अभी हाल ही में भारतीय वायुसेना के 2 पायलटों के मिग 21 हादसे में शहीद होने के बाद भारतीय वायु सेना ने फैसला किया था कि अब धीरे-धीरे वायु सेना से मिग 21 की पूरी फ्लीट को हटा दिया जाएगा क्योंकि अब वे बहुत पुराने हो चुके हैं। देश की रक्षा में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले मिग 21 अब देश के रक्षकों के ही प्राण ले रहे हैं। ज्ञात हो कि भारत एक ऐसा देश है जो हर तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है। चीन और पाकिस्तान भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। ऐसे में आवश्यक है कि भारतीय सेनाओं के पास सभी आधुनिक और मजबूत हथियार हों जो युद्ध की स्थिति में सैनिकों की सहायता कर सकें। भारत की वायु सेना युद्ध स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और ऐसे में सेना के इस अंग का मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है।
लेकिन बीते दिनों में जिस तरह भारतीय वायु सेना के विमान और जेट हादसों के शिकार हुए हैं, ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि कभी युद्ध का बिगुल बजता है तो भारत उस युद्ध के लिए कितना तैयार है? विश्व वायु शक्ति सूचकांक ( World Air Power Index) में भारतीय वायु सेना (IAF) तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2022 में आधुनिक सैन्य विमान (WDMMA) की विश्व निर्देशिका ने ग्लोबल एयर पावर रैंकिंग प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में आईएएफ ने वैश्विक रैंक में छठा स्थान हासिल किया है, जबकि यह अमेरिकी और रूसी वायु सेना के बाद दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत वायु सेना बनकर उभरी है। रैंकिंग में भारतीय वायु सेना ने चीनी वायु सेना (PLAAF), फ्रांसीसी वायु और इजरायली विमानन आधारित सशस्त्र बलों को पीछे छोड़ दिया है।
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कितनी ताकतवर है वायु सेना?
भारतीय वायु सेना की वर्तमान ताकत और क्षमता का अंदाज़ा उसके लड़ाकू जेट से लगाया जा सकता है। वायु सेना में इसकी संख्या, युद्धाभ्यास की ताकत, रेंज और वार करने की क्षमता युद्ध के अंजाम को तय करती है। इस परिदृश्य में भारत के वर्तमान में संचालित लड़ाकू बेड़े की क्षमताओं को समझना अनिवार्य है। वर्तमान में भारत छह प्रकार के लड़ाकू विमानों का संचालन करता है जिसमें सुखोई एसयू-30 एमकेआई, राफेल, तेजस, मिग-29, मिराज 2000 और मिग 21 शामिल हैं। मिग 21 की लगातार दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय वायु सेना वर्ष 2025 तक पुराने विमानों का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर सकती है। प्रभावी रूप से हमारे पास पांच प्रकार के लड़ाकू जेट हैं।
इन सबके बीच सुखोई एसयू-30 एमकेआई भारतीय वायु सेना का सबसे बड़ा और प्राथमिक बेड़ा है। कुल 284 ऑपरेशनल नंबरों के साथ रूस ने सुखोई को अतिरिक्त एयर-टू-ग्राउंड स्ट्राइक क्षमता के साथ काफी बेहतर बनाया। सुखोई के चीनी संस्करण के विपरीत भारतीय संस्करण उन्नत इजरायली एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों से जुड़ा हुआ है। चीन भी एसयू-30 एमकेके और एमके 2 संस्करणों का संचालन करता है लेकिन उसमें इजरायली प्रौद्योगिकी के उपयोग पर प्रतिबंध उन्हें भारतीय जेट की तुलना में घटिया बना देता है। वेक्टरिंग इंजन की अनुपलब्धता के कारण चीनी सुखोई, भारतीय सुखोई की तुलना में अयोग्य और कम फुर्तीले हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण लड़ाकू जेट जो IAF संचालित करता है वह है जगुआर। शमशेर के नाम से मशहूर IAF के पास 139 जगुआर हैं। EL/M-2052 AESA रडार और नए एवियोनिक्स से जुड़े जगुआर को जमीनी हमले के लिए विशेष लड़ाकू जेट माना जाता है। डसॉल्ट मिराज 2000, जिसे वज्र के नाम से भी जाना जाता है वह चौथी पीढ़ी का सिंगल-इंजन मल्टीरोल फाइटर जेट है। वर्तमान में मिराज के लगभग 50 अलग-अलग वेरिएंट IAF द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। फरवरी 2019 में पीओके के अंदर बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हमला करने के लिए भी मिराज-2000 फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया गया था। मिराज-200 भारत के लिए एक अत्यधिक विश्वसनीय विमान है।
वहीं, भारत में निर्मित तेजस दुश्मनों के छक्के छुड़ाने हेतु पूरी तरह से तैयार है। भारत पहले ही स्वदेशी फाइटर जेट तेजस के 2 स्क्वाड्रन को सेना में एक्टिवेट कर चुका है। अगले एक साल में 4 और स्क्वाड्रन सेना को सौंप दिए जाएंगे। इन सभी चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के साथ भारतीय सेना ने अपने बेड़ें में अब 36 डसॉल्ट राफेल भी शामिल किए हैं। राफेल एक फ्रांसीसी ट्विन-इंजन, कैनार्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल फाइटर जेट है जो हवाई वर्चस्व का प्रदर्शन करने में सक्षम है। राफेल न केवल हवाई टोही, इन-डेप्थ स्ट्राइक और जहाज पर प्रहार करने में समर्थ है बल्कि परमाणु निरोध मिशन करने में सक्षम है। राफेल चीन के तथाकथित स्टील्थ फाइटर जे-20 से काफी बेहतर और ‘लड़ाई के लिए तैयार’ है। राफेल ने अफगानिस्तान, बेनगाजी, इराक और सीरिया युद्धों में अपनी क्षमता साबित की है और चीन के जे-20 पर बढ़त हासिल की है जिसकी शक्ति और सामर्थ्य का अभी भी किसी युद्ध में जांचा जाना बाकी है।
लड़ाकू विमानों के आगामी बैच
भविष्य में यदि भारत का पडोसी देश से युद्ध होता है तो वह दो मोर्चों पर होगा क्योंकि चीन और पकिस्तान दोनों ही एक साथ भारत पर नज़रें गड़ाए बैठे रहते हैं। अब तो चीन का कर्ज़दार बनने के बाद से पाकिस्तान अपने आका को खुश करने का हरसंभव प्रयास करता रहता है। नतीजतन, भारत को दोनों पड़ोसियों से एक साथ लड़ने की तैयारी करनी होगी। ऐसे में IAF को लड़ाकू विमानों की लगभग 42-स्क्वाड्रन ताकत की आवश्यकता होगी लेकिन वर्तमान में भारतीय वायु सेना 30-स्क्वाड्रन के साथ संघर्ष कर रही है जो गंभीर चिंता का विषय है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि IAF 2030 तक जगुआर और मिराज के सबसे बड़े बेड़े को सेवानिवृत्त करने के लिए तैयार है जो लगभग 200 लड़ाकू जेट का प्रतिनिधित्व करता है। इस परिदृश्य में स्क्वाड्रन की क्षमता में और कमी आना निश्चित है।
ऐसे में आवश्यक है कि केंद्र जल्द से जल्द वायु सेना को आवश्यकता का हर अस्त्र-शस्त्र और जेट उपलब्ध कराए। इसी पर काम करते हुए फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने IAF को 83 एलसीए एमके-1ए की आपूर्ति करने के लिए HAL के साथ 48,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। इसमें 73 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान और 10 एलसीए एमके-1 ट्रेनर विमान शामिल हैं, जिनकी कीमत 45,696 करोड़ रुपये है। अनुबंध के अनुसार, HAL को 2024 में पहले तीन एमके-1ए विमान IAF को देने हैं। वर्ष 2024 के बाद, यह अगले पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष 16 विमान वितरित करेगा। LCA तेजस को समय पर शामिल करने से फाइटर जेट्स के आवश्यक स्क्वाड्रन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा ‘बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत को 1.5 लाख करोड़ की लागत से लगभग 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) खरीदने की उम्मीद है। IAF पहले चरण में फ्लाई-अवे स्थिति (तत्काल उड़ान के लिए तैयार) में 18 विमानों का आयात करेगा। दूसरे चरण में 36 विमानों का निर्माण भारत में किया जाएगा और भुगतान आंशिक रूप से विदेशी और आंशिक रूप से भारतीय मुद्रा में किया जाएगा। अंतिम चरण में भारतीय भागीदारों द्वारा 60 विमान बनाए जाएंगे और भुगतान केवल भारतीय मुद्रा में किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग और डसॉल्ट एविएशन जैसे वैश्विक निर्माताओं के फ्लोटिंग टेंडर में भाग लेने की उम्मीद है।
भारत के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान
भारत सरकार भारतीय वायु सेना और नौसेना के लिए छठी पीढ़ी के मल्टी-रोल, एयर सुपीरियरिटी फाइटर जेट्स के स्वदेशी विकास के लिए आक्रामक रूप से जोर दे रहा है। डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन), एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) और एक घरेलू निजी कंपनी के संयुक्त सहयोग से भारत 2024-25 तक अपने पहले स्वदेशी उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान का परीक्षण शुरू करने की उम्मीद कर रहा है। वर्ष 2030-35 तक उन लड़ाकू विमानों को सेना बलों में शामिल किया जायेगा।
मौजूदा और आने वाले फाइटर जेट्स की क्षमता को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि भारत भविष्य के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार है। S-400 वायु रक्षा प्रणाली के अतिरिक्त लाभ के साथ भारतीय वायु सेना ने अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को पूरी तरह से सुरक्षित कर लिया है। पांच से आठ वर्षों में 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट और 83 एलसीए के साथ भारत अपने विमान बेड़े को पूरी तरह से आधुनिक बनाने में सक्षम होगा। आवश्यक 42 स्क्वाड्रन क्षमता के साथ भारत दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है।
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