F-INSAS, लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्‍ट, निपुण माइंस और भी बहुत कुछ, देश के सैनिकों के हाथ में आया साक्षात काल

'सुपर सिपाही' में बदल गए हैं भारतीय सेना के जवान.

F INSAS

Source- TFI

भारतीय सेना संख्या के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है और साहस, जज़्बे एवं युद्ध कौशल में अद्वितीय. लेकिन हमारे जवान आज भी दूसरे विकसित और विकासशील देशों के सैनिकों के मुकाबले ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, जो अधिक विकसित नहीं हैं. अभी तक भारतीय सेना के जवान हर उस नयी टेक्नोलॉजी और हथियारों से वंचित रहे हैं जो उनकी ताकत को दोगुना बढ़ा सकती है. हालांकि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से हालात में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिला है, सेना के आधुनिकरण के लिए सरकार की ओर से लगातार कदम उठाए गए हैं.

इसी बीच देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेश निर्मित प्रणाली F-INSAS को भारतीय सेना को सौंप दिया है, जो हमारे जवानों की परिचालन क्षमता को और अधिक बढ़ा देगा. नए स्वदेशी हथियार मिलने से भारतीय सेना की ताकत बढ़ गई है. इन हथियारों में माइंस, पर्सनल वेपंस और लड़ाई में काम आने वाले वाहन हैं. स्वदेश में बने इन हथियारों में ऐंटी पर्सनेल माइंस, आमने सामने लड़ाई के हथियार, इन्फैंट्री के लड़ाकू वाहन शामिल हैं. इनमें एके-203 और एफ-इंसास राइफलों के अलावा नई ऐंटी पर्सनेल माइन ‘निपुण’ भी शामिल है.

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क्या है F-INSAS ?

F-INSAS यानी फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत हमारे पैदल सैनिकों को कई तरह के आधुनिक हथियारों से सुसज्जित और लैस किया जायेगा. इसका उद्देश्य सैनिकों की परिचालन क्षमता को बढ़ाना है और उन्हें ऐसी आधुनिक प्रणालियों से लैस करना है जो हल्के हैं, सभी मौसम सभी इलाकों में बेहतरीन प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं, लागत प्रभावी हैं और उनके रखरखाव में भी कोई अधिक परेशानी नहीं हो, ऐसे युद्ध गियर सेना के जवानों को उपलब्ध करवाना इसका उद्देश्य है. इससे पहले सैनिकों के पास जो भी उपकरण थे वे इतने भारी हुआ करते थे कि यदि सैनिक को घंटों एक स्थान पर खड़े रहना हो तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब उनकी इसी समस्या को दूर करते हुए नए उपकरणों को अधिक आधुनिक और कम वज़न का बनाया गया है.

चलिए बताते हैं कि इस नए युद्ध गियर में क्या ख़ास है-

F-INSAS में यही पूरा सिस्टम हैं. इस युद्ध गियर के आलावा भी दो अन्य उपकरण सेना को सौंपे गए हैं जो हैं- निपुण माइंस और  लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए).

निपुण माइंस क्या है?

ये देश में विकसित बारूदी सुरंग हैं. यह घुसपैठियों और दुश्मन की सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए पहली सुरक्षा पंक्ति की तरह काम करती है. इन्हें ऐंटी पर्सनेल माइंस इसलिए कहा जा रहा है कि इन्हें इंसानों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. ये आकार में छोटे होते हैं इसलिए बड़ी तादाद में बिछाए जा सकते हैं.

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क्या है लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (LCA)?

एलसीए का पूरा नाम लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट है. ये उन नावों की जगह लेंगे जो अभी पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग सो झील में गश्त करती हैं और सीमित क्षमता रखती हैं. एलसीए को गोवा की एक्वेरियस शिप यार्ड लिमिटेड ने बताया है. ये स्पीड में तेज हैं और हर तरह की परेशानी के बावजूद पानी में काम करने की क्षमता रखते हैं. ये नावें एक समय में 35 लड़ाकू सैनिकों को ले जा सकती हैं और बहुत ही कम समय में झील के किसी भी क्षेत्र तक पहुंच सकती हैं. ध्यान देने वाली बात है कि यह पांगोंग व्ही झील है जहां भारतीय और चीनी सेना के बीच मुठभेड़ देखने को मिली थी.

2000 के दशक में की गई थी इसकी कल्पना

आपको बताते चलें कि 2000 के दशक में इसकी कल्पना की गई थी. यह दुःख की बात है कि इसे सेना में लाने में इतना समय लग गया लेकिन देर आये दुरुस्त आये. लंबे समय से इस प्रोग्राम को सेना में लाने की कोशिशें आखिरकार सफल हुईं. इसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सबसे अहम भूमिका निभायी है. DRDO का ध्यान सबसे अधिक इस बात पर था कि वह कैसे भारत की अग्रिम सीमा में कार्यरत सैनिकों को आधुनिक हथियारों और युद्ध गियर से लैस करे. इसके लिए DRDO के वैज्ञानिकों ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इजराइल जैसे देशों के इन्फेंट्री मोडर्निज़ेशन प्रोग्राम का अध्ययन किया. आर्मी को उनके नए युद्ध गियर में किस चीज़ की सबसे अधिक आवश्यकता है इसके विषय में आर्मी से बेहतर और कोई नहीं बता सकता था. अंततः सैनिकों ने भी अपने सुझाव दिए और अब आखिरकार यह उपकरण भारत को मिल गया है.

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ऐसे समय जब दुनिया की कई सेनाएं अपने थल सैनिकों को आधुनिक तकनीक से लैस कर रही हैं, भारत के लिए जवानों को आधुनिक साजोसामान से लैस करना जरूरी था. खासकर तब जबकि जमीन से लगती सीमाओं पर पड़ोसियों से रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं. ये हथियार प्रणालियां हर मौसम में जवानों की कार्यक्षमता को घटने नहीं देंगी. ध्यान देने वाली बात है कि भारत कभी भी युद्ध को भड़काने वाला नहीं रहा है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद से पांच प्रमुख युद्धों में शामिल रहा है. हर बार भारतीय सेना ने अपनी क्षमता साबित की है और विजयी हुई है और इसका एक बड़ा श्रेय इन्फैंट्री (पैदल सैनिक) को जाता है. भारतीय सेना का एक बड़ा हिस्सा इन्फैंट्री से बना है. युद्ध में, बख्तरबंद कोर दुश्मन के इलाके पर कब्जा करने के लिए सबसे आगे यही पैदल सैनिक होते हैं इसलिए इनकी सुरक्षा और इन्हें हर तरह के आधुनिक हथियार देना न केवल देश का कर्तव्य है बल्कि एक ज़रुरत भी है.ज्ञात हो कि सैनिकों के आधुनिकीकरण के लिए कई प्रोग्राम दुनिया भर में चलाए जा रहे हैं, जिनमें एफ-इनसास भी है. अमेरिका में लैंड वॉरियर है तो ब्रिटेन में फ्यूचर इंटीग्रेटेड सोल्जर टेक्नॉलजी है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में बीस से ज्यादा सेनाओं के पास अपने सैनिकों के लिए ऐसे प्रोग्राम हैं. डीआरडीओ ने भारतीय सैनिकों के लिए प्रोग्राम बनाते समय बाकी देशों के सिस्टम की भी स्टडी की थी.

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