चीन की टेक्सटाइल इंडस्ट्री की लाश पर खड़ा होगा भारत का कपड़ा उद्योग

कफन के लिए कपड़ा भी भारत ही देगा!

PM Modi

Source- TFI

कोरोना महामारी  के कारण कई विदेशी कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने चीन से अपना कारोबार समेट लिया और दूसरे देशों में अपने व्यवसाय को चलाने की उचित जगह ढूंढने लगी. इस समय भी चीन के हालात कुछ अच्छे नहीं हैं. कोरोना को पूरी तरह से काबू करने में नाकाम रहा चीन अभी भी कई जगहों पर लॉकडाउन का सामना कर रहा है. साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था भी इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और स्थानीय लोगों के बीच चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. चीन की डांवाडोल अर्थव्यवस्था के बीच वहां बची खुची कुछ विदेशी कंपनियां भी अब चीन से बाहर निकलने का मन बना लिया है. यानी यह जा सकता है कि अब रिटेल सेक्टर के बर्बाद होने के बाद अब चीन की टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी अपने बर्बाद होने के कगार पर खड़ी है जिसका सीधा फायदा भारत उठा सकता है. भारत सरकार वर्ष 2030 तक देश का कपड़ा निर्यात 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने की प्लानिंग में लगी हुई है.

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ महीने पहले एक बड़ा जर्मन ब्रांड, जो कई वर्षों से चीन से टी-शर्ट की सोर्सिंग कर रहा है, तमिलनाडु के प्रसिद्ध टेक्सटाइल हब तिरुपुर में एक सप्लायर के पास पहुंचा। जर्मन कंपनी के अधिकारी ने तमिलनाडु की वारसॉ इंटरनेशनल से उनके काम करने के तरीके में पूछा, भुगतान की बात की गई और आखिर में जर्मन ब्रांड ने वारसॉ इंटरनेशनल को इस वित्तीय वर्ष के लिए चार लाख पीस टी-शर्ट ऑर्डर करने का वादा किया. जर्मन कंपनी का कहना था कि वह अपने कारोबार का एक हिस्सा चीन से दूर स्थानांतरित करना चाहता है. यह ऐसा पहला किस्सा नहीं है बल्कि पिछले कुछ महीनों में, तिरुपुर स्थित कई आपूर्तिकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों से कई ऑर्डर मिले हैं और लगभग हर आर्डर के पीछे का कारण यही था कि वे कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहती हैं.

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इससे भारत को क्या लाभ होगा?

ध्यान देने वाली बात है कि भारत दुनिया में कपड़ा और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत दुनिया में कपास और जूट के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. भारत दुनिया में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है और पूरी दुनिया में हाथ से बुने हुए कपड़े का 95% निर्यात भारत करता है. भारत दुनिया में पीपीई का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता भी बन गया है. भारत में 600 से अधिक कंपनियां आज पीपीई का उत्पादन करने के लिए प्रमाणित हैं, जिनकी वैश्विक बाजार कीमत 2025 तक 92.5 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, जो 2019 में 52.7 बिलियन डॉलर से अधिक है.

इन आंकड़ों से साफ़ है कि भारत के पास आवश्यकता की वह हर वस्तु है जिसका उपयोग कपडे के निर्माण में होता है. साथ ही, इस समय जब सभी विदेशी कंपनियां चीन से अपना कारोबार धीरे-धीरे समेटने में लगी हैं तो आवश्यक है कि भारत इस मौके का पूरा फायदा उठाए और अपनी योजनाओं के माध्यम से विदेशी कंपनियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करे. यदि ये कंपनियां भारत में आती हैं तो न केवल भारत में रोजगार बढ़ेगा बल्कि हमारा निर्यात भी बढ़ेगा और यह भी संभव है कि भारत जल्द ही परिधान निर्यात के मामले में छठे पायदान से पहले स्थान पर पहुंच जाए.

टेक्सटाइल क्षेत्र में किसकी होगी जीत?

भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग देश में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है जो 45 मिलियन लोगों और संबद्ध उद्योगों में 100 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है. इसी दिशा में कार्य करते हुए पीएम मोदी ने “पीएम मित्र योजना” चलाई. मई माह में कपड़ा मंत्रालय द्वारा “पीएम मित्र योजना” पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जहां कई राज्यों ने अपने-अपने राज्यों में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने पर प्रस्तुतियां दीं. कई देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों में मोदी सरकार ने कपड़ा क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान दिया है.

हाल ही में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ कपड़ा निर्यात के लिए जीरो-ड्यूटी एक्सेस पर बातचीत की है, यह एक ऐसा कदम है जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगा. साथ ही यूरोपीय यूनियन, कनाडा, ब्रिटेन और गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल के दूसरे सदस्य देशों में भी निर्यात को ड्यूटी फ्री करने की कोशिश कर रहा है. योजना के तहत कपड़ा मंत्रालय 7 Mega Integrated Textile Region and Apparel (PM MITRA) Parks  स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसमें कुल लागत रु 4,445 करोड़ का होगा. बताया जा रहा है कि पीएम मित्रा पार्क में विश्व स्तरीय औद्योगिक बुनियादी ढांचा होगा जो अत्याधुनिक तकनीक को आकर्षित करेगा और कपड़ा क्षेत्र में एफडीआई और स्थानीय निवेश को बढ़ावा देगा.

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चीन से कितना आगे है भारत?

वैसे तो भारत ने कई मामलों में चीन को पीछे छोड़ दिया है. बात चाहे वित्तीय क्षेत्र की हो या दवाओं के निर्माण की, भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. अंतरिक्ष मिशन में भी भारत चीन को कड़ी टक्कर दे रहा है. यहां तक कि वैश्विक खुदरा विकास सूचकांक (GRDI) की सूची में भारत 30 विकासशील देशों में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए चीन को पीछे छोड़ चुका है. केवल इतना ही नहीं, भारत की सेना भी चीन से कई गुना आगे है. खासकर तब, जब लड़ाई ऊंचे पर्वतों पर हो. उच्च पर्वतीय युद्ध में भारतीय विशेषज्ञता की इतनी सराहना की जाती है कि अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी अपने सैनिकों को जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में विशिष्ट प्रशिक्षण के लिए भेजते हैं। भारतीय सेना पहले से ही सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्य अड्डे की निगरानी कर रही है। यही कारण है कि चीन ऊंचे पहाड़ों में भारत को चुनौती देने से अब कतराने लगा है.

पीएम मित्रा की मुख्य विशेषताएं

PM MITRA योजना 5F विजनफार्म से फाइबर, फाइबर से फैक्ट्री, फैक्ट्री से फैशन और फैशन से फॉरेन से प्रेरित है. यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने और भारत को वैश्विक वस्त्र मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में अगला कदम है। पीएम मित्र पार्क एक ही स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण/रंगाई और छपाई से लेकर परिधान निर्माण तक एक एकीकृत कपड़ा मूल्य श्रृंखला बनाने का अवसर प्रदान करेगा। यानी पहले जो कटाई, बुनाई आदि के काम देश के अलग अलग राज्यों में फैले थे उन्हें अब एक ही स्थान पर किया जा सकेगा. इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा बल्कि एकीकृत वस्त्र मूल्य श्रृंखला उद्योग की रसद लागत कम होगी. तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे कई राज्य प्रधानमंत्री की इस योजना में दिलचस्पी दिखा चुके है. जिस तरह से भारत सरकार अपनी ओर से हरसंभव सहायता देने को तैयार है और कई योजनाएं बना रही है, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि भारत जल्द ही टेक्सटाइल क्षेत्र में भी चीन को पीछे छोड़ देगा.

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