ममता बनर्जी की हालिया घोषणा उनकी ही टीएमसी का नाश कर देगी

बंगाल में भाजपा की मजबूती से ममता दीदी डर गयी हैं!

TMC

राजनीति अनिश्चितताओं का खेल हैं। यहां कब कौन अपने शिखर पर पहुंच जाए और कौन अपने अंत के कगार पर जा पहुंचे कहा नहीं जा सकता। शायद तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी अपना राजनीतिक अंत करीब दिखायी देने लगा है। ममता बनर्जी समझ चुकी हैं कि राजनीति में उनके लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है और वो कम से कम भाजपा को टक्कर देने में तो सक्षम नहीं ही है, इसलिए तो उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर बहुत बड़ी घोषणा कर दी।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे ममता बनर्जी के द्वारा की गयी हालिया घोषणा उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस का अंत कर देगी।

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सामने ही है मिशन 2024

मिशन 2024 के लिए अभी से राजनीतिक पार्टियां कमर कसने लगी हैं। भाजपा का सामना करने के लिए विपक्षी दल भी सक्रिय होने लगे हैं। हालांकि विपक्ष की हालत एक अनार, सौ बीमार वाली है। 2024 के चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के कई दावेदार देखने को मिलते हैं। इस सूची में एक नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी आता हैं। हालांकि 2024 के चुनावों से पहले ही 67 साल की ममता बनर्जी ने अपनी आखिरी लड़ाई की घोषणा कर हलचल मचा दी है।

दरअसल, सोमवार को तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने एक रैली को संबोधित करते हुए अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर एक बड़ा बयान दिया। ममता ने अगले वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनावों को अपनी आखिरी लड़ाई बतायी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा कि वो 2024 में किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना चाहती हैं। ममता बनर्जी बोलीं- “2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराकर केंद्र की सत्ता से बाहर करना है। दिल्ली की लड़ाई मेरी आखिरी होगी। मैं भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का वादा करती हूं।“

इस दौरान ममता बनर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इंदिरा गांधी का जिक्र भी किया और कहा कि चुनाव में हर किसी को हार का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के लगभग 300 सांसद हैं, परंतु उनके हाथों से बिहार जा चुका है। कुछ अन्य राज्य भी जाएंगे।

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भाजपा को मजबूत होता देख दीदी परेशान हैं

शायद बंगाल में भाजपा को मजबूत होता देख ममता बनर्जी को यह आभास होने लगा है कि अब उनका कुछ हो नहीं सकता। वो ज्यादा समय तक भाजपा का सामना नहीं कर सकती हैं इसलिए तो वो संन्यास लेने का फैसला कर रही हैं। हालांकि ममता बनर्जी के राजनीति से संन्यास लेते ही भ्रष्टाचारों और घोटालों के आरोपों में घिरी तृणमूल कांग्रेस भी अपने अंत की कगार पर पहुंच जाएगी। यह कहना गलत नहीं होगा कि वर्तमान समय में टीएमसी जो कुछ भी है वो सिर्फ और सिर्फ ममता बनर्जी के कारण ही हैं। ऐसे में अगर ममता ही पार्टी से दूर हो जाती हैं तो तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।

ममता बनर्जी के बाद तृणमूल कांग्रेस में उनका असल में अगर कोई उत्तराधिकारी बन सकता था तो वो शुभेंदु अधिकारी थे। नंदीग्राम आंदोलन, जिसके कारण तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सत्ता में आयी उसमें शुभेंदु अधिकारी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। परंतु उन्हीं शुभेंदु अधिकारी को टीएमसी खो चुकी है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस की तुष्टिकरण से परेशान शुभेंदु पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं और वो भाजपा में चले गए। यही नहीं वो शुभेंदु अधिकारी ही थे जिन्होंने 2021 विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से ममता बनर्जी के साथ ही खेला करते हुए दीदी को मात दे दी थी।

देखा जाए तो तृणमूल कांग्रेस के कई नेता सीबीआई-ईडी की रडार पर हैं। टीएमसी के 25 से अधिक नेता जांच के दायरे में है। जांच एंजेसियां एक-एक कर टीएमसी के काले कारनामों की पोल खोलती जा रही हैं। स्कूल भर्ती घोटाले में ममता के करीबी टीएमसी मंत्री पार्थ चटर्जी सलाखों के पीछे हैं। अभिषेक बनर्जी, माणिक भट्‌टाचार्य, विनय मिश्रा और अनुब्रत मंडल से अलग-अलग मामलों में पूछताछ जारी है। टीएमसी के गुंडे ही बंगाल में कानून व्यवस्था का हाल बेहाल कर चुके हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस अब पूरी तरह से अंत की कगार पर पहुंचती नजर आ रही हैं।

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अगर ममता बनर्जी राजनीति से संन्यास ले लेती हैं, तो वो ज्यादा से ज्यादा अपने भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी को टीएमसी सुपुर्द कर देगीं। यही उनके पास अंतिम विकल्प होगा। परंतु अभिषेक बनर्जी स्वयं कोयला घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच में घिरे हैं। अभिषेक और उनकी पत्नी रुजिरा के घोटालों को लेकर कई बार पूछताछ की जा चुकी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि ममता बनर्जी के संन्यास लेने के बाद टीएमसी का कोई भविष्य नहीं बचेगा और ममता बनर्जी ने अपनी आखिरी लड़ाई की घोषणा करते हुए टीएमसी को भी समाप्त करने का ऐलान कर दिया है।

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