तू इधर-उधर की न बात कर, ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा, कहां लुटा और कैसे लुटा। ये सवाल हर किसी के दिमाग में डोल रहे हैं पर इसका उत्तर न दिल्ली के कथित मालिक नंबर-2 दे पा रहे हैं और न ही दे पाएंगे। जी हां बात हो रही है दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जिनके पास संयोगवश शिक्षा देने का भी ज़िम्मा है और शराब बिक्री का भी। अर्थात् शिक्षा मंत्री और आबकारी मंत्री सिसोदिया बुरी तरह से फंस गए हैं।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे जेल से बचने की तिकड़म में लगे सिसोदिया अब महाराणा प्रताप से लेकर संस्कृति और सभ्यता पर लेक्चर तो दे रहे हैं पर शराब घोटाले पर उनके मुंह से एक शब्द नहीं फूट रहे हैं।
सिसोदिया का शराब घोटाले पर कुछ न बोलने के पीछे का कारण भी स्पष्ट है, यदि शराब नीति पर कुछ भी बोला तो मामला बढ़ता ही चला जाएगा और फंसेंगे वो स्वयं।
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आबकारी नीति पर दिल्ली में रार
दरअसल, इन दिनों आम आदमी पार्टी और उसकी दिल्ली सरकार पर जांच की गाज गिरी पड़ी है। नयी आबकारी नीति पर दिल्ली में रार छिड़ी हुई थी, इसी बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की रेड पड़ी। इसके बाद तो मानो ऐसा इकोसिस्टम ही बनाया जाने लगा जैसे मनीष सिसोदिया से कट्टर ईमानदार कोई दूसरा इस पूरी पृथ्वी पर हो ही नहीं सकता है।
अब जब जांच की आंच घर तक पहुंच गयी तो सौ झूठ फिर बोलने पड़े। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक बार भी नयी शराब नीति पर कुछ नहीं बोला। सिसोदिया ने स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज बताया और कह दिया कि “मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूं, राजपूत हूं, सर कटा लूंगा लेकिन भ्रष्टाचारियों-षड्यंत्रकारियों के सामने झुकूंगा नहीं।” जी हां सिसोदिया झूकेंगे नहीं, डरेंगे भी नहीं लेकिन डर के मारे शराब घोटाले पर कुछ बोलेंगे भी नहीं।
मनीष सिसोदिया का ये बयान कुछ इसी तरह से है कि बात आम की चोरी की हो रही है और आम के बारे में बात करने के अलावा दुनियाभर की बातें की जा रही हों। टीएफआई के संस्थापक अतुल मिश्रा ने अपने एक ट्वीट में उदाहरण देते हुए बड़े ही सरल शब्दों में समझाया है कि अगर मनीष सिसोदिया किसी साक्षात्कार में जाएं तो उनके प्रश्न उत्तर कैसे होंगे-
साक्षात्कारकर्ता: मुझे अपने बारे में कुछ बताओ
मनीष सिसोदिया: मेरे पास स्पष्ट विवेक है
साक्षात्कारकर्ता: निश्चित रूप से, मेरा मतलब शैक्षणिक योग्यता, करियर प्रोफाइल, शौक आदि से था
मनीष सिसोदिया: मैं इस उद्योग में पैसा कमाने के लिए नहीं आया हूं, मैं यहां उद्योग को साफ करने आया हूं
Thread
Sisodia in a Job interview:
Interviewer(I):Tell me something about yourself
Manish(M): I have a clear conscience
I: sure, I meant academic qualification, career profile, hobbies etc
M: I have not joined this industry to earn money, I’ve come here to clean the industry
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) August 22, 2022
अब समझने वाली बात ये है कि पूरे घटनाक्रम में मनीष सिसोदिया ने यह तो नहीं कहा कि कोरोना के चलते उनकी भी याददाश्त चली गयी थी लेकिन सभी सवालों के भीतर छुपे हुए तथ्य को नकार देना भी तो मूर्खता से बढ़कर और कुछ नहीं है।
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सिसोदिया के कार्यालय और आवास पर छापेमारी
आप जरा याद करिए कि 29 अन्य स्थानों के साथ सिसोदिया के कार्यालय और आवास पर छापेमारी के बाद, सिसोदिया ने रविवार को कहा था कि आबकारी नीति देश में सबसे अच्छी थी और वह इसके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल का शासन और काम का मॉडल नहीं रुकेगा, चाहे कितने भी मंत्रियों की जांच हो और जेल हो जाए।
अब प्रश्न ये है कि जब इतनी ही साफ़-स्वच्छ नीति थी तो उपराज्यपाल के सक्रिय होते ही और मामला जांच एजेंसियों तक जाते ही पुरानी नीति पर क्यों उतर आए?
सिसोदिया आगे कहते हैं कि, “मैं अभी भी नीति पर कायम हूं। आप इसे ठीक से लागू करते हैं और परिणाम देखते हैं। तत्कालीन एलजी द्वारा यू-टर्न द्वारा बनायी गयी बाधा ने इसके कार्यान्वयन में सभी समस्याएं पैदा कीं।”
ये ठीक है कि न खाता न बही जो आम आदमी पार्टी के नेता कहें वही सही। इनसे “कट्टर ईमानदार कोई मिल ही नहीं सकता। तो पहले जब पता था कि नीति ठीक से लागू नहीं हुई थी तो रूक जाते। एलजी का रोना तो आप 2015 से ही रोते आ रहे हैं।
यहां तक कि मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मंशा केजरीवाल को काम करने से रोकने की है, इसलिए वे अपने लोगों से बेबुनियाद शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरा एकमात्र दोष यह है कि मैं उनका शिक्षा मंत्री हूं और काम करने में विश्वास करता हूं।” उन्होंने कहा कि उनके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कार्रवाई से बचने के लिए यही मनीष सिसोदिया सारा प्रपंच रचते हुए कभी केंद्रीय जांच एजेंसियों को गुमराह करते हैं, तो कभी स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज होने की दुहाई देते हैं। कुल मिलाकर बड़ी-बड़ी बकैती करने वाले सिसोदिया के माथे पर जब घोटाले का ठीकरा फूटा तो अनाब-सनाब सब बके जा रहे हैं लेकिन मेन मुद्दे पर उनके शब्द ही खत्म हो गए।
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