125 वर्ष पुराना ‘गोदरेज परिवार’ आधे रास्ते में ही टूट गया

20,000 करोड़ की जमीन ने बवाल कर दिया !

GODREJ

Source- TFIPOST.in

‘गोदरेज’ इस कंपनी से तो आप भली भांति परिचित होंगे। आपके घर में गोदरेज का कोई ना कोई उत्पाद भी मौजूद होगा। फिर चाहे वो साबुन हो फ्रीज, अलमारी या कुछ और। हमारे देश के अगर बड़े और सम्मानित औद्योगिक घरानों का नाम लें, तो उस सूची में गोदरेज का नाम भी आता है। ताले बनाने से अपने कारोबार की शुरुआत करने वाले गोदरेज ने वर्ष 2008 में भारत के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और ल्यून ऑर्बिटर बनाने तक एक बेहद ही दिलचस्प सफर तय किया है। मुंबई में सबसे ज्यादा जमीन गोदरेज परिवार के पास ही है।

गोदरेज ग्रुप की स्थापना आर्देशिर गोदरेज और उनके छोटे भाई पिरोजशा गोदरेज ने 1897 में की थी।आर्देशिर गोदरेज एक पारसी वकील थे। उस दौरान बंबई (वर्तमान में मुंबई) में चोरी की घटनाएं काफी बढ़ने लगी। बसी इसी दौरान आइडिया आया और गोदरेज समूह ने ताले बनाने का काम शुरू किया। गोदरेज कंपनी की नींव ताला बनाने वाली एक कंपनी के रूप में रखी गई।

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गोदरेज परिवार में फूट का कारण बनी जमीन 

आज के समय में गोदरेज परिवार के पास हजारों करोड़ रुपये की जमीनें और कई इंडस्ट्री में हिस्सेदारी है। साबुन से लेकर रियल एस्टेट, एयरोस्पेस तक कई बिजनेस में कंपनी अपना कारोबार फैला चुकी है। हालांकि कंपनी के बीच भविष्य कारोबारी रणनीति को लेकर विवाद पनपने लगे हैं। 125 वर्ष पुराने गोदरेज परिवार के टूटने का प्रमुख कारण है जमीन। जमीन को लेकर विवाद के कारण गोदरेज परिवार बंटने की कगार पर आ गया है। पिछले काफी समय से ऐसी खबरें आ रही है कि ग्रुप के 4.1 अरब डॉलर के कारोबार को गोदरेज परिवार के दो हिस्सों में बांटने की तैयारी है।

विवाद की मुख्य जड़ जमीनों का विकास है। गोदरेज समूह की कंपनी गोदरेज एंड बॉयस में कुछ जमीनों के विकास को लेकर जमशेद गोदरेज और चचेरे भाइयों आदि व नादिर गोदरेज के बीच मतभेद चल रहा है। पूरा मामला मुंबई की विक्रोली में जमीन से जुड़ा है। दरअसल, गोदरेज समूह मुंबई के उपनगर विक्रोली में गोदरेज एंड बॉयस के पास 3,400 एकड़ की जमीन है। इसमें से उनके समूह की 1,750 एकड़ जमीन मैंग्रोव से भरा हुआ है। पर्यायवरण से जुड़े नियमों के कारण गोदरेज इन्हें हटा नहीं सकता और ना ही वे स्वयं ऐसा करना चाहता है। वहीं इसके अलावा गोदरेज समूह की 300 एकड़ की जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है।

इसके बाद बची एक हजार एकड़ की जमीन को लेकर ही पूरा विवाद चला आ रहा है। दरअसल, यह वो जमीन है, जिसे विकसित किया जा सकता है। इस जमीन की कीमत 20 हजार करोड़ रुपये के आसपास बताई जाती है। परंतु जमशेद गोदरेज और आदि व नादिर गोदरेज जमीन के विकास को लेकर अलग-अलग सोच रखते हैं। जमशेद गोदरेज का परिवार जमीन पर अधिक रियल एस्टेट विकास के पक्ष में नहीं है। वो चाहता है कि जमीन जैसी है उसको वैसा ही रहने दिया जाए और इस पर अधिक विकास ना किया जाए। हालांकि इसे केवल पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ रखा जाए। उनका मानना है कि जमीन पर अधिक विकास करने से गोदरेज ग्रुप और मुंबई दोनों का ही नुकसान होगा।

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विवाद के कारण बड़े पैमाने पर विभाजन हो जायेगा गोदरेज समूह का 

जबकि आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर गोदरेज की इस पूरे विवाद इससे बिल्कुल उलट है। आदि गोदरेज के अनुसार उनकी कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज के लिए यह जमीन काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए वे इसे यहां भरपूर विकास करना चाहती है। गोदरेज प्रॉपर्टीज यह कह चुका है कि वे मुंबई की सबसे बड़ी डेवलपर बनना चाहती है।

यहां यह जान लें कि आदि और नादिर गोदरेज के पास इस समय समूह की तीन लिस्टेड कंपनियां हैं, जिसमें गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL), गोदरेज प्रॉपर्टीज और गोदरेज एग्रोवेट शामिल है। गोदरेज प्रॉपर्टी को वर्ष 2010 में लिस्टेड किया गया। इस कंपनी की कमान आदि गोदरेज के हाथों में हैं। वहीं इन कंपनियों में जमशेद गोदरेज के परिवार की कुछ हिस्सेदारी है। गोदरेज प्रॉपर्टीज में उनके पास 4.64 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त GPCL में उनकी 7.34 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा जमदेश गोदरेज के पास गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक है।

खबरों के अनुसार गोदरेज परिवार में जारी विवाद के कारण समूह दो भागों में बड़े पैमाने पर विभाजन करना चाह रहा है। जिनमें एक नेतृत्व आदि और नादिर गोदरेज करेंगे, जबकि दूसरे भाग का जिम्मा जमेशद और उनकी बहन स्मिता गोदरेज कृष्णा को सौंपा जाएगा। यानी घर का झगड़ों ने गोदरेज परिवार को भी नहीं छोड़ा और अब भाईयों के बीच का विवाद अब देश के सबसे पुराने कारोबारी घराना टूट की ओर अग्रसर है।

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