अंग्रेजों के चुंगल से आजादी मिले हमें 75 साल हो चुके हैं। हाल ही में भारत ने पूरे उत्साह के साथ अमृत महोत्सव मनाया था परंतु अभी भी ऐसी कई चीजें है जो ब्रिटिशों के हिसाब से ही चलती आ रही हैं। हालांकि अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक-एक करके देश की हर चीज पर से अग्रेंजी हुकूमत की निशानियों को हटाने में जुट गयी हैं।
दरअसल, भारतीय नौसेना को अब बहुत जल्द ही अपना नया ध्वज मिलने वाला हैं। शुक्रवार 2 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल के कोच्चि में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत के साथ नौसेना के नये ध्वज का भी अनावरण करेंगे। बताया जा रहा है कि नये ध्वज की सबसे खास बात यह होगी कि इससे अंग्रेजों के प्रतीक चिह्न को हटाया जाएगा।
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प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बयान जारी किया गया
इसको लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि नया निशान “औपनिवेशिक अतीत से दूर और समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप होगा।“ बयान में जो नौसेना के ध्वज से “औपनिवेशिक अतीत से दूर” करने की बात कही गयी है, उससे यह समझ आता है कि झंडे से सेंट जॉर्ज क्रॉस (Cross of St. George) को हटाया जाएगा।
नौसेना के वर्तमान ध्वज की बात करें तो वो सफेद फ्लैग है। ध्वज पर वर्टिकल और हॉरीजोंटल लाल धारियां बनी हुई हैं जिसे सेंट जॉर्ज क्रॉस भी कहते हैं। बीच में भारत का चिह्न बना है और तिरंगा ऊपर बाई ओर लगा है। परंतु अब मोदी सरकार ध्वज से सेंट जॉर्ज क्रॉस हटाने जा रही है। साथ ही माना जा रहा है कि नौसैनिक क्रेस्ट (Naval Crest) को फिर से झंडे पर लाया जा सकता है। इसके अलावा ध्वज में और क्या बदलाव किए जाएंगे, यह देखने वाली बात होगी।
इसको लेकर नौसेना के इतिहासकार कमोडोर श्रीकांत केसनूर (सेवानिवृत्त) ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा– “मुझे नहीं मालूम कि नौसेना का नया ध्वज किस प्रकार का होगा। परंतु इसमें जो कुछ भी होगा वो हमारे गौरवशाली समुद्री अतीत का जश्न मनाता है और यह एक स्वागत योग्य कदम होगा।”
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारतीय नौसेना ध्वज में बदलाव किया जा रहा हो और न तो यह पहली बार है जब झंडे पर से सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाया जा रहा हो। वर्ष 1950 के बाद से अब तक चार बार भारतीय नौसेना के ध्वज में बदलाव किया जा चुका है। 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद इसमें बदलाव हुआ। दो अक्टूबर 1934 को नौसेना सेवा का नाम बदलकर रॉयल इंडियन नेवी किया था। परंतु 1950 में जब भारत एक गणतंत्र बना, तो नौसेना के नाम से ‘रॉयल’ शब्द को हटाया गया और इसे भारतीय नौसेना के रूप में फिर से नाम दिया गया। साथ ही इस दौरान यूनियन के झंडे को तिरंगे से बदल दिया गया, परंतु ध्वज पर सेंट जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा गया था।
On Sept 2, PM #NarendraModi to unveil a new ensign for the @indiannavy, which will shed the red ‘Cross of St George’, a relic of colonial past & seen in some circles as a relic of the #British Raj . pic.twitter.com/9TVsRJxxAA
— Ninjamonkey 🇮🇳 (@Aryan_warlord) August 30, 2022
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नौसेना के ध्वज में बड़ा बदलाव किया गया था
इसके बाद नौसेना के ध्वज में बड़ा बदलाव वर्ष 2001 में हुआ था जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने इस क्रॉस को ध्वज से हटा दिया था। 2001 में भारतीय नौसेना के ध्वज से क्रॉस ऑफ सेंट जॉर्ज को नौसेना बैज के साथ बदलने का निर्णय किया गया परंतु ऐसा निर्णय केवल कुछ ही सालों के लिए लिया। क्योंकि 2004 में जब यूपीए सत्ता में लौटी तो ध्वज पर इसे वापस बदलकर सेंट जॉर्ज क्रॉस का निशान लाया गया। इसके बाद वर्ष 2014 में ध्वज में देवनागरी लिपि में राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते” को इसमें जोड़ा गया।
हालांकि अब मोदी सरकार एक बार फिर नौसेना के ध्वज से क्रॉस हटाने जा रही है। ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ब्रिटिश काल की चली आ रही परंपरा को अंत कर रहे हो। 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने भाषण में भी पीएम ने इसका जिक्र किया था। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने देश को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने की बात कही थी।
वहीं देखा जाए तो पीएम मोदी अपने कार्यकाल में देश को ब्रिटिश काल की कई परंपरा से छुटकारा और भारतीय परंपराओं को जोड़ने का काम करते आ रहे हैं। मोदी सरकार ने 1500 से अधिक पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त किया जिसमें से इनमें से अधिकतर कानून अंग्रेजें के समय से चले आ रहे थे। इसके अलावा गणतंत्र दिवस 2022 के अवसर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के समापन के दौरान ’अबाइड विद मी’ धुन की जगह ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ बजाया गया था।
ब्रिटिश काल से बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता आ रहा था। परंतु मोदी सरकार ने इस परंपरा को भी बदला और एक फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा की शुरुआत की। इसके साथ ही 92 सालों तक रेल बजट अलग से पेश किए जाने के बाद, जिसे वर्ष 2017 में केंद्रीय बजट में शामिल किया गया। ऐसे ही अपने कई निर्णयों के माध्यम से ब्रिटिशों के शासनकाल से चली आ रही कई परंपराओं का मोदी सरकार अब तक अंत करती आयी है।
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