कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद से लेकर बांग्लादेश तक: अपने बच्चों में हिंदुओं के विरुद्ध विष भर रहे हैं इस्लामिस्ट

अब इस्लामिस्ट बच्चों से भी लगवा रहे हैं 'सर तन से जुदा' के नारे!

इस्लामिस्ट

Source- TFI

‘गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा…’ ये वो नारा है जो देश में इस्लामिक कट्टरता को सीधे तौर पर बढ़ावा दे रहा है। नूपुर शर्मा विवाद के बाद से आए दिन यह नारा सुनने को मिलता है। हाल ही में तेलंगाना के पूर्व बीजेपी नेता टी राजा सिंह के एक बयान को लेकर मुस्लिम वर्ग फिर भड़क गया और हैदराबाद की सड़कों पर एक बार फिर सर तन से जुदा का नारा गूंजने लगा। ऐसा नहीं है कि ये नारा केवल‌ कट्टरपंथी ही लगा रहे हैं बल्कि अब तो सड़कों पर मुस्लिम समाज के बच्चे भी उतर आए हैं। यह देश में एक नए आतंकवाद की पटकथा का संकेत दे रहा है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा खतरा है।

दरअसल, पिछले दिनों कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के विरोध में टी राजा सिंह ने एक विवादित बयान दिया था, जिसके बाद उन्हें बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया। उनकी गिरफ्तारी हुई और फिर कोर्ट से जमानत भी हुई लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हैदराबाद की सड़कों पर आक्रामक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं और मुस्लिम वर्ग के युवा से लेकर बच्चे तक भाग ले रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में ‘सर तन से जुदा’ के नफरती नारे बच्चों की तरफ से भी लगाए जा रहे हैं, जो स्पष्ट संकेत है कि उनके हृदय में नया नफरती विष घोला जा रहा है।

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कांग्रेस नेता ने लगाए नारे

बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं और उन्हें कुछ इसी तरह ‘सर तन से जुदा’ का फॉर्मूला सिखाया जा रहा है। किसी आम आदमी के द्वारा आक्रामक बात की जाए तो समझ आता है लेकिन जब कांग्रेस के प्रदेश स्तर का नेता भी ‘सर तन से जुदा’ का नारा लगाने लगे तो समझ जाइए कि प्लानिंग कुछ और ही है। तेलंगाना कांग्रेस प्रदेश कमिटी के सचिव राशिद खान स्वयं ही यह कहते दिखें कि वो टी राजा सिंह पर कार्रवाई न होने की स्थिति में किसी भी कीमत पर उन्हें आग लगाकर मार देंगे क्योंकि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद को लेकर अपमानजनक बात कही है।

यही नहीं, कांग्रेस के ये महाशय यह तक कहने लगे थे कि उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई तो वो पूरे हैदराबाद को आग लगा देंगे। अब जब मंच से कोई नेता ऐसा हिंसात्मक बयान देगा तो बच्चों का तो हौसला बढ़ेगा ही। नतीजा यह हुआ कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान बच्चे भी ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाने लगे। यह देश की नई पीढ़ी को निश्चित तौर पर बर्बाद करने की साज़िश का संकेत है। वहीं, जब राशिद खान से पूछा गया कि बच्चे भी ‘सर तन से जुदा’ का नारा लगा रहे हैं तो जनाब ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए इसे बच्चों की आस्था करार दिया।

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ध्यान देने वाली बात है कि राशिद खान जिसे आस्था कह रहे हैं, असल में वही आगे जाकर इस्लामिक कट्टरता के जरिए आतंकवाद का रूप लेती है। अब भारत को पड़ोसी मुल्कों से नहीं बल्कि घर में बैठे इन इस्लामिस्टों से खतरा है क्योंकि ये न केवल कट्टरता फैला रहे हैं बल्कि इसे नई पीढ़ी को भी ट्रांसफर कर रहे हैं। इसी के कारण अब क्रिकेट में भी धर्म दिखने लगा है। जी हां, यह बांग्लादेश में हुआ है जहां एक बच्चे ने बांग्लादेशी खिलाड़ियों में मुस्लिम खिलाड़ियों से मिलने की इच्छा जताई लेकिन सौम्या सरकार से नहीं। उस बच्चे से जब इसका कारण पूछा गया तो उसने स्पष्ट तौर पर कहा कि सौम्या सरकार हिंदू हैं।

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दिल्ली और कश्मीर में भी कुछ ऐसे ही हैं हालात

यह पहली बार नहीं है कि जब इस्लामिक विरोध प्रदर्शनों में बच्चों का ‘जिहादी’ रुख सामने आया है। वर्ष 2020 में दिल्ली में सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी मुस्लिम वर्ग के बच्चों की न केवल कट्टरता देखने को मिली थी बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जान से मारने तक की बात कही गई थी। इस दौरान इन बच्चों ने ‘तेरा मेरा रिश्ता क्या, ला इलाहा इल्लल्लाह’ जैसा नारा भी लगाया था। यह दिखाता है कि इस्लामिक कट्टरता का बीज लंबे समय से बच्चों में बोया जा रहा है।

वहीं, कश्मीर हमेशा से ही संवेदनशील रहा है और इस्लामिक कट्टरता का सबसे ज्यादा त्रास इसने ही झेला है जहां बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े तक ‘सर तन से जुदा’ का नारा लगाते रहे हैं। हाल ही में वहां की छात्राएं तक यही नारा लगाती नजर आईं थी जो काफी आपत्तिजनक है। नूपुर शर्मा विवाद के बाद से यह नारा सर्वाधिक चर्चा में आया और इस दौरान ही दो लोगों ने मिलकर उदयपुर में कन्हैयालाल सोनकर नामक एक दर्जी की हत्या कर दी थी। नारे को साकार करते हुए हमलावरों ने कन्हैयालाल के सिर को शरीर से अलग कर एक जघन्य आतंकी मानसिकता का प्रदर्शन किया था। यही आतंकी मानसिकता अब देश के मुस्लिम वर्ग के बच्चों के दिमाग में भी भरी जा रही है जो कि उन्हें स्लीपर सेल बनाने की ओर ले जा रही है! ये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा है और इसके कारण अब इन मुद्दों पर सख़्त कार्रवाई की आवश्यकता है।

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