अमेरिका को लात मारे और इज़रायल का ड्रोन खरीदे भारत, कारण ये है

अमेरिका गिड़गिड़ा रहा है लेकिन उसे वैसा ही रहने दो।

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पाकिस्तान और चीन दोनों पड़ोसियों से मिल रही चुनौती के कारण भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमता मजबूत करने के प्रयासों में जुटा रहता है। एक तो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे सफल अभियानों के कारण इसमें काफी सहायता मिल रही है। इसके साथ ही भारत अपनी रक्षा क्षमता को और बढ़ाने के लिए अन्य देशों से भी रक्षा उपकरण लगातार खरीद रहा है।

हाल ही में खबर आयी है कि भारत जल्द ही अमेरिका से उसका MQ-9B ड्रोन खरीदने की तैयारी में है। अमेरिका ने जिसके जरिए उसने पिछले ही महीने अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी का खात्मा किया था, MQ-9B प्रीडेटर उसका ही एक प्रकार है। जानकारी मिली कि भारत और अमेरिका के बीच 30 ड्रोन खरीदने के लिए बातचीत अंतिम दौर में आ चुकी है। दोनों के बीच यह डील तीन अरब डॉलर में होने की संभावनाएं हैं।

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भारत एक सशस्त्र ड्रोन की तलाश में हैं

यह समझना मुश्किल नहीं है कि भारत एक सशस्त्र ड्रोन की तलाश में हैं परंतु एक निगरानी ड्रोन के तौर पर अमेरिकी ड्रोन की क्यों आवश्यकता है, जब वो इससे कम कीमत में एक बेहतर विकल्प भी चुन सकता है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं इजरायल की हेरॉन ड्रोन की जो विश्व की सबसे उन्नत तकनीत से लैस मानी जाती है।

दुश्मनों पर नजर रखने के लिए हेरॉन टीपी ड्रोन को सबसे भरोसेमंद माना जाता है। निगरानी के मामले में इसका कोई तोड़ नहीं है। इजराइल की हेरॉन ड्रोन 35 हजार फीट की ऊंचाई तक 52 घंटे उड़ान भरने में सक्षम हैं। इसे सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम की मदद से लंबी दूरी तक उड़ाया जा सकता है। यह कई प्रकार के मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। ड्रोन में ऑटोमेटिक टैक्सी-टेकऑफ और लैंडिंग तकनीक है। हर मौसम में उड़ान भरने में माहिर हेरॉन ड्रोन तमाम तरह के सेंसर्स और कैमरों से युक्त हैं। इसमें ऐसे कैमरे लगे हैं जो रात या अंधेरे में भी देखने में मदद करते हैं। ड्रोन को नियंत्रित करने के लिए जमीन पर एक ग्राउंड स्टेशन बनाया जाता है, जिसमें मैन्युअल और ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम होता है। इस खतरनाक ड्रोन की रेंज 7400km है।

साथ ही इसे लगातार अपग्रेड किया जा रहा है और इसकी क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। ड्रोन के नए वर्जन में इसकी एंटी जैमिंग क्षमता पूर्व की तुलना में और बेहतर हुई है। भारत लंबे समय से हेरॉन ड्रोन का उपयोग कर रहा है। चीन पर नजर रखने के लिए एलएसी पर भी भारत हेरॉन ड्रोन को तैनात कर चुका है। हेरॉन ड्रोन द्वारा संतोषजनक तरीके से काम भी कर रही है।

वहीं बात अमेरिकी ड्रोन की करें तो MQ-9B ड्रोन MQ-9 रीपर का ही एक प्रकार है, जिसका प्रयोग करके अमेरिका ने अल-जवाहिरी पर हेलफायर मिसाइल दागी और उसे ढेर कर दिया। ड्रोन ऊंचाई के इलाकों में भी 35 घंटे तक हवा में रह सकता है, ड्रोन को अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स द्वारा तैयार किया गया है। यह चार हेलफायर मिसाइल और करीब 450 किग्रा बम ले जाने में सक्षम है। वहीं इसकी रेंज की बात करें तो वो 1900km है।

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दोनों ही पैनी नजर रखने वाले ड्रोन हैं

अमेरिकी ड्रोन को निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने समेत कई उद्देश्यों के लिए तैनात किया जा सकता है। हाईटेक रडार से लैस ड्रोन लक्ष्य को आसानी से ढूंढकर निगरानी के समय दुश्मन को चकमा देकर अहम जानकारी जुटा लेती है।

देखा जाए तो दोनों ही पैनी नजर रखने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। परंतु अमेरिकी ड्रोन की कीमत काफी अधिक है। MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन 100 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है, जबकि इजरायल की हेरॉन ड्रोन इसकी तुलना में काफी सस्ती है। हीरॉन टीपी ड्रोन की कीमत 35 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट के आसपास है।

ऐसा खबरें भी हैं कि भारत हेरॉन टीपी ड्रोन के निर्माण पर भी विचार कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इजराइल की कंपनी से सहयोग से हेरॉन टीपी ड्रोन्स बनाने की योजना बना रही है। अफसरों के अनुसार इजरायल के साथ बनने वाले ड्रोन केवल सशस्त्र बलों के काम ही नहीं आएंगे बल्कि वैश्विक सप्लाई के लिए भी इसका उत्पादन किया जाएगा। ऐसे में इजराइल का हेरॉन टॉप ड्रोन भारत के लिए एक बेहतर विकल्प मानी जा सकती है। ऐसे में भारत को अमेरिका MQ-9B ड्रोन के बजाए इजरायल के हेरॉन ड्रोन का विकल्प चुनना चाहिए।

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