“मत देखो हमारी फिल्में”, बॉलीवुड के रजवाड़ों का घमंड तो देखो

विनाश काले विपरीत बुद्धि

Bollywood

Source- TFI

बॉलीवुड की दुर्दशा से आप अनभिज्ञ नहीं होंगे, इस इंडस्ट्री की हालत दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। बॉलीवुड की फिल्में लगातार फ्लॉप होती जा रही हैं, खानों का वर्चस्व ध्वस्त हो चुका है, कॉपी कंटेंट की बाढ़ सी आई हुई है, वंशवाद का नंगा नाच चल रहा है, जनता ने इसे लगभग बॉयकॉट ही कर दिया है, इसके बावजूद बॉलीवुड के रजवाड़ों का घमंड अभी भी सातवें आसमान पर है। एक के बाद एक असफलताओं के बाद तो ढीठ से ढीठ व्यक्ति तक कुछ नहीं तो ईमानदारी से पत्थर तोड़ने लगे, नहीं तो कम से कम दारोगा मंगनीराम की भांति चाय बेचने लगेगा परंतु बॉलीवुड के वंशवादी और उनकी अकड़ का तो स्तर ही अलग है।

यह रीति तो करीना कपूर ने ही प्रारंभ कर दी थी, जब महोदया ने ‘लाल सिंह चड्ढा’ के प्रमोशन के समय ही कह दिया था कि ये सब दोगलापन है, अगर किसी को हमारी फिल्में पसंद आती है तो ठीक है, नहीं आती तो कोई जबरदस्ती थोड़ी न है। अब वो अलग बात कि जनता ने करीना कपूर की इस बात को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया। उन्हें समर्थन मिला अर्जुन कपूर का, जिन्हें श्री श्री केआरके के शब्दों में कहा जाए तो वो अपनी फिल्मों के लिए कम और अपनी जहरीली एक्टिंग के लिए अधिक जाने जाते हैं।

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अब लाईमलाइट मिली भी तो किसलिए? दरअसल, उन्होंने हाल ही में कहा था कि “जवाब देने की बारी अब आ चुकी है। यह हर रोज बढ़ता ही चला जा रहा है। इंडस्ट्री के लोगों ने चुप रहकर गलती की। लोगों ने हमारी शालीनता का फायदा उठाया। लोगों के मन में जो आ रहा है, वे हमारे बारे में बोल रहे हैं। मैंने सोचा कि हमारा काम जवाब देगा, हम अपने हाथ क्यों गंदे करें परंतु अब चीजें हद से अधिक बढ़ रही हैं। बायकॉट सिस्टम लोगों की आदत बनता चला जा रहा है। हम सभी को एक साथ आना होगा और इसके खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी।” 

अब आती हैं आलिया भट्ट, जो अपनी फिल्मों के लिए भी जानी जाती है और विवादों के लिए भी। उन्होंने भी अपनी आगामी फिल्म ब्रह्मास्त्र के प्रदर्शन के पूर्व अपना ब्रह्मज्ञान देते हुए कहा कि हमें बार-बार अपने को डिफेंड करने की आवश्यकता नहीं है। अगर जनता को हमारी फिल्में नहीं देखनी तो मत देखें। परंतु इस मामले में सबसे मस्त तड़का दिया फरहान अख्तर ने। उन्होंने कहा, “बॉलीवुड को अब ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है उन्हें ग्लोबल ऑडिएंस को देखते हुए कंटेंट तैयार करना होगा। हमें ज्यादा लोगों तक पहुंचने का तरीका ढूंढना होगा जैसा ‘द अवेंजर्स’ ने किया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी भाषा में बात कर रहा है या कोई इंग्लिश समझ पा रहा है या नहीं। जरूरी है कंटेंट, जिससे आप कनेक्ट कर सकें।”

बॉलीवुड को सताने लगा है डर

यानी ‘बॉलीवुडिया गैंग’ को यह लगने लगा है कि देश की जनता उन्हें बुरी तरह से नकार चुकी है और उनकी फिल्में भारत में फ्लॉप ही होंगी। फरहान अख्तर के बयान से यह तो स्पष्ट है कि देसी बिरादरी को माल हजम नहीं हुआ तो विदेसी बिरादरी को ठुसायएंगे। लेकिन इस महाशय को समझना होगा कि इज्जत घर से ही आती है और जब घर पर ही भाव न मिले तो दुनिया से दो चार वाह वाही बटोर कर कोई क्या ही कर लेगा? और रही बात ग्लोबल कनेक्टिविटी की, तो चाटने में और नमन करने में अंतर होता है और यह अंतर ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ (RRR) ने बहुत ही स्पष्ट बता दिया है।

न इस फिल्म ने देश को अपमानित किया, न इसने देश की संस्कृति को कलंकित किया और स्थिति ऐसी है कि दुनिया के बड़े से बड़े कलाकार से लेकर स्वयं वैश्विक संस्था एवं मीडिया पोर्टल तक इसका लोहा मानते और तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। लेकिन बॉलीवुडिया गैंग अभी भी अपनी अकड़ से बाज नहीं आ रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि बॉलीवुड के रजवाड़ों की यह हनक कोई नई बात नहीं है। ये बस परिवर्तन को स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। जो इस बात को मान चुके हैं, वो खुले मन से प्रयोग के अथाह सागर में तैरने को तैयार हैं पर जो नहीं मान रहे हैं, उनका हाल वही होगा जो महाभारत में शिशुपाल का हुआ था।

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