“जब किसी का काम नहीं खराब कर सकते न, तो उसका नाम खराब करो!”
ये संवाद न जाने क्यों हमारी मीडिया पर भी काफी सटीक बैठता है। एक ओर बॉलीवुड के भाग्य किस दिशा में जा रहे हैं, इसका विवरण करने की आवश्यकता नहीं। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारतीय सिनेमा जो अब बहुभाषीय सिनेमा यानि वास्तविक भारतीय सिनेमा में विकसित हो चुका है और अलग ही राह पकड़ चुका है। ये न केवल दर्शक की हर पसंद का ख्याल रख रहा है अपितु बॉक्स ऑफिस पर नित नए आयाम भी छू रहा है, परंतु पुरी जगन्नाध की ‘लाईगर’ को देखकर तो ऐसा नहीं लगता।
तेलुगु निर्देशक पुरी जगन्नाध द्वारा निर्देशित बहुभाषीय ‘लाईगर’ हाल ही में सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई हैं। जिसे दर्शकों की मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली हैं। ये विजय देवेरेकोंडा की प्रथम हिन्दी फिल्म है जिसमें राम्या कृष्णन, अनन्या पाण्डे, मकरंद देशपांडे, रॉनित रॉय, यहाँ तक कि माइक टायसन तक प्रमुख भूमिकाओं में है। ये फिल्म 25 अगस्त को तेलुगु और हिन्दी दोनों में प्रदर्शित हुई थी।
अब ये फिल्म कैसी है ये तो जनता के हाथों में है, परंतु ये फिल्म अपने कॉन्टेन्ट के लिए कम और अपने मूल अभिनेता विजय देवेरेकोंडा के लिए अधिक चर्चा में रहा। उनके कई साक्षात्कार देखकर आपको ऐसा प्रतीत होगा कि इनका ‘अर्जुन रेड्डी’ वाला हैंगओवर अभी उतरा नहीं है और कुछ में इन्होंने घमंड की पराकाष्ठा ही पार कर रखी है।
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उदाहरण के लिए विजय की छोटी छोटी क्लिप्स ‘Liger’ के प्रदर्शन से पूर्व ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। एक क्लिप में वह खुद को कूल दिखाते हुए कह रहे हैं, “मुझको लगता है हम इन लोगों को कुछ ज्यादा ही भाव दे रहे हैं। हमको क्या है। हम तो पिक्चर बनाएँगे। जो देखना चाहते हैं देखेंगे। जो नहीं देखना चाहते हैं वो टीवी में या फोन में देखेंगे। हम क्या कर सकते हैं।”
सोशल मीडिया पर अपनी फिल्म के बॉयकॉट की ख़बरों को लेकर उन्होंने आगे कहा, “जब मेरे पास कुछ नहीं था, तब भी मैं नहीं डरा और आज जब मैंने थोड़ा बहुत हासिल कर लिया है, तो मुझे नहीं लगता कि मुझे डरने की जरूरत है। माँ का आशीर्वाद है, लोगों का प्यार है, भगवान का हाथ है, अंदर आग है, कौन रोकेगा देख लेंगे।”
बस इन्ही बातों पर पर लोग भड़क गए और उनके फिल्म ‘बॉयकॉट Liger’ की मांग करने लगे। इस बयान को सुनने के बाद लोग कह रहे हैं। अब तुम बॉयकॉट की ताकत देखना। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का उनसे कहना है, “भाई तुम अच्छे एक्टर हो लेकिन तुम इस तरह बॉलीवुड से नजदीकियाँ बढ़ाकर अपने को मुश्किल में डाल रहे हो। अल्लू अर्जुन और महेश बाबू को फॉलो करो”।
@TheDeverakonda ….Brother u r a good actor but u are putting urself in trouble by getting close to bollywood..pls follow Allu Arjun and Mahesh Babu
— Sagar Gajare (@Sagar03737875) August 20, 2022
Dear Vijay, could've skipped this question 😀 now you are in trouble
— Mallikarjun Hoysala (@mallu_pattar) August 20, 2022
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बॉयकॉट अभियान पर ऐसे ही एक समय विजय बोले
“मुझे नहीं पता कि उन लोगों (बॉयकॉट करने वालों) का मसला क्या है और वे क्या चाहते हैं। हम अपनी तरफ से सही हैं। मेरा जन्म हैदराबाद में हुआ था। चार्मे का जन्म पंजाब में हुआ था। पुरी सर का जन्म नरसीपट्टनम में हुआ था। क्या हमें काम नहीं करना चाहिए? हमने इस सिनेमा को बनाने के लिए तीन साल तक कड़ी मेहनत की है। क्या हमें अपनी फिल्में रिलीज नहीं करनी चाहिए? क्या हम घर में बैठ जाएँ? दर्शकों का हम पर जो प्यार बरस रहा है, वह आप सब देख रहे हैं। मैं उन दर्शकों के लिए फिल्में कर रहा हूँ। मुझे उन्हीं की जरूरत है। जब तक हमारे पास ये लोग नहीं हैं, तब तक किसी भी डरने की जरूरत नहीं है।”
परंतु क्या आपको नहीं लगता कहीं कुछ गड़बड़ है? जो व्यक्ति ‘गीत गोविंदम’, ‘महानती’, ‘अर्जुन रेड्डी’ जैसे फिल्मों में अपने अभिनय से सबको आकृष्ट कर ले वो अचानक से ऐसी बातें बोलने लगे किसी को भी हजम नहीं होगा। किसी के बहकावे में भी वो नहीं बोलेगा। यहाँ समस्या मीडिया के साथ है जो जानबूझकर उससे वही सवाल पूछ रही है, जिसके उत्तर उसे चाहिए।
वो कैसे? आप एक बार खुद कॉफी विद करण के उस एपिसोड पर ध्यान दीजिएगा, जहां विजय को अपने फिल्म की सह अभिनेत्री अनन्या के साथ करण जौहर ने आमंत्रित किया था। स्वभावअनुसार करण जौहर ने अपनी निर्लज्जता प्रदर्शित करते हुए विजय से ऐसे ऐसे प्रश्न पूछे, जिसके उत्तर शायद कोई सभ्य व्यक्ति जीवन देने से पूर्व दो बार सोचे, परंतु विजय ने ऐसे विकट परिस्थिति में भी अपना संयम बरता और ये भी सिद्ध किया कि वे इस उद्योग में अपने लिए एक अलग पहचान स्थापित करने आए हैं।
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अब यदि ये सिद्धांत शत प्रतिशत सत्य है तो बॉलीवुड मीडिया का यह गठजोड़ विजय को बदनाम करके क्या ही कर लेगा? बहुभाषीय सिनेमा अब एक ऐसा अथाह सागर है जिसे बढ़ने के लिए किसी छोर की आवश्यकता नहीं और विजय के पास ‘खुशी’, ‘जन गण मन’ समेत अनंत अवसर है, परंतु ऐसी ओछी हरकतों से मीडिया केवल यही सिद्ध करेगी कि उन्हें अब भी भारतीय सिनेमा के हित से कोई वास्ता नहीं।
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