बात चाहे यूट्यूब की हो या ट्विटर या फिर इंस्टाग्राम की, यहां ट्रेंड हर पल बदलते रहते हैं लेकिन भारत में तो मानो जैसे केवल एक ही ट्रेंड चल रहा है जो है #AcquisitionKingAdani. जी हां, अडानी को इस समय ‘अधिग्रहण का राजा’ कहना गलत नहीं होगा. इसका कारण है ईटी की एक रिपोर्ट, जो कहती है कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी अडानी लॉजिस्टिक्स ने मंगलवार को कहा कि वह नवकार कॉरपोरेशन से 835 करोड़ की कीमत पर इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) टुंब का अधिग्रहण करने जा रही है. ध्यान देने वाली बात है कि मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते हुए एशिया के सबसे अमीर इंसान की कुर्सी पर विराजने वाले और माइक्रोसॉफ्ट के निर्माता बिल गेट्स को पछाड़ते हुए दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी एक बार फिर अपना कारोबार को विस्तारित करते हुए एक और अधिग्रहण करने जा रहे हैं.
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क्या है ICD टुंब?
भारत के सबसे बड़े अंतर्देशीय कंटेनर डिपो में से एक आईसीडी टुंब, हजीरा बंदरगाह, गुजरात और न्हावा शेवा बंदरगाह, मुंबई के बीच स्थित है. इसकी क्षमता 0.5 मिलियन TEU (बीस फुट समतुल्य इकाई) है। इसका मतलब है कि अडानी लॉजिस्टिक्स 5 लाख 20 फुट समकक्ष इकाइयों को संभालने की क्षमता वाले परिचालन अंतर्देशीय कंटेनर डिपो का अधिग्रहण कर रहा है. APSEZ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण अडानी ने बताया कि सबसे व्यस्ततम औद्योगिक क्षेत्र के बीच में यह डिपो स्थित है और साथ ही एक समर्पित फ्रेट कॉरिडोर तक इसकी पहुंच इसे सार्थक रूप से एक विशाल आंतरिक क्षेत्र की सेवा करने की अनुमति देती है. भविष्य में क्षमता और कार्गो को बढ़ाने के लिए ये डील मददगार साबित होगी.
ज्ञात हो कि अडानी लॉजिस्टिक्स ने एक एकीकृत परिवहन उपयोगिता और अखिल भारतीय लॉजिस्टिक्स व्यवसाय बनाने की अपनी रणनीति के अनुरूप आईसीडी का अधिग्रहण किया है. आईसीडी के साथ जुड़ी 129 एकड़ भूमि निकट भविष्य में क्षमता विस्तार में मदद करेगी. कंपनी ने कहा कि आईसीडी टुंब के पास पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (DFC) से जुड़ी चार रेल हैं, डलिंग लाइनों के साथ एक निजी फ्रेट टर्मिनल है और इसमें कस्टम अधिसूचित भूमि और बंधुआ गोदाम सुविधाएं भी हैं.
वहीं, इस अधिग्रहण पर अडानी ने कहा, “सड़क से चलने की तुलना में रेल द्वारा यह सफर न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि केवल 10 घंटों में इसे पूरा किया जा सकेगा, जबकि सड़क मार्ग से इसमें लगभग 24 घंटे लग जाते हैं. यह डील न केवल परिवहन उपयोगिता बनने की दिशा में हमारी परिवर्तन रणनीति के साथ अच्छी तरह से फिट बैठता है बल्कि हमें अपने ग्राहकों को किफायती डोर-टू-डोर सेवाएं प्रदान करने के हमारे उद्देश्य के करीब ले जाता है.”
भारतीय बंदरगाहों के ‘राजा’ हैं अडानी
भारत के बंदरगाहों के राजा कहे जाने वाले अडानी ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन’ में पश्चिमी तट पर (गुजरात में मुंद्रा, दहेज, टूना और हजीरा, गोवा में मोरमुगाओ और महाराष्ट्र में दिघी) के साथ आधा दर्जन बंदरगाह और टर्मिनल के मालिक हैं. भारत के पूर्वी तट पर छह बंदरगाह (ओडिशा में धामरा, गंगावरम, आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम और कृष्णापट्टनम, और तमिलनाडु में कट्टुपल्ली और एन्नोर) पर भी अडानी का आधिपत्य है. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन केरल के विझिंजम और श्रीलंका के कोलंबो में भी दो ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट विकसित कर रहा है.
क्या-क्या अधिग्रहण कर चुके हैं अडानी?
आपको बताते चलें कि लगातार देश में अपने कारोबार विस्तार के लिए अडानी ग्रुप, खनन सेवाएं, एकीकृत संसाधन प्रबंधन, खाद्य तेल और खाद्य पदार्थ, कृषि, सौर विनिर्माण, रक्षा और एयरोस्पेस, सड़कें, मेट्रो और रेल, पानी, हवाई अड्डों और डेटा सेंटर के अलावा एरोसिटी भी बना रहा है. अडानी एंटरप्राइजेज आज एक बहुत बड़े समूह में बदल गया है. आज अडानी इंटरप्राइजेज, ऊर्जा, परिवहन, खनन, बुनियादी ढांचे, रसद, सीमेंट जैसे क्षेत्रों में कई व्यवसायों की देखरेख करता है. इतना ही नहीं, भारत के प्रमुख बंदरगाहों के मालिक अडानी को “पोर्ट किंग” के नाम से भी जाना जाता है.
अडानी समूह के ये 13 रणनीतिक रूप से स्थित बंदरगाह और टर्मिनल देश की बंदरगाह क्षमता का 24% प्रतिनिधित्व करते हैं. जिस तरह से यह भारतीय उद्योगपति बीते समय में एक के बाद एक कर कई अधिग्रहणों में लगे हुए हैं, उसके कारण पिछले एक वर्ष में उनकी कुल संपत्ति में $40 बिलियन से अधिक की वृद्धि हुई है. हालांकि, वो काफी कर्ज़दार भी हो चुके हैं लेकिन इन्हीं अधिग्रहणों के कारण वो भारत में अमीरों की सूची में मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष पर पहुंच गए हैं. उनके किये हुए अधिग्रहणों और कमाई को देखते हुए उन्हें Acquisition King कहना बिलकुल भी गलत नहीं है.
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