सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। कांग्रेस के लिए सांप है वो परिवारवाद का ठप्पा जिसने उसे दशकों की सत्ता से बाहर कर दिया। वहीं लाठी है वो एकाधिकार की शक्ति जो गांधी परिवार के हाथ से कभी न छूटी और न ही छूटेगी। अब चूंकि परिवारवाद के ठप्पे से कांग्रेस बाहर निकलने के मूड में है तो निश्चित रूप से वो कुछ ऐसा करना चाहती है जिससे शक्तियां भी परिवार के अधीन रहें बस चेहरा परिवार के बाहर अर्थात माँ-बेटे और बेटी से बाहर का होगा। जैसे सत्ता के लिए पीएम पद पर एक बार मनमोहन सिंह को बैठा दिया था उसी प्रकार अब पार्टी अध्यक्ष के पद पर भी एक ऐसा ही डमी अध्यक्ष बैठा देने की योजना है। इससे अब सोनिया गांधी राजस्थान का किला पुनः फतह करने की योजना के साथ-साथ आलाकमान पर अपना एकाधिकार बनाए रखने की योजना बना रही हैं।
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कांग्रेस को जल्दी ही मिल जायेगा अध्यक्ष
दरअसल, कांग्रेस पार्टी को काफी समय से एक स्थायी अध्यक्ष की तलाश थी और यह तलाश पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत पर आकर ख़त्म हो रही है ऐसा मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है। पार्टी आलाकमान को चाहिए कि कोई ऐसा व्यक्ति कुर्सी पर बैठाया जाए जो “न खाता न बही जो सोनिया मैडम कहें वही सही” का राग ही अलापता रहे। अब कमलनाथ से अधिक ऐसा करने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निपुण साबित होते प्रतीत हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरुप अब पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत अब पार्टी के ‘गैर-गांधी’ राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। वहीं राजस्थान की बाग़डोर यदि आगामी चुनावों में सत्ता बचती है तो सचिन पायलट को देने की सुगबुगाहट चल रही हैं।
बता दें, कांग्रेस 21 सितंबर तक अपने नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करेगी। इससे पूर्व मुलाकातों का सिलसिला जारी है। मीडिया हलकों में खबर है कि मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की और उन्हें पदभार संभालने के लिए कहा। मुलाकात के कुछ घंटे बाद कांग्रेस ने घोषणा की कि सोनिया गांधी अपने दोनों बच्चों के साथ इलाज के लिए विदेश जाएंगी। अध्यक्ष पद के चुनाव से ठीक पहले होने वाली इस यात्रा के समय पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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सोनिया गांधी ने कभी भी किसी गैर-गांधी को पनपने नहीं दिया। पहले उन्होंने मनमोहन सिंह को रबर स्टाम्प की तरह प्रयोग में लाया और सत्ता चलाई और अब अध्यक्ष कुर्सी भी पीछे के दरवाजे से चलाने की बातें सामने आ रही हैं। अशोक गहलोत, जिनका नाम अब आगे बढ़ाया जा रहा है, वो हमेशा गांधी परिवार के समक्ष नतमस्तक ही नज़र आए हैं। अब भी उनकी अध्यक्ष बनने की राह इसलिए आसान हो रही है क्योंकि सोनिया गांधी से उनकी बनती आई है और कभी ठनी नहीं।
यही कारण है कि सोनिया गांधी की अध्यक्ष पद के लिए पहली और अंतिम पसंद अशोक गहलोत हैं। मंगलवार को सोनिया से मुलाकात के बाद अहमदाबाद जाते समय गहलोत ने चाटुकारिता की पूर्ति करते हुए दिल्ली हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, “मैं बार-बार यह कहता रहा हूं कि कांग्रेस तभी पुनर्जीवित होगी जब राहुल गांधी जी सत्ता संभालेंगे।”
इस जीर्ण-शीर्ण समय में सोनिया गांधी का पहला उद्देश्य उनके प्रति वफादार और उनके अनुयायी को पार्टी के शीर्ष पद पर बैठाना है। सोनिया पूरे खेल की रचना ही इस तरह से बना रही हैं ताकि वह सचिन पायलट को भी समायोजित कर सकें। यदि अशोक गहलोत केंद्रीय नेतृत्व में चले जाते हैं, तो राज्य को सोने की थाली में पायलट को परोसा जाएगा जो स्वयं सोनिया की ही सोच है। तो, कल की अगर अशोक गहलोत को चुना जाता है तो क्या यह कांग्रेस के पुनर्जन्म की नई स्क्रिप्ट लिखेगा या मनमोहन सिंह पार्ट 2 के साथ पूरी कांग्रेस ठिकाने लग जाएगी? यह तो समय बताएगा।
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