देश में एक सबसे सबसे बड़ी समस्या यह है कि सबकुछ राजनेताओं और अधिकारियों के जिम्मे छोड़ दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि वे अपने आप को किसी सुपर पावर की तरह समझते हैं लेकिन देश की संप्रभुता और सुरक्षा की बात आती है तो निश्चित तौर पर यह ध्यान रखना चाहिए किसी भी प्रकार की ढुलमुल नीति न अपनाई जाए और सेना अपनी जरुरतों के लिए आपातकालीन स्थिति में हथियारों की खरीद से लेकर भर्ती तक में सक्षम हो। मोदी सरकार के नेतृत्व में अब सेना को यही आपातकालीन शक्ति मिलने वाली है जो कि सुरक्षा के लिहाज से अहम फैसला हो सकता है।
दरअसल, भारतीय सेना को किसी भी आपात स्थिति से निपटने और ज्यादा मजबूती प्रदान करने के लिए लगातार रक्षा मंत्रालय तैयारियों में जुटा हुआ है। इसके तहत हाल ही में सेना को अत्याधुनिक हथियार सौंपे गए हैं। वहीं अब ख़बरें हैं कि मंत्रालय इन अहम सुरक्षा बलों को आपातकालीन अधिग्रहण शक्तियों के तहत महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों या उपकरणों को तेजी से खरीदने की अनुमति दे सकता है। इसके फायदे की बात करें तो इमरजेंसी पावर सेना को युद्ध के लिए बेहतर तैयारी के लिए किसी भी नए या मौजूदा उपकरण को जल्दी से प्राप्त करने के काबिल बनाएंगे।
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जानकारी के मुताबिक अगले सप्ताह होने वाली रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों को आपातकालीन अधिग्रहण क्षमता देने के विषय में चर्चा होगी। भारत इस समय दो मोर्चों पर टकरावों का सामना कर रहा है एक तरफ जहां पाकिस्तान की आतंक नीति है तो दूसरी ओर चीन की विस्तारवादी सोच… ऐसे में सेना को अतिरिक्त ताकत देना देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है जिससे किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके और कोई सरकारी व्यवधान सेना के काम में तनिक भी रोड़ा न बन सके।
जानकारी के अनुसार सुरक्षा बलों को रक्षा मंत्रालय से अनुमति का अनुरोध करने के बजाय नई खरीद पर अपने स्वयं के वित्तीय आवंटन से पैसा खर्च करने की आजादी मिल जाएगी। वहीं सशस्त्र बलों के पास खरीदने के लिए उपकरणों की एक लंबी लिस्ट है और वे स्वदेशी के साथ-साथ विदेशी निर्मित उत्पादों को खरीदने के लिए शक्तियों का उपयोग करेंगे। सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक या आधिकारिक हस्तक्षेप नहीं होगा जिससे भ्रष्टाचार और घूसखोरी खत्म होगी।
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इससे पहले भी मोदी सरकार ने सुरक्षा बलों को ये अधिकार दिए थे और यह समय चीन के साथ साल 2020 के टकराव का था। इन अधिग्रहणों के माध्यम से ही सेना ने अपनी तैयारियों को चीन के खिलाफ मजबूत किया था। भारतीय वायु सेना और सेना को ‘हेरॉन’ मानव रहित हवाई वाहन लिया था, जिनका उपयोग अब लद्दाख के साथ-साथ पूर्वोत्तर में भी चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है।
गौरतलब है यदि रक्षा मंत्रालय इस बात पर सहमति जताता है और भारतीय सेना को आपातकालीन स्थिति के लिए हथियारों की खरीद आजादी देता है तो सेना 300 करोड़ रुपए तक के हथियार तुरंत ही खरीद सकेगी। आपको बता दें कि भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय लगातार सेना और सभी तरह के सुरक्षा बलों को उच्च कोटि के अत्याधुनिक हथियार देने के मुद्दे पर काम करता रहा है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुपर एडवांस रक्षा उपकरणों का एक जखीरा सेना को सौंपा था।
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