राजस्थान में चल रहा दलितों का दमनचक्र आपकी नींद उड़ा देगा

राजस्थान के आतंक का यह डेटा आपकी अंतरात्मा को झकझोर कर रखा देगा!

Ashok Gehlot

Source- TFI

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने जिस संविधान का सपना देखकर उसे मूर्त रूप देने का काम किया, आज उसी संविधान को कुचलने का काम उस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारें कर रही हैं जो स्वयं को देश की आज़ादी की पुरोधा कहती हैं। राजस्थान की हालत डांवाडोल है। राजस्थान के हर कोने में कोहराम मचा हुआ है और अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी हुई है। राजस्थान के आतंक का डेटा आपकी अंतरात्मा को झकझोर कर रखा देगा कि कैसे एक सरकार ने कानून व्यवस्था को कठपुतली बना दिया है, जिसे अराजक तत्व अपने मन मुताबिक चला रहे हैं!

दरअसल, हाल ही में एक रिपोर्ट में यह पाया गया कि राजस्थान के जालोर में एक नौ वर्षीय दलित छात्र को एक स्कूल शिक्षक द्वारा पीट-पीटकर मार डाला गया था। दलित छात्र ने स्कूल में पानी की मटकी क्या छू ली, टीचर ने उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। पिछले करीब 24 दिन से बच्चे का अहमदाबाद में इलाज चल रहा था। इससे पहले उदयपुर में भी इलाज चला था। इस मामले में पुलिस ने शिक्षक चैल सिंह को हत्या के आरोप के अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है। दलित लड़के की स्थिति के बारे में बताते हुए उसके पिता ने कहा, “वह लगभग एक सप्ताह तक उदयपुर के अस्पताल में भर्ती रहा, लेकिन कोई सुधार न होते देख हम उसे अहमदाबाद ले गए। लेकिन वहां भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।”

और पढ़ें: हिंदू त्योहारों के लिए अब राजस्थान में तय किए गए नियम, लगे कई प्रतिबंध

राजस्थान के इस मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। यह सर्वप्रथम उस संकीर्ण मानसिकता का भाग है जो आज भी अपने निचले पायदान पर टिकी हुई है। जिस देश में छुआछूत को ख़त्म करने के लिए कई आंदोलन हुए, जाने गई, आज भी यदि वहां एक मौत इस वजह से होती है क्योंकि वो बालक सभी की तरह एक घड़े से पानी पी रहा था तो यह सवाल है उस सिस्टम पर, जो सरकार में बैठकर बस कुर्सी गर्म करने का काम कर रहे हैं। असल में धरातल पर आलम यह है कि नौ वर्षीय दलित छात्र पानी पीने के कारण मौत के घाट उतार दिया जाता है।

वहीं, मूल रूप से राजस्थान की बात करें तो विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के एक बड़े वर्ग के लिए जातिवादी हिंसा एक गंभीर वास्तविकता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान सहित कुछ राज्यों में हो रहे कुल अपराधों में ऐसे अपराधों का दो-तिहाई हिस्सा है। कांग्रेस शासित राज्य ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 6000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2020 में अनुसूचित जाति और जनजाति से जुड़े करीब 8500 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में दलितों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है। शहर ने वर्ष 2017 में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। हालांकि, वर्ष 2018 में अपराधों का हिस्सा बढ़कर सीधे 13.4 प्रतिशत हो गया। शहर ने यह मुकाम 19 अन्य महानगरीय शहरों में सबसे खराब महानगर के रूप में दर्ज किया था। अब चाहे दर्जी कन्हैया लाल का सिर काटना हो या घोड़ी पर सवार दलित को मारना, अपराध के लगातार बढ़ रहे मामले राजस्थान राज्य को दलितों और अन्य उत्पीड़ित समुदायों के लिए असुरक्षित साबित कर रही हैं।

इन तथ्यों और आंकड़ों को समझने के बाद यह ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस अपनी राजनीति करने में मदमस्त है। यदि उसे लेश मात्र भी चिंता दलितों पर सिलसिलेवार बढ़ रहे अपराधों की संख्या पर होती तो शायद कहीं न कहीं कुछ तो बड़े कदम उठाए गए होते और स्थिति में परिवर्तन आया होता, लेकिन गहलोत सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। दक्षिणी राज्यों से लेकर अब उत्तरी राज्य राजस्थान तक ‘भारतीय राज्य’ धीरे-धीरे “अत्याचार प्रवण” क्षेत्र बनते जा रहे हैं, जो उत्पीड़ित समुदायों को संकट में डाल रहे हैं। समुदायों के बीच मौजूदा भेदभाव को तुरंत कम करने हेतु दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सतर्क होने का समय आ गया है।

और पढ़ें: कन्हैया लाल तेली की क्रूरतम हत्या की जिम्मेदार है राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.

Exit mobile version