आखिर मोदी सरकार की फुर्ती देख एयरटेल के मालिक सुनील मित्‍तल क्यों गदगद हो गए?

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Source-TFIPOST.in

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से तो आप परिचित होंगे ही। आपने इस घोटाले के बारे में अवश्य सुना भी होगा और इसके बारे में जानते भी क्यों नहीं होंगे, यह हमारे देश का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला जो माना जाता है। 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में काफी बदनामी हुई और तत्कालीन मनमोहन सिंह की बुरी तरह से विवादों में घिरी। घोटाला इतना बड़ा था कि इसकी वजह से केंद्रीय मंत्री और बड़े नेताओं को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी।

2जी स्पेक्ट्रम

तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप लगे थे कि उसने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में एक लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला किया। 2जी घोटाला की बात वर्ष 2010 में तब सामने आई जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में वर्ष 2008 में हुए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी पर प्रश्न खड़े किए थे। आरोप लगे कि सरकार द्वारा स्पेक्ट्रम की कंपनियों को नीलामी की जगह “पहले आरोप, पहले पाओ” की नीति पर लाइसेंस दिए, जिससे सरकारी खजाने को अनुमानित एक लाख 76 हजार करोड़ का घाटा हुआ।

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मामले ने काफी तूल पकड़ा और यह देश की राजनीति का प्रमुख मुद्दा बन गया। इस पर विवाद बढ़ा और मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सुप्रीमो दिवंगत के करुणानिधि की बेटी कनिमोझी फंसे। घोटाले में घिरने के बाद पहले तो ए राजा को मंत्री पद से इस्तीफा देने को विविश होना पड़ा और फिर इसके बाद वर्ष 2011 में वे जेल भी गए। 15 महीनों तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी।

अब आप सोच रहे होंगे कि हम आखिर 2जी स्पेक्ट्रम की इस नीलामी और घोटाले की अचानक से यूं बात क्यों करने लगे? दरअसल, इसके पीछे का कारण है 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी। देश में 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। बीते दिनों स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए चार बड़ी कंपनियों ने बोली लगाई थी, जिसमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आईडिया और अडानी समूह शामिल रहा।

जुलाई 2022 के अंत में सात दिनों तक चली इस नीलामी में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 5जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम की रिकॉर्ड ब्रिकी हुई थी। भारती एयरटेल ने हाल ही में 5जी की नीलामी में हासिल किए गए स्पेक्ट्रम के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) को 8,312.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया। एयरटेल द्वारा यह राशि चार वर्ष की किस्त के अग्रिम भुगतान के रूप में दी गई। इस भुगतान के कुछ घंटों बाद ही एयरटेल को सरकार की तरफ से आवंटन पत्र मिल गया, जिसके बाद कंपनी के मालिक सुनील भारती मित्तल दूरसंचार विभाग की फुर्ती देखकर गदगद हो गए और सरकार की तारीफों के पुल बांधने लगे।

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सुनील मित्तल सरकार के कार्यो से गदगद हुए

सुनील मित्तल ने सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार बता रही है कि कारोबार कैसे किया जाना चाहिए। अपने 30 साल के अनुभव में मैंने पहले ऐसा कभी होते नहीं देखा। सुनील मित्तल ने स्पेक्ट्रम के आवंटन पर खुशी जाहिर करते हुए एक बयान जारी कर कहा- “17 अगस्त बुधवार को एयरटेल ने स्पेक्ट्रम के 8312.4 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया और कुछ घंटों के अंदर तय फ्रीक्वेंसी बैंड के आवंटन पत्र जारी कर दिया गया। वादे के अनुसार स्पेक्ट्रम के साथ ई बैंड आवंटन किया गया। इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं आई। इसमें कोई कमी नहीं हुई, कोई देरी नहीं की गई। सत्ता के गलियारों में कोई चक्कर नहीं लगाना पड़ा और कोई बड़ा दावा नहीं किया।“

अपने बयान में सुनील मित्तल ने आगे कहा- “दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ अपने 30 वर्षों के अनुभव में ऐसा पहली बार हुआ। कारोबार इस तरह से ही होना चाहिए। यह लीडरशिप का कमाल है। टॉप पर सही लीडरशिप और टेलीकॉम में भी सही लीडरशिप। यह बहुत बड़ा बदलाव है, जो देश को बदलकर रख सकता है। विकसित देश बनने के हमारे सपने को यह ताकत दे सकता है।“

सरकारी कामकाज से खुश हुए भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल की यह टिप्पणी काफी मायने रखती है। सुनील मित्तल कोई ऐसे वैसे व्यक्ति नहीं है, बल्कि वे देश की दूसरी बड़ी टेलीकॉम कंपनी के प्रमुख हैं। टेलीकॉम के क्षेत्र में उनका नाम काफी बड़ा है और साथ ही उन्हें कारोबार का काफी अनुभव भी है। ऐसे में उन्होंने जिस तरह से सरकारी कामकाज को सराहा है, उसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है।

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एक समय ऐसा था जब टेलीकॉम के क्षेत्र में ज्यादा खिलाड़ी भी मौजूद नहीं थे, ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे और इंटरनेट की दुनिया से तो अधिकतर लोग परिचित तक नहीं थे। तब 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी ने तत्कालीन यूपीए सरकार इसे संभाल नहीं पाई और इतना बड़ा घोटाला हुआ, जिसने देश में इतना बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया। आज की स्थिति तो इसके विपरित है। शहरों से लेकर गांव तक में हर व्यक्ति के हाथ में आज मोबाइल फोन है। इंटरनेट का प्रसार पूरे देश में हो चुका है। तब मोदी सरकार 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को इतनी आसानी से पूरा करा रही है। यही कारण है कि सुनील मित्तल जैसे टेलीकॉम क्षेत्र के दिग्गज तक सरकार के कामकाज के मुरीद हो रहे हैं।

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