कार्तिकेय 2: ‘हिंदूफोबिक’ इंडिया टुडे को भगवान श्रीकृष्ण से बहुत दिक्कत है

फ़िल्म में 'टू मच कृष्णा' है- लिखने के बाद इंडिया टुडे पर प्रभु का प्रकोप बरस रहा है!

India Today, Karthikeya 2

Source- TFI

‘झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो। कुछ कहो तो झूठ कहो, कुछ लिखो तो सिर्फ झूठ लिखो और इतना झूठ फैलाओ कि तुम्हारा घर, प्रोपेगेंडा और यहां तक कि तुम्हारे नसों में भी झूठ चलता रहे।’ हिंदूफोबिक इंडिया टुडे की हालत इन दिनों कुछ ऐसी ही हो गई है। हिंदू धर्म को कैसे नीचा दिखाया जाए इस प्रयास में इंडिया टुडे समूह सदैव अग्रिम पंक्ति में खडा पाया गया है और इस न्यूज चैनल ने हिंदुओं की आस्था पर एक बार फिर चोट किया है, जिसके बाद से ही इंडिया टुडे पर भगवान श्रीकृष्ण का प्रकोप बरस रहा है।

वो एक कहावत है न कि स्वान की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती है। कुछ ऐसी ही हालत इंडिया टुडे समूह के कुछ स्तंभकारों और पत्रकारों की है जो बिना शोध किए कुछ भी लिखते हैं और बाद में फजीहत होने पर एक दूसरे की बगले झांकते हैं। इस बार उन्होंने सीधे भगवान श्रीकृष्ण पर टिप्पणी करनी चाही जिसका विरोध होने पर इंडिया टुडे ने अपने लेख का शीर्षक तो बदल दिया लेकिन इसके बावजूद बुरी तरह फंस गया है।

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दरअसल, कार्तिकेय 2 भारतीय तेलुगु भाषा की एडवेंचर थ्रिलर फिल्म है, जिसे चंदू मोंडेती द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया है। इंडिया टुडे द्वारा लिखा गया इस फिल्म का कथित रिव्यू, रिव्यू कम और निजी राय अधिक प्रतीत हो रहा है। ईसाई स्तंभकार ग्रेस सिरिल को यह फिल्म इसलिए बोरिंग लगी क्योंकि फिल्म में भगवान श्रीकृष्ण का वर्णन किया गया है। उनके मुताबिक फिल्म में जिस मात्रा में भगवान कृष्ण का चित्रण किया गया है उस वजह से इंडिया टुडे के विचार अनुसार फिल्म देखने का कोई औचित्य नहीं बनता। अंत में ग्रेस सिरिल के लेख में फिल्म की रेटिंग उनके लिखे लेख जैसी ही थी, अर्थात् 5 स्टार में से 1.5 स्टार।

अब, जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी! जितनी समझ होगी, जितना तथाकथित सेक्युलरिज्म घुसा होगा दिमाग में उतना ही तो काम करेगा। स्तंभकार ग्रेस सिरिल ने एक फिल्म रिव्यू के बजाय कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा ही किया। यहां तक तो सवाल था एक स्तंभकार के रुप में इंडिया टुडे का बेकार चयन। अब जब फिल्म रिव्यू के नाम पर व्यक्तिगत कुंठा उजागर कर ही ली गई थी तो फिर उसमें भगवान श्रीकृष्ण का महिमामंडन करने का आरोप हो या पूरी फिल्म का हिंदू संदर्भों के इर्द-गिर्द घूमना हो, इन सभी अनर्गल आरोपों का विरोध इंडिया टुडे समूह को हमेशा की भांति इस बार भी झेलना पडा है।

दूसरा सवाल यह है कि अगर इंडिया टुडे गलत नहीं था तो हेडलाइन क्यों चेंज किया? पहले इस रिव्यू की हैड़लाइन थी कि “कार्तिकेय 2 फिल्म समीक्षा: निखिल सिद्धार्थ की फिल्म में श्री कृष्ण के संदर्भ बहुत अधिक हैं, लेकिन कहानी कहां है?” बिल्कुल इंडिया टुडे बिल्कुल, आपको कहानी अवश्य मिलेगी लेकिन उससे पूर्व विरोध से बचने के लिए आपकी उस नीति को बताना आवश्यक है जो इस बार आपने शीर्षक को बदलकर अपनाई। विरोध के बाद शीर्षक बदल कर इंडिया टुडे ने लिखा, “कार्तिकेय 2 मूवी रिव्यू: निखिल सिद्धार्थ की इस फिल्म में श्रीकृष्ण की पायल की तलाश में खो जाता है प्लॉट।”

क्यों नहीं, अब इतनी फजीहत हो गई थी तो शीर्षक तो बदलना ही था पर जैसा कि हमने शुरुआत में कहा कि नक़ल के लिए भी अकल चाहिए होती है। महानुभावों ने शीर्षक तो बदल दिया पर बेचारे स्लग से कीवर्ड़ हटाना भूल गए, जिससे शीर्षक तो बदल गया पर पिछले शीर्षक के अंश उस स्लग के रूप में पीछे छूट गए। ध्यान देने वाली बात है कि यह वही इंडिया टुडे समूह है जहां राजदीप सरदेसाई जैसे वो पत्रकार ज्ञान बिखेरने का प्रयास करते हैं जो हमेशा अर्धज्ञान होता है। ज्ञात हो कि कोरोनाकाल में आपदा ने राज्यों के स्वास्थ्य प्रबंधन के ऊपर कई सवाल खड़े किए पर बाद में उनमें से कई निराधार निकले। “कुम्भ मेला बनेगा सुपर स्प्रेडर”, ऐसी झूठी खबर फैलाने के लिए India Today को पूर्व में केंद्र सरकार से भी लताड़ पड़ी थी।

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ऐसे में अब भगवान श्रीकृष्ण को निशाना बनाने वाली यह कथित मूवी रिव्यू रिपोर्ट, इंडिया टुडे के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात हो गई है। वहीं, इंडिया टुडे को भगवान श्रीकृष्ण के कोप का सामना करना पड़ रहा है यह भी सत्य है क्योंकि जितनी लताड़ एक मीड़िया समूह के रूप में India Today को मिल रही है, शायद ही अन्य किसी को मिली होगी और अगर स्थिति ऐसी ही रही तो वह दिन दूर नहीं जब इंडिया टुडे की हालत एनडीटीवी के समान हो जाए!

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