क्यों भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी ममता बनर्जी और टीएमसी पार्टी?

तृणमूल कांग्रेस का काला चिट्ठा खुलता ही जा रहा है !

Mamta Bengal

Source- TFIPOST.in

पश्चिम बंगाल में जिस दिन से ईडी ने छापा मारा है उस दिन से नई खबरें सामने आती जा रही है। ईटी की एक नई खबर के अनुसार, कैबिनेट के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता पार्थ चटर्जी ने कथित तौर पर पूछताछकर्ताओं को सूचित किया है कि पार्टी में सर्वोच्च नेतृत्व सहित सभी को स्कूल शिक्षकों के रूप में पद प्राप्त करने के लिए अपात्र उम्मीदवारों से प्राप्त धन के बारे में पता था। शुरुआत में जो पार्थ चटर्जी पार्टी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रहे थे, अब वे मंत्री पद जाने और पार्टी से निलंबित होने के बाद एक-एक कर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के पत्ते खोलना शुरू कर दिए हैं।

एक ईडी अधिकारी के ने बताया कि, “पार्थ चटर्जी का दावा है कि वह सिर्फ उन पैसों के संरक्षक थे। उन्होंने न कभी किसी प्रत्याशी से पैसे मांगे और न ही किसी प्रत्याशी से पैसे लिए। पैसों का संरक्षण करना पार्टी का फरमान था और वह आदेशों का पालन कर रहे थे। उनका काम तो केवल दूसरों द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना था। अन्य लोगों ने भी पैसा इकट्ठा कर पार्थ के पास भेजा। उन्हें पैसे सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए थे। बाद में ‘पार्टी’ के इस्तेमाल के लिए सैकड़ों करोड़ ले लिए गए।” पार्थ ने यह भी कहा है कि “जो राशि धनराशि ईडी ने जब्त की है वह उस पूरी संपत्ति का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही है।“

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पहली बार TMC ने भ्रष्टाचार मंत्री को बर्खास्त किया

22 जुलाई को अपने पहले छापे में, ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के दक्षिण कोलकाता के एक फ्लैट से 21.9 करोड़ रुपये नकद, 79 लाख रुपये का सोना और 54 लाख अमेरिकी डॉलर जब्त किए। इसके अलावा, मुखर्जी के घर पर छापेमारी के दौरान एक लिफाफा मिला जिसपर– “शिक्षा” लिखा था और उसमें 5 लाख नकद था। ईडी के दूसरे छापे में उन्होंने अर्पिता मुखर्जी के कोलकाता अपार्टमेंट में से 19 घंटे की लंबी छापेमारी के बाद  रु27.9 करोड़ नकद और रु4.31 करोड़ मूल्य का सोना जब्त किया। अधिकारियों के अनुसार दो छापों में कुल बरामदगी 50 करोड़ रुपये से अधिक तक ले जाती है। एक नई खबर के अनुसार अर्पिता मुखर्जी के अकाउंट से 8 करोड रुपए मिले हैं ईडी का दावा है की इस केस के खत्म होते होते संभव है कि बरामद की गई रकम 100 या 120 करोड़ तक पहुंच जाए।

पार्थ चटर्जी दो दशकों से अधिक समय से विधायक रह चुके हैं। कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि वह 90 के दशक की शुरुआत में उन कांग्रेस नेताओं में से थे जो ममता बनर्जी के सलाहकार थे। वह दिवंगत सुब्रत मुखर्जी के करीबी सहयोगी रहे हैं और उन्हें कभी भी उस तरह के अपमान या शारीरिक और मानसिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा। जो अब वे 70 साल की उम्र में झेल रहे हैं। इस घोटाले ने पार्टी को बुरी तरह प्रभावित किया है। यह राज्य में ममता बनर्जी के 11 साल के शासन में पहली बार हुआ जब भ्रष्टाचार के आरोप में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक मंत्री को बर्खास्त कर दिया गया।

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एक-एक करके तृणमूल कांग्रेस के राज खोल रहे है पार्थ

ईडी के एक अन्य अधिकारी ने कहा, “पार्थ चटर्जी ने यह दावा भी किया है कि पार्टी ने अन्य विभागों में भी नौकरियां बेचकर पैसा कमाया। हालांकि यह सब पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले से होता आ रहा है। लोगों को कथित तौर पर पैसे देकर रेलवे की नौकरी मिल गई। उन्होंने माजेरहाट में एक निश्चित कार्यालय का भी उल्लेख किया है जहां ये सौदे हुए थे। पार्थ चटर्जी का दावा है कि पार्टी के अन्य नेता अपने ‘घरों की सफाई’ में लग गए और आखिर में पार्थ इन सबके बीच फंस गए। जब पार्थ चटर्जी के घर से इतनी संपत्ति बरामद हुई तो पार्टी के अन्य सभी नेताओं ने उनसे मुंह मोड़ लिया।”

ईडी ने इन सब में पार्थ चटर्जी से अर्पिता मुखर्जी द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में भी प्रश्न किया जिसके उत्तर में पार्थ चटर्जी का कहना था कि “वह केवल अर्पिता को मॉडलिंग और फिल्मों में करियर बनाने में मदद करने की कोशिश कर रहे थे।” उन्होंने स्वीकार किया है कि “पार्टी के लिए कथित तौर पर उनके पास मौजूद नकदी को छिपाने के लिए उन्हें एक मोर्चे की जरूरत थी। उसकी ‘मदद’ के बदले अर्पिता इस नकदी को छिपाने के लिए तैयार हो गई थी।” पार्थ चटर्जी ने दावा किया है कि “कई अन्य शीर्ष नेताओं का अर्पिता मुखर्जी के नाम पर खरीदे गए फ्लैटों पर आना जाना था।” हालाँकि, ये केवल आरोप हैं जिन्हें अदालत के समक्ष साबित करना होगा।

भले ही इस समय पार्थ चटर्जी के बयान साबित ना हुए हो लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक वह तृणमूल कांग्रेस के पत्ते खोलते जा रहे हैं उससे यह तो साफ है कि पार्टी के हर एक नेता को इस नकदी के बारे में पता था। तो ऐसा तो संभव ही नहीं कि हाईकमान ममता बनर्जी को इसके बारे में ज्ञात ना हो। पार्थ चटर्जी जब पकड़े गए थे तो पहले तो ममता जी बिल्कुल शांत नजर आई थी लेकिन फिर राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें बयान देना ही पड़ा था कि अगर किसी ने कोई अपराध किया है तो उसे सजा अवश्य मिलनी चाहिए। पार्टी की हाईकमान ने पार्थ चटर्जी से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन उनके यह प्रयास उन पर उल्टे पड़ते नजर आ रहे हैं क्योंकि अब पार्थ एक-एक कर सब के राज खोलने लगे हैं।

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