पाकिस्तानी सेना को सुरक्षा गार्ड के रूप में नियुक्त किया जाता है

भिखारी पाकिस्तान अपने ही सैनिकों की नीलामी पर उतारू हो गया है

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मजबूरी इंसान से क्या-क्या नहीं करा देती है। अब जरा इस बात को समझिए कि किसी देश के लिए उसकी सेना, उसके जवान अति महत्वपूर्ण तो होते ही हैं साथ ही देश के अन्य नागरिकों के लिए वो आदर्श भी स्थापित करते हैं। अपने भारत को ही ले लीजिए, भारतीय सेना के एक-एक वीर जवान हमेशा से ही आम भारतीयों को जोश और देशभक्ति की भावना से भर देते हैं। यहीं पर अगर पाकिस्तान की बात कर लीजिए जो कि महंगाई की रोकथाम में फेल रहा, आतंकवाद ख़त्म करने में फेल रहा बल्कि आतंकवाद का पालनहार बना, वही पाकिस्तान अब अपनी सेना और सैनिकों की रही बची इज़्ज़त को भी नीलाम करने पर आमादा है। पाकिस्तानी हुक्मरान अब अपने सैनिकों को सिक्योरिटी गार्ड बनाने में जुट गए हैं, इज्जत मिट्टी में तब और मिल जाती है जब अपने जवानों को दूसरे देशों के लिए गार्ड बनाने की तैयारी है।

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पाकिस्तानी सैनिकों की भारी बेइज्जती

दरअसल,  इस साल के अंत में फीफा विश्व कप के लिए पाकिस्तानी सैनिकों को कतर भेजने की अनुमति देने वाले मसौदे को पाकिस्तानी कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है। मंगलवार से शुरू होने वाली पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कतर यात्रा से पहले मंत्री मरियम औरंगजेब ने बताया कि वह सौदा जिसे दोहा और इस्लामाबाद के बीच हस्ताक्षरित किया जाना था उसे कैबिनेट द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।

कैबिनेट ब्रीफ के अनुसार, कतर की सरकार ने 21 नवंबर से 18 दिसंबर, 2022 तक फ़ीफ़ा विश्व कप के सुरक्षा-संबंधी घटकों के साथ सहयोग मांगा था, और पाकिस्तान की दिलचस्पी थी जिसके कारण दोनों देशोँ ने एक समझौते पर हस्ताक्षर करे।

कतर द्वारा अपनी संप्रभु सीमाओं के भीतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खेल टूर्नामेंट के लिए अपने सैन्य बलों को साझा करने की पाकिस्तान की इच्छा पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। सोशल मीडिया पर तो पाकिस्तान की जमकर किरकिरी  हो रही है। एक ट्विटर यूज़र फैज़ान ने लिखा कि हा-हा-हा इनसे अपने मुल्क के सुरक्षा प्रोटोकॉल सेट नहीं होते है यहाँ क्या करेंगे?

एक अन्य ट्विटर यूज़र अदनान यूनासी ने लिखा कि आपके कहने का मतलब है कि पाकिस्तानी सेना एक निजी सुरक्षा एजेंसी है जिसे कोई भी किराए पर ले सकता है ??

एक ने तो जमकर पाकिस्तान का मज़ाक बनाया और एक वीडियो ट्वीट की।

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यह कैसा समझौता है?

शहबाज शरीफ़ ने मंगलवार को यात्रा के दौरान कतर सरकार से बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि दोनों पक्षों ने ऊर्जा से संबंधित सहयोग विकसित करने, व्यापार और निवेश लिंक को मजबूत करने और कतर में पाकिस्तानियों के लिए अधिक रोजगार की संभावनाओं की तलाश करने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों की पूरी श्रृंखला को देखा।

मतलब द्विपक्षीय संबंध स्थापित करने के लिए अपनी सेना के सैनिकों को सिक्योरिटी गार्ड बनाकर भेज दिया। अजीब विडंबना है क्योंकि यह तो सब जानते हैं कि पाकिस्तान में किसी भी सरकार के दौरान आत्मसम्मान नहीं आत्मसमर्पण का ही व्यवहार चलता आया है। सैनिकों को सिक्योरिटी गार्ड बनाना कोई बड़ा निर्णय नहीं है, पाक से सदैव यही उम्मीद की जाती रही हैं कि वो और उसके शासक कितना गिरेंगे।

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