अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन भी जाता है तो इसमें ग़लत क्या है?

सही मायनों में भारत अभी भी हिंदू राष्ट्र ही है!

Hindu Rashtra

Source- TFI

‘भारत एक हिंदू राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा तो न जाने क्या-क्या हो जाएगा’, ऐसी बातों के जरिए आपको न जाने कब से डराया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र को लेकर भय का माहौल लोगों के दिलों-दिमाग में बनाया जा रहा है। खास तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के मन में यह दहशत पैदा करने की कोशिश हो रही है कि भारत अगर हिंदू राष्ट्र बन गया तो उनका यहां जीना मुश्किल हो जाएगा। देश में ऐसा माहौल वामपंथियों के द्वारा बड़ी ही चतुराई से तैयार किया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र को लेकर वामपंथियों की कुंठा तब और बढ़ गई, जब से भाजपा की सरकार सत्ता में आई है और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं। ध्यान देने वाली बात है कि तभी से हिंदू राष्ट्र को लेकर इस डर को और बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे है परंतु यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर भारत को हिंदू राष्ट्र बनने में समस्या क्या है?

देखा जाए तो इस्लाम और ईसाई के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म हिंदू धर्म ही है। विश्व में ऐसे 53 देश हैं जहां मुस्लिमों की आबादी बहुल है। 27 देशों में इस्लाम आधिकारिक धर्म है। वहीं, बात ईसाइयों की करें तो दुनिया में 100 से भी अधिक देश ऐसे है, जहां ईसाई बहुसंख्यक हैं और 15 देशों में ईसाई आधिकारिक धर्म है। दुनिया के मात्र तीन देशों में हिंदू सबसे अधिक संख्या में रहते हैं, जिनमें भारत, नेपाल और मॉरिशस शामिल है परंतु इन सब के बावजूद इनमें से कोई भी देश हिंदू राष्ट्र नहीं है। भारत में सबसे अधिक संख्या में हिंदू हैं परंतु वर्ष 2006 में उससे यह दर्जा छीन गया। वामपंथियों को मुस्लिम और ईसाई देशों से कोई समस्या नहीं है, उन्हें तकलीफ है तो केवल इससे कि हिंदू बहुसंख्यक वाला कोई देश हिंदू राष्ट्र न बन जाए।

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हिंदू धर्म को सहिष्णु और उदार माना जाता है। आज भी हिंदू अहिंसा परमो धर्म के मंत्र को अपनाते हैं और इसी राह पर आगे बढ़ते है। भारत में हिंदू हमेशा से बहुसंख्यक रहे हैं, बावजूद इसके अल्पसंख्यको के लिए हिंदू कभी भी खतरा नहीं बनें। अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोग भारत में शांति से रहते आ रहे हैं। उन्हें हर प्रकार की उतनी ही स्वतंत्रता है, जितनी हिंदुओं को है। देश का संविधान उन्हें अपने हर त्योहारों को अपने तौर-तरीके से मनाने की पूरी अनुमति प्रदान करता है। इसके अलावा अल्पसंख्यक होने के कारण उन्हें कई तरह के अतिरिक्त लाभ और सुविधाएं भी मिलती हैं, जो बहुसंख्यक होने के कारण हिंदुओं को नहीं मिल पाती।

परंतु क्या मुस्लिम देशों में हिंदू इतनी ही शांति से रह पाते हैं? आप देखेंगे कि अधिकतर मुस्लिम देशों में हिंदुओं के साथ अत्याचार की खबरें आये दिन सामने आती ही रहती है। कई मुस्लिम देशों में हिंदुओं की स्थिति दयनीय नजर आती है। आप पाकिस्तान को देख लीजिए या फिर बांग्लादेश का ही उदाहरण ले लीजिए। बांग्लादेश में हिंदुओं को शांति से उनके त्योहार नहीं मनाने दिए जाते। दुर्गा पूजा हो या हिंदुओं का कोई अन्य त्योहार, उनके साथ मारपीट, उनके मंदिरों में तोड़फोड़ के मामले सामने आने लगते हैं। इसके अलावा आप जम्मू कश्मीर को भी देख सकते हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी अधिक होने की वजह से किस प्रकार कश्मीरी पंडितों को मारा गया और नतीजा यह हुआ कि कश्मीरी पंडितों अपना ही घर छोड़कर वहां से जाने पर मजबूर हो गए। कई देशों में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों पर बढ़ते अत्याचार के कारण ही मोदी सरकार भारत में CAA लेकर आई, जिससे पीड़ित लोगों को भारत में शरण लेने में कुछ हद तक आसानी हो सके। लेकिन वामपंथियों ने अपने घटिया विचारों के साथ इसका भी विरोध करना शुरु कर दिया, देश के कई हिस्सों में हिंसक आंदोलन देखने को मिला। नतीजा यह हुआ कि यह कानून भी ठंडे बस्ते में चला गया।

भारत में आज हिंदू भले ही बहुसंख्यक हों परंतु देश में उनके विरुद्ध अपराध बढ़ता ही जा रहा है। तमाम मुद्दों की आड़ में एक समुदाय के द्वारा देश में कट्टरता को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। हिंदुओं के विरुद्ध जहर घोलने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश को ‘इस्लामिक राष्ट्र’ तक बनाने के सपने देखे जा रहे हैं। देश के कई हिस्सों में धर्मांतरण का खेल भी खेला जा रहा है! इसके अतिरिक्त देखा जाए तो हिंदू धर्म में धर्मांतरण की भी अवधारणा नहीं है। किसी को भी हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर नहीं किया जाता। जबकि पाकिस्तान जैसे कई देशों से हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ जबरन धर्मांतरण की तमाम घटनाएं सामने आती रहती हैं, लव जिहाद को बढ़ावा दिया जाता है।

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ज्ञात हो कि भारत एक सेक्युलर यानी धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हर धर्म को अपने अनुसार रहने की आजादी मिलती है। किसी के साथ इस वजह से भेदभाव नहीं किया जाता क्योंकि वो अन्य धर्म का है। परंतु भारत में अगर किसी के साथ भेदभाव होता है तो वो हिंदू धर्म ही है। इसका एक बड़ा उदाहरण हज सब्सिडी है। क्या आप जानते है हज सब्सिडी क्या है? दरअसल, भारतीय मुसलमानों को केंद्र सरकार द्वारा हज यात्रा करने के लिए सब्सिडी दी जाती थी। वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सब्सिडी को 10 सालों के भीतर खत्म करने का आदेश दिया था, जिसके बाद वर्ष 2018 में मोदी सरकार द्वारा इससे समाप्त किया गया। उस दौरान सरकार ने बताया था कि इससे सरकार के 700 करोड़ रुपए बचेंगे, जिनका उपयोग अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। हज यात्रा पर खर्च होने वाला यह पैसा आप और हम जैसे भारतीयों द्वारा दिया गया टैक्स ही था, जिसका इस्तेमाल एक समुदाय के धार्मिक पर्यटन के लिए किया जाता था।

भारत सरकार मंदिरों को नियंत्रित करती है लेकिन मस्जिद और चर्च स्वायत्त हैं। किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में इस तरह किसी एक समुदाय को विशेष सुविधाएं नहीं दी जाती। भारत में तो जहां हज यात्रा के लिए सब्सिडी दी जाती थी तो वही सऊदी अरब ऐसा देश है, जहां हिंदुओं को सऊदी अरब में सार्वजनिक रूप से पूजा करने की अनुमति तक नहीं मिलती। हिंदुओं द्वारा हमेशा से ही अल्पसंख्यकों का स्वागत किया गया और उन्हें संरक्षण दिया गया। पारसियों को दुनिया में सताया गया तो हिंदू समुदाय ने उनका स्वागत किया। यहूदियों ने 2000 वर्ष पहले भारत में शरण ली। अन्य देशों में सताय गया सिख भी भारत की ओर रुख कर रहे हैं। भारत ने तो मुस्लिम कलाकार अदनान शामी तक को नागरिकता दे दी। ऐसे में यदि कोई कहे कि देश का बहुसंख्यक हिंदू समुदाय अन्य समुदायों से घृणा करता है तो आप उसकी कुंठा को आसानी से समझ सकते हैं।

भारत तब तक ही एक प्रगतिशील देश बना रहेगा, जब तक धर्मनिरपेक्ष रहेगा। भारत तब तक ही धर्मनिरपेक्ष बना रहेगा, जब तक यहां हिंदू बहुसंख्यक रहेंगे और हिंदुओं का वर्चस्व रहेगा। क्योंकि जिस देश में भी अन्य धर्म के लोगों की संख्या बहुतायत है, वहां अल्पसंख्यकों का हश्र किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता कि भारत हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो देश के धर्मनिरपेक्षता को खतरा है। पारसी, जैन, सिख, मुस्लिम, बौद्ध सहित भारत में सभी धर्मों का विकास हुआ है क्योंकि हिंदू अन्य धर्मों के प्रति असहिष्णु नहीं हैं। भारत अगर एक हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो देश में समान नागरिक संहिता आएगी, जिससे किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं होगा, केवल अल्पसंख्यक होने की वजह से किसी को भी विशेष सुविधाएं नहीं मिलेंगी! इसलिए भारत के हिंदू राष्ट्र बनने से कोई समस्या नहीं है, क्योंकि हिंदू सहिष्णु हैं, हिंदुओं द्वारा जबरन धर्मांतरण को बढ़ावा नहीं दिया जाता और हिंदुओं द्वारा हर धर्म का सम्मान किया जाता है।

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