पंजाब को मिला नया मुख्यमंत्री

चलिए, एक काम तो अच्छा हुआ!

Punjab

Source- TFI

दिल्ली की राजनीति में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जबरदस्त रायता फैला रखा है। नई आबकारी नीति को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें कब जेल हो जाए कोई कुछ कह नहीं सकता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राज्य की राजनीति में स्वयं को प्रासंगिक बनाने के लिए लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। अब तो वो प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे हैं लेकिन इन सबके कारण सबसे बड़ा फायदा पंजाब को हुआ है। ध्यान देने वाली बात है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार और भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब राज्य को पहली बार अपना नया मुख्यमंत्री मिला है! अब आप भी सोच रहे होंगे कि भगवंत मान को सीएम बने तो कुछ महीने हो गए, ऐसे में हम किसी नये मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं? यह बात आपको अजीब लग रही होगी, किंतु यही सत्य है।

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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी सरकार की जीत जरूर हुई लेकिन एक सच यह भी है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी टीस यह है कि उनका कद पार्टी में बड़ा होने के बावजूद उन्हें भगवंत मान को सीएम बनाना पड़ा, जबकि सच यह है कि वर्ष 2017 की प्लानिंग के तहत वो स्वयं चुनाव जीतकर पंजाब का सीएम या कहें कि ‘स्वतंत्र खालिस्तान’ के पहले पीएम बनना चाहते थे। पंजाब की राजनीति ने पहले ही उनसे सीएम उम्मीदवार की मांग कर दी और मजबूरन केजरीवाल को भगवंत मान का नाम आगे करना पड़ा।

इसके बाद पार्टी की जीत हुई, पंजाब में सरकार बनी, लेकिन सत्य यह है कि सीएम भगवंत मान एक रोबोट ही थे, जिनका रिमोट कंट्रोल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के हाथों में था। राज्य में नई कैबिनेट के गठन से लेकर अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में भी अरविंद केजरीवाल का सीधा दखल था। भगवंत मान को कोई भी फ़ैसला करना होता तो वो सबसे पहले भागकर दिल्ली आते थे और फिर यहां से उनमें जितनी कंट्रोलिंग की जाती थी वो उतना ही पंजाब में काम करते थे।

पंजाब में प्रचंड जीत के कारण यह तो स्पष्ट था कि पंजाब की जनता आम आदमी पार्टी और भगवंत मान से कुछ उम्मीदें लगाकर बैठी है। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने इन सभी उम्मीदों को दफ़न करने के लिए पर्दे के पीछे से सारा कंट्रोल अपने ही पास रखा था जो कि असल में बहुमत का अपमान बताया जा रहा था। परंतु कहा जाता है न कि एक लिमिट के बाद सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जाती है और अरविंद केजरीवाल के साथ कुछ वैसा ही हुआ है।

पिछले लगभग एक महीने से पंजाब की राजनीति में अरविंद केजरीवाल का दखल नहीं दिख रहा है। दिखेगा भी कैसे, ये महाशय दिल्ली सरकार का फैलाया रायता बटोरने में लगे हैं और लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों में ही घिरते जा रहे हैं। पहले उनके मंत्री सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और वो लंबे वक्त से तिहाड़ जेल में हैं। उसके बाद अब उनके खास मनीष सिसोदिया पर शराब की नई आबकारी नीति को लेकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और संभावनाएं हैं कि सिसोदिया की गिरफ्तारी भी हो सकती है, जो कि अरविंद केजरीवाल के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा।

एक तरफ सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया फंसे हैं तो दूसरी ओर दिल्ली में लो फ्लोर 1000 बसों की खरीद और मेंटनेंस को लेकर भ्रष्टाचार के नए आरोप सामने आए हैं। नतीजा ये हुआ कि आप सरकार के खिलाफ सीबीआई ने एक और FIR दर्ज कर ली है। इन सब रायते को समेटने में अरविंद केजरीवाल इतने व्यस्त हैं कि पंजाब में उनका कोई दखल नहीं है और भगवंत मान सारे फैसले स्वयं ही ले रहे हैं, जिसके कारण यह कहा जा रहा है कि पंजाब को असल में नया सीएम अब मिला है।

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