सबसे खराब मुस्लिम विरोधी गालियां सुनने के बाद थिएटर छोड़ दिया। जब मैंने विरोध किया तो मुझे पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया”।

बात वही है, अपने मन का जब तक हो रहा था तब तक सबकुछ सही था, राणा अय्यूब को PK से कोई दिक्कत नहीं थी, तब तक नहीं थी जब तक उसमें हिंदू देवी-देवताओं का उपहास उड़ाया जा रहा था लेकिन जैसे ही द कश्मीर फाइल्स में शांतिप्रिय समुदाय की सच्चाई हू-ब-हू प्रदर्शित कर दी गयी तो राणा अय्यूब को बुरा लग गया और उसी तरह से हम दो हमारा बारह के साथ भी हो रहा है।

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